RSS के खिलाफ ना लिखती, तो आज जिंदा होती गौरी लंकेश-BJP नेता

पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद लगातार राजनीति हो रही है और नेताओं के बयान भी आ रहे हैं ।अब बीजेपी नेता का विवादित बयान सामने आया है।

Update:2017-09-08 14:23 IST

बेंगलुरू: पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद लगातार राजनीति हो रही है और नेताओं के बयान भी आ रहे हैं। अब बीजेपी नेता का विवादित बयान सामने आया है। कर्नाटक के बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री जीवराज ने कहा है कि अगर गौरी लंकेश आरएसएस के खिलाफ नहीं लिखतीं तो आज जिंदा होतीं।

बीजेपी नेता के बयान वाला ये वीडियो एक खबरिया चैनल पर दिखाया गया । इस वीडियो में एक रैली के दौरान बीजेपी नेता जीवराज ने कहा कि बीजेपी कांग्रेस से ज्यादा बेहतर सुरक्षा लोगों को दे सकती है। जब बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, तो सिद्धारमैया सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया।

जीवराज ने कहा कि कांग्रेस के राज्य में संघ के कई लोगों की हत्या हुई, जिसके बारे में गौरी लंकेश ने लिखा। अगर वो इस तरह के लेख नहीं लिखतीं तो आज जिंदा होतीं। वो मेरी बहन जैसी थीं । उनके साथ गलत हुआ, लेकिन उन्होंने जो आरएसएस के बारे में लिखा वो गलत था।

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गौरी लंकेश मर्डर केस को लेकर राजनीति गरमा रही है। केंद्र में विपक्षी दल कांग्रेस सत्ताधारी बीजेपी पर आरोप मढ़ रही है, वहीं बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी ने कर्नाटक सरकार से कहा है कि वह पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की तत्काल जांच करे और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे।

साल 1962 में जन्मीं गौरी कन्नड पत्रकार और कन्नड साप्ताहिक टैबलॉयड 'लंकेश पत्रिका' के संस्थापक पी. लंकेश की बेटी थीं। उनकी बहन कविता और भाई इंद्रजीत लंकेश फिल्म और थिएटर कलाकार हैं।

अपने भाई और पत्रिका के प्रोपराइटर/प्रकाशक इंद्रजीत से मतभेद के बाद उन्होंने लंकेश पत्रिका के संपादक पद को छोड़कर 2005 में कन्नड टैबलॉयड 'गौरी लंकेश पत्रिका' की शुरुआत की थी। चार अज्ञात हमलावरों ने राज राजेश्वरी इलाके में स्थित गौरी के घर के बाहर उन पर काफी करीब से फायरिंग की, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी।

गौरी लंकेश साप्ताहिक मैग्जीन 'लंकेश पत्रिके' की संपादक थीं. इसके साथ ही वो अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं । टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी वो एक्टिविस्ट के तौर पर शामिल होती थीं। लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद थे।

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