वाह रे भ्रष्टाचारियों: खेला ऐसा खेल, कर दिया सब मिटिया-मेट

सरकार की मंशा थी कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कालेज में शैक्षिक सत्र 2015 में शिक्षण कार्य शुरू हो जाएगा लेकिन यह अभी तक कल्पना मात्र ही रह गया है। दो करोड़ 75 लाख रूपये की लागत से निर्मित होने वाले इस मॉडल स्कूल का निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था सी एन डी एस को सौंपा गया था लेकिन यह भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।

Update:2023-07-01 08:25 IST

अम्बेडकर नगर: अधिकारियों व् कार्यदायी संस्था की जुगलबंदी से केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर संचालित होने वाले मॉडल स्कूल का संचालन आज तक नही हो सका है। माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े विकास खंड भियांव के राजस्व गाँव इंधना में अगस्त 2013 से निर्मित हो रहा मॉडल स्कूल केवल 18 महीने में पूर्ण हो जाना चाहिए था लेकिन 6 साल बाद भी निर्माण कार्य अपूर्ण ही है।

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मॉडल स्कूल का निर्माण भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गया

सरकार की मंशा थी कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कालेज में शैक्षिक सत्र 2015 में शिक्षण कार्य शुरू हो जाएगा लेकिन यह अभी तक कल्पना मात्र ही रह गया है। दो करोड़ 75 लाख रूपये की लागत से निर्मित होने वाले इस मॉडल स्कूल का निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था सी एन डी एस को सौंपा गया था लेकिन यह भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। कार्यदायी संस्था को लागत की धनराशि का 90 प्रतिशत आवंटित कर दिया गया था लेकिन अधूरे कार्य के बीच ही अधिकारियो ने शेष 10 प्रतिशत धनराशि भी जारी कर दी।

यह धनराशि जिला विद्यालय निरीक्षक की अनुशंसा पर जिलाधिकारी द्वारा जारी की जाती है। सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि जब 90 प्रतिशत धनराशि के अनुसार कार्य नही हुआ था तो शेष धनराशि क्यों जारी कर दी गयी। सम्पूर्ण धनराशि जारी हो जाने के बाद सम्बन्धित कार्यदायी संस्था निर्माण कार्य को अधूरा छोड़कर गायब है। इस कार्य को इस संस्था की अयोध्या स्थित यूनिट 21 द्वारा कराया जा रहा था। हैरत इस बात को लेकर भी है अपूर्ण कार्य के बावजूद विभाग चुप्पी साधकर बैठा हुआ था। नवागत जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र द्वारा निर्माण कार्यो की समीक्षा के दौरान जब यह मामला पकड़ में आया तो उनके कान खड़े हो गए।

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डीएम की फटकार के बाद थाने में प्राथमिकी दर्ज

निर्माण कार्य और उपभोग की धनराशि में अंतर पाये जाने पर जिलाधिकारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक को सम्बन्धित संस्था के विरुद्ध प्राथिमिकी दर्ज करवाने के निर्देश दिए लेकिन उसके बाद भी काफी समय तक मामले को लटकाए रखा गया। बाद में डीएम की फटकार के बाद डीआईओएस ने सम्बन्धित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक पत्र भेज दिया। इस पत्र पर मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया लेकिन कार्यवाई जंहा की तन्हा रुकी हुई है। प्रश्न यह है कि गलत तरीके से धनराशि का आवंटन करने वालो के विरुद्ध कार्यवाई क्यों नही की जा रही।

फ़िलहाल ग्रामीण अंचल में बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने की सरकार की मंशा भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस सम्बन्ध में जब डीआईओएस विनोद कुमार सिंह से जानकारी चाही गयी तो उन्होंने कहा कि मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। यह पूछने पर कि गलत तरीके से धनराशि क्यों आवंटित कर दी गयी तो उन्होंने कोई टिप्पणी नही की।

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