पूर्व उपमुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने उद्धव ठाकरे पर कसा तंज, कहा - ...अब चाहें तो धर्म और पार्टी का नाम भी बदल लें

Lucknow News : राज्यसभा सांसद व यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने वक्फ बिल के विरोध पर शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बयान पर तंज कसा।

Newstrack :  Network
Update: 2024-08-19 16:33 GMT

Lucknow News : राज्यसभा सांसद व यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने वक्फ बिल के विरोध पर शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बयान पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि वोट बैंक के लालच में वक्फ बिल के विरोध की उनकी तड़प बताती है कि हृदय परिवर्तन पूरा हो चुका है अब देर किस बात की है, वे चाहें तो धर्म परिवर्तन और पार्टी के नाम का भी परिवर्तन कर लें।

पूर्व उपमुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा कि बाला साहेब की हिन्दुत्ववादी विचारधारा का तर्पण कर चुके ठाकरे अब शिवसेना का नाम बदलकर जमीयत से मिलता जुलता कोई जमात आदि भी रख सकते हैं। यह उनके वोट के लालच को बेहतर तरीके से पूरा कर देगा। उनका कहना है कि आल इंडिया उलेमा बोर्ड खुलेआम उद्धव ठाकरे को जिस प्रकार से वक्फ बिल का विरोध करने के लिए धन्यवाद दे रहा है, उससे परदे के पीछे से चल रहे खेल का नंगा सच सामने आ चुका है। नारंगी साफा बांधने वाले की विचारधारा तुष्टिकरण वाली निकली हैं।

अन्याय की राजनीति करने वाले बन रहे दीवार

सांसद ने एक बयान में कहा कि यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के दल की नीतियों में बदलाव कांग्रेस और एनसीपी नेता शरद पवार के गुरु मंत्र का कमाल है, जिसमें केवल धर्म विशेष के पक्ष में खडे़ रहने की सीख दी जाती है। कांग्रेस और पवार तो शुरु से ही अन्याय की राजनीति करते रहे हैं और बहुसंख्यकों का विरोध उनकी राजनीति के केन्द्र में रहा हैं। अब जब केन्द्र सरकार वक्फ बिल के जरिए न्याय के सिद्धान्त को अमली जामा पहनाना चाह रही है तो अन्याय की राजनीति करने वाले एक बार फिर दीवार बनने का प्रयास कर रहे हैं।

असली चरित्र जान गई बीजेपी

डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में फतवों के जरिए सफलता का स्वाद चखने वाले ठाकरे जान लें कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। महाराष्ट्र की जनता उनका असली चरित्र जान चुकी है और वह विधानसभा चुनाव में उनका बोरिया बिस्तर बांध देगी। डॉ. शर्मा ने कहा कि मुस्लिम वक्फ़ बोर्ड संशोधन बिल गरीब अल्पसंख्यकों, मुस्लिम बहन को अधिकार दिलाने का बिल है ना कि कुछ लेने का।

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