Ramcharitmanas: स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में उतरे यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, मायावती ने भी किया ट्वीट

Ramcharitmanas Controversy: पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन किया है। मायावती ने अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।

Report :  Jugul Kishor
Update:2023-01-30 11:47 IST

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य का किया समर्थन (Pic: Social Media)

Ramcharitmanas Controversy: उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह आ गए है। सुलखान सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए फेसबुक पोस्ट में लिखा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के मानस पर दिये गए बयान पर अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रिया ठीक नहीं है। मौर्य ने मानस का अपमान नहीं किया है मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है। उन्हें इसका अधिकार है। रामचरित मानस पर किसी जाति या वर्ग का विशेषाधिकार नहीं है। हिंदू समाज के तमाम प्रदूषित और अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी। भारतीय ग्रंथों ने समाज को गहराई से प्रभावित किया है। इन ग्रन्थों में जातिवाद, ऊंचनीच, छुआछूत, जातीय श्रेष्ठता/हीनता आदि को दैवीय होना स्थापित किया गया है। अतः पीड़ित व्यक्ति/समाज अपना विरोध तो व्यक्त करेगा ही। किसी को भी भारतीय ग्रंथों पर एकाधिकार नहीं जताना चाहिए।

कुछ अतिउत्साही उच्च जाति के हिंदू हर ऐसे विरोध को गालीगलौज और निजी हमले करके दबाना चाहते हैं। यह वर्ग चाहता है कि सदियों से शोषित वर्ग, इस शोषण का विरोध न करे, क्योंकि वे इसे धर्मविरोधी बताते हैं। हिंदू समाज की एकता के लिए जरूरी है कि लोगों को अपना विरोध प्रकट करने दिया जाये। भारतीय ग्रंथ सबके हैं। यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में ही रहना चाहता है, इसीलिये विरोध करता रहता है। अन्यथा इस्लाम या ईसाई धर्म अपना चुका होता। अतीत में धर्मांतरण इसी कारण से हुए हैं।

राम और कृष्ण हमारे पूर्वज हैं। हम उनका अनुसरण करते हैं। हमें यह अधिकार है कि हम अपने पूर्वजों से प्रश्न करें। यह एक स्वस्थ समाज के विकास की स्वाभाविक गति है। राम और कृष्ण से उनके कई कार्यों के बारे में सदियों से आम लोग सवाल पूछते रहे हैं। यही उनकी व्यापक स्वीकार्यता का सबूत है।

सुलखान सिंह ने लिखा कि मैं रामचरित मानस और भगवद्गीता का नियमित पाठ करता हूँ और इनका अनुसरण करने का यथासंभव प्रयास करता हूँ। लेकिन, मैं मानस और गीता पर प्रश्न उठाने वालों की निंदा नहीं करता हूँ। बल्कि ऐसे लोगों से संपर्क होने पर अपनी समझ और क्षमता के अनुसार उनके संदेहों का निवारण करता हूँ। हिंदू समाज की एकता और मानवता के हित में मैं निंदक लोगों पर हमले और अभद्रता करने वालों की निंदा करता हूँ।

मायावती ने अखिलेश यादव की चुप्पी पर उठाए सवाल

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।

मायावती ने अगले ट्वीट में लिखा कि रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।

लगातार तीसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-भाजपा ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही भाजपा दोबारा से यहाँ सत्ता में आ गई। ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी।

  

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