दुग्ध उत्पादन से किसान हो रहे मालामाल, ऐसे बढ़ा रहे हैं आमदनी

पालर गांव के किसान रमेश पाल ने बताया कि जबसे उनके गांव में बलिनी कम्पनी की तरफ से दूध खरीदा जाने लगा तब से उचित रेट व समय से भुगतान मिल रहा है।

Update: 2020-06-19 15:36 GMT

झांसी: कोविड-19 महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के बाद से बुन्देलखण्ड में बड़ी तादात में प्रवासीय मजदूर शहर से गांव की तरफ आये है। इनमें से कुछ मजदूर तो यह संकल्प लेकर आये कि किसी भी कीमत में वह गांव से शहर नहीं जायेगे, और इस संकल्प सिद्धि के लिए उन्होंने तमाम तरह के प्रयास शुरू किये है। कुछ लोग खेती में अपनी सम्भावनाऐं तलाश रहे है। कुछ पशुपालन से अपनी आजीविका को तलाशने की सोच रहे है। बुंदेलखंड में दुग्ध उत्पादन से रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

दूध से किसान को हो रही अच्छी आमदनी

पिछले दिनों बुन्देलखण्ड में मदर डेयरी से शूरू हुयी दुग्ध परियोजना बलिनी प्रोडयूसर कम्पनी जो उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन के साथ मिलकर बुन्देलखण्ड में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कार्य कर रही है। बलिनी मिल्क प्रोडयूसर कम्पनी के द्वारा झाँसी के बड़ागांव ब्लॉक, मोठ, चिरगांव में दुग्ध संग्रह का कार्य शुरू किया गया है। बड़ागांव ब्लॉक में तीन दर्जन से अधिक गांव में दुध का मूल्य किसानों को मिल रहा है वह काफी अच्छा है। 50- 55 रूपये लीटर दूध गांव में ही किसान का बिक जा रहा है। जिससे किसान को अच्छी आमदनी हो रही है।

पालर गांव के किसान रमेश पाल ने बताया कि जबसे उनके गांव में बलिनी कम्पनी की तरफ से दूध खरीदा जाने लगा तब से उचित रेट व समय से भुगतान मिल रहा है। कंचनपुर के किसान लोकेन्द्र राजपूत बताते है कि उनके गांव में दूध के उचित रेट मिल जाने के कारण अब प्रत्येक किसान दुग्ध उत्पादन की तरफ अग्रसर हो रहा है यहां तक कि उनके गावं में प्रवासीय मजदूर आये वह किसी भी तरह से भैस पालन करके दुग्ध उत्पादन करना चाहते है और उसी से अपनी आजीविका चलाना चाहते है। ढिकोली गांव के पूर्व प्रधान देशराज अहिरवार बताते है कि जबसे बुन्देलखण्ड में वलिनी मिल्क प्रोडयूसर की तरफ से दुग्ध का शुरू हुआ है,

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किसानों को उचित रेट व समय से भुगतान मिलने के कारण गांव-गांव में लोग दुधारू पशुपालन की तरफ एक बार फिर अग्रसर हुये है। वलिनी प्रोडयूसर के प्रबन्धक डॉ ओ पी सिंह बताते है कि उनकी कम्पनी का उददेश्य किसानों को अधिक से अधिक फायदा देने का है। उन्होंने दुध के व्यापार में बिचैलिये की भूमिका को खत्म किया है, शुद्ध दूध लेना और उचित रेट देना यह उनकी कम्पनी का सिद्धान्त है।

शीघ्र ही बुंदेलखंड में दुग्ध खरीदारों के संयत्रों की स्थापना

शीघ्र ही वह बुन्देलखण्ड के झांसी, जालौन, हमीरपुर में दुग्ध की खरीदारी के संयत्रों की स्थापना कर रहे है। उनका उददेश्य है कि बुन्देलखण्ड में प्रति व्यक्ति दुग्ध उत्पादन में आय से वृद्धि कराना है। उनकी कम्पनी का यह भी उददेश्य है कि लोगों को शुद्ध दूध मिले इसके लिए शीघ्र ही दूध पैक्ड दूध की आपूर्ति शुरू करने वाले है। उन्होंने बताया कि एक किसान 10 किलो दूध एक दिन में बेचकर 15 से 18 हजार रूपये प्रति महिने कमा लेता है।

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जिसमें उसकी आजीविका आसानी से चल जाती है। जल जन जोड़ो के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह ने कहा कि प्रवासीय मजदूरों को भी पशुपालन के व्यवसाय से जोडने के लिए आजीविका मिशन से मदद की जाये और इनके समूह का निर्माण किया जाये। मजदूरों को पशुपालन के व्यवसाय से जोडा जाये। जिससे वह दुग्ध उत्पादन कर अपनी आजीविका चला सके।

रिपोर्ट- बी.के. कुशवाहा

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