एक बेबस बाप की अथक यात्रा जारी, रेल ट्रैक के सहारे चला चुका 1900 किमी साइकिल

मां की ममता की मिसाल पूरा जहान देता है वहीं एक बेबस पिता का वाक्या सामने आया है जो अपने गुमशुदा बेटे की तलाश में सैंकड़ो किलोमीटर साइकिल चला चुका है। दरअसल, आगरा हाथरस जिले के द्वारिकापुर गांव के रहने वाले सतीश चंद्र पुत्र भूदेव का इकलौता बेटा पांच माह पहले अचानक गुम हो गया और दो दिन ढूंढने के बाद जैसे ही उसे ग्रामीणों से पता चला कि वो शाम के समय रेलवे ट्रेक पर खड़ी ट्रेन पर चढ़ गया था तो बस उसने साइकिल उठाई और रेलवे ट्रेक के सहारे बेटे को ढूंढना शुरू कर दिया और ढूंढते हुए पांच महीने में करीब 1900 किमी तक रेलवे ट्रैक के सहारे साइकिल चला डाली। आज घूमते हुए यह शख्स आगरा के एसएन इमरजेंसी के पास पहुंच गया और लोगों को बच्चें की फोटो दिखाते हुए जानकारी लेता हुआ दिखाई दिया।;

Update:2017-12-03 13:19 IST

आगरा: मां की ममता की मिसाल पूरा जहान देता है वहीं एक बेबस पिता का वाक्या सामने आया है जो अपने गुमशुदा बेटे की तलाश में सैंकड़ो किलोमीटर साइकिल चला चुका है।

दरअसल, आगरा हाथरस जिले के द्वारिकापुर गांव के रहने वाले भूदेव का इकलौता बेटा पांच माह पहले अचानक गुम हो गया और दो दिन ढूंढने के बाद जैसे ही उसे ग्रामीणों से पता चला कि वो शाम के समय रेलवे ट्रेक पर खड़ी ट्रेन पर चढ़ गया था तो बस उसने साइकिल उठाई और रेलवे ट्रेक के सहारे बेटे को ढूंढना शुरू कर दिया और ढूंढते हुए पांच महीने में करीब 1900 किमी तक रेलवे ट्रैक के सहारे साइकिल चला डाली। आज घूमते हुए यह शख्स आगरा के एसएन इमरजेंसी के पास पहुंच गया और लोगों को बच्चें की फोटो दिखाते हुए जानकारी लेता हुआ दिखाई दिया।

क्या था मामला?

यह मामला आगरा का है। जहां आज से लगभग 5 माह पूर्व दिनांक 24 जून को थाना हाथरस के द्वारिकापुर गांव के रहने वाले भूदेव का 11 साल का बेटा गोदना अचानक गायब हो गया। सतीश की एक बेटी बुखार में और एक बेटा एक्सीडेंट में खत्म हो चुका था और उसके पास एकलौता पुत्र गोदना ही बचा था। दो दिन तक सतीश ने उसे आसपास ढूंढा और फिर 28 जून को उसने थाना हाथरस में तहरीर दी। जहां उसकी तहरीर पर मोहर लगाकर तहरीर रिसीव कर ली गई। इसके बाद उसे ग्रामीणों से पता चला कि उसका बेटा शाम के समय गांव के बाहर रेलवे ट्रेक पर खड़ी ट्रेन में चढ़ा था। सतीश का पुत्र जबान भारी होने की परेशानी के कारण ज्यादा बोल नहीं पाता है। सतीश को पता चला कि यहां से शाम को दिल्ली से कानपुर की तरफ ट्रेन जाती है और बस वो साइकिल उठा कर निकल गया। गांव से वो रेलवे ट्रेक के सहारे टूंडला पहुंचा और वहां से ट्रेक के सहारे कानपुर और फिर कानपुर से मथुरा के बाद मथुरा से झांसी और उसके आगे बीना तक पहुंच गया। यहां से उसे किसी ने दिल्ली की तरफ जाने की सलाह दी और वो ट्रेक के सहारे चलते हुए पुरानी दिल्ली पहुंचा। दिल्ली ढूंढने के बाद वो ट्रेक के सहारे ही आगरा के बरहन कस्बे तक पहुंच गया जहां कुछ लोगो की नजर उस पर पड़ गई और वो समाजसेवी नरेश पारस के पास आगरा आ गया।

लोगों ने दी जानकारी

बता दें कि जगह-जगह साइकिल से घूमते हुए सतीश को कुछ लोगों ने बरहन कस्बे में रेल ट्रैक के पास देखा। वहां के लोगों ने उसकी व्यथा सुन आगरा के महफूज संस्था के जोन कॉर्डिनेटर नरेश पारस को उसकी जानकारी दी। नरेश पारस ने जब उसकी व्यथा सुनी तो हालात कुछ अजीब ही नजर आए। जो व्यक्ति अपने बच्चे को 5 माह से साइकिल पर घूम-घूम कर हजारों किमी दूर तक ढूंढ आया उसके पास थाने की मोहर लगी तहरीर की कॉपी भी थी पर जब उस तहरीर के आधार पर हाथरस के गुमशुदा प्रकोष्ठ में नरेश पारस द्वारा जानकारी ली गयी तो पता चला कि उसे सिर्फ तहरीर पर मोहर लगा कर दे दी गयी थी और उस बच्चे की गुमशुदा बच्चो में एंट्री तक नही हुई थी। नरेश पारस ने उक्त मामले की शिकायत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई ,पुलिस मुख्यालय तक को की है और वहां से मामला हाथरस पुलिस को फारवर्ड किया गया है।

क्या कहा पिता ने?

पिता सतीश ने बताया कि 'मैं कानपुर, झांसी, बीना और पुरानी दिल्ली तक देख आया खोए हुए बच्चे को 5 महीने हो गए अभी तक कुछ पत न चला। गांव में मैंने गुमशुदा बच्चे की रिपोर्ट दर्ज कराई थी कोई सुनवाई नहीं हुई। अभी तक गांव के आसपास लोगों ने बताया कि 'तुम्हारा बेटा स्टेशन से ट्रेन में गया है।' मैं पुरानी दिल्ली और कानपुर और मथुरा जंक्शन और झांसी और बीना स्टेशन तक गया हूं साइकिल से अभी तक बच्चा नहीं मिला है।

सतीश ने बताया कि उसके पास पैसे नही हैं और वो जिस भी गांव पहुंचता था लोग उसकी व्यथा सुन कर खाना खिला देते थे वरना वो भूखा ही रह जाता था। एसएन इमरजेंसी के पास जब वो नरेश पारस का इंतजार कर रहा था तब भी वो साइकिल पर घूमता हुआ लोगों को अपने बेटे की फोटो दिखाता चल रहा था। उसने बताया कि पांच माह से वो पत्नी से मिला नही है बस गांव में किसी के फोन पर फोन कर के उसकी बातचीत हो जाती है।

क्या कहना है समाजसेवी का?

समाज सेवी नरेश पारस का कहना है कि इनका एक बच्चा 5 महीने पहले गायब हो गया था। बता रहे थे एक रेलवे स्टेशन पर गया, वहां से ट्रेन में बैठकर कहीं चला गया है। यह अपने बच्चे की तस्वीर लेकर घूम रहे थे। रेलवे ट्रैक पर वहां से किसी परिचित ने मुझे बताया कि एक व्यक्ति है जो रेलवे ट्रैक पर अपने बच्चे की फोटो लेकर उसे ढूंढ रहा है। जब मैंने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि मेरा बच्चा खो गया था उसको ढूंढता हुआ मैं आगरा में आया हूं। उन्होंने बताया कि यह इटावा, दिल्ली, कानपुर, बाड़ी, झांसी और तमाम जिलों में रेलवे ट्रैक के सहारे जा चुके हैं। मैंने ट्विटर के माध्यम से पुलिस मुख्यालय को ट्वीट किया है मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर किया है वहां से आईजी और डीआईजी को निर्देशित हो चुका है। एडीजी आगरा के लिए भी निर्देश जारी हो चुका है। समाजसेवी ने बताया कि इस परिवार के दो बच्चों की मौत हो चुकी है उनके पास में एक ही बच्चा बचा था जिसका सहारा था लेकिन पुलिस उसकी भी रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही है तो वह पुलिस की तरफ से बहुत बड़ा अपराध है।

समाजसेवी नरेश पारस का कहना था कि यह सामाजिक अपराध है कि काम न करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 24 घंटे में बच्चा न मिलने पर अपहरण का मुकदमा लिखने के कानून की अवहेलना पुलिस द्वारा की जा रही है। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और डीजीपी तक से की है और आगे भी उसे न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे।

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