Firozabad News: कभी डकैतों और अपराधियों का स्वर्ग रहा, रपड़ी मठ बनेगा टूरिज्म स्थल

Firozabad News: फिरोजाबाद जिले के नसीरपुर थानां क्षेत्र के बटेश्वर रोड़ पर बसा रपडी गांव ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसका जुड़ाव भगवान श्रीकृष्ण से है।

Report :  Brajesh Rathore
Update:2022-11-15 17:26 IST

रपड़ी मठ बनेगा टूरिज्म स्थल

Firozabad: भारतीय ऐतिहासिक धरोहर को पुनः संजोने में लगी सरकार, जहाँ यमुना किनारे जुआ के फड़ लगते थे। अपराधी एकत्र होते थे। वहाँ पर्यटन स्थल बनेगा। वन विभाग ने टूरिज्म डे मना कर दिया संकेत। भगवान श्रीकृष्ण के पूर्वज से जुड़ा है यह गांव अब खुल रहे विकास के द्वार।

रपडी गांव ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

फिरोजाबाद जिले के नसीरपुर थानां क्षेत्र के बटेश्वर रोड़ पर बसा रपडी गांव ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसका जुड़ाव भगवान श्रीकृष्ण से है। भगवान श्रीकृष्ण के बाबा (दादा) तीन भाई थे बड़े सूर्यसेन जिनकी बटेश्वर शौरी पुर दूसरे चन्द्रसेन जो अब फिरोजाबाद, तीसरे राय सैन जो राय पूरी जो अब रपडी है। इस गांव में अब सरकार ने गांव के विकास हेतु यमुना नदी के किनारे पर्यटन स्थल बनाने की योजना बनाई है।

वन विभाग ने टूरिज्म डे के अवसर पर किया कार्यक्रम का आयोजन

इसी लिए आज वन विभाग ने टूरिज्म डे के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। सरकार ने इस गाँव के यमुना किनारे मठ नामक स्थान को पर्यटन के विकास के लिये चुना है। ग्रामीणों के अनुसार इस स्थान पर अपराधियों की गतिविधियों होती थीं। इस जगह जुआ खेलने के लिए अपराधी एकत्रित होते थे। ग्रामीणों ने अपराधियों से बचाव और सुरक्षा की मांग की थी।

अब जंगल में होगा मंगल। यह स्थान क्षेत्रवासियों के लिए बहुत ही भयानक रहा है। जब इस क्षेत्र में बदमाशों के गिरोह हुआ करते थे। उस जगह अब सरकार की पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है। यह स्थान अपराधियों के लिए अपहरण कर अपहरित को रखने का सुरक्षित स्थान हुआ करता था। क्योंकि यहाँ से सड़क चार किलोमीटर दूर है। बीहड़ का रास्ता जंगली जानवर से कहीं अधिक डकैतों का भय रहता था

मठ ईको टूरिज्म स्थल के रूप में पिकनिक मनाने के लिए बढ़िया जगह: वनाधिकारी

मठ ईको टूरिज्म स्थल रपडी शिकोहाबाद फिरोजाबाद प्रभागीय वनाधिकारी स्वतंत्र कुमार ने बताया कि मठ ईको टूरिज्म स्थल के रूप में पिकनिक मनाने के लिए बढ़िया जगह है, इस रमणीय स्थल पर पाँच सौ साल से अधिक पुराना मंदिर है। पचास से साठ साल पुराना मठ बना है। सीढ़ियां बनी हैं। वहुत ही मनोहारी जमुना किनारे का स्थान है।

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