Mukhtar Ansari: गली के गुंडे से जरायम के दुनिया का बेताज बादशाह बना मुख्तार अंसारी

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी को साईकिल का ठेका दिलाकर अपने धौस जमाने की शुरुआत कर दी थी। अब वो जरायम की दुनिया में प्रवेश कर चुका था। साइकिल के ठेके से लेकर तेल, रेलवे, कोयला, सड़क नाले नाली तक के ठेके अपने लोगों को दिलाता रहा।

Report :  Rajnish Mishra
Update:2024-03-29 21:36 IST

Mukhtar Ansari (Pic:Newstrack)

Ghazipur News: कहां जाता है कि बच्चे के पांव पालने में ही दिख जाते है। की बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा। ठीक इसी तरह मुख्तार अंसारी के रंग भी 15 वर्ष की आयु में समझ में आ गई थी। मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया में पैर रखने की शुरुआत गली के गुंडे के रुप में शुरू की थी। बुजुर्ग लोग.बताते है कि मुख्तार अंसारी अपनी धौंस जमाने के लिए सिनेमा घर के बाहर टिकट ब्लैक करने से की थी।

धीरे-धीरे जरायम की और रखा कदम

मुख्तार अंसारी अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी को साईकिल का ठेका दिलाकर अपने धौस जमाने की शुरुआत कर दी थी। अब वो जरायम की दुनिया में प्रवेश कर चुका था। साइकिल के ठेके से लेकर तेल, रेलवे, कोयला, सड़क नाले नाली तक के ठेके अपने लोगों को दिलाता रहा।

जमीदार घराने से था मुख्तार

लोग बताते है की मुख्तार का इतना खौफ था कि देशी व विदेशी कम्पनियां प्रदेश में ठेके लेने से किनारा कर लिया था। मुख्तार अंसारी जमीदार घराने का भले ही था लेकिन उसके पास पैसे की भी कोई कमी नहीं थी। लेकिन पैसे कमाने व वर्चस्व कायम रखने के लिए अपराध की दुनिया में बेताज बादशाह बना।

वर्ष 1978 में धमकी देने के आरोप में दर्ज हुआ मुकदमा

जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह मुख्तार अंसारी पर पहला मुकदमा वर्ष 1978 में धमकी देने के आरोप में सैदपुर थाने में दर्ज हुआ था। उस समय मुख्तार अंसारी की उम्र लगभग 15 वर्ष रहा होगा। लेकिन आठ साल तक मुख्तार बेदाग घुमता रहा। वर्ष 1988 में दबंग सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद पहली बार मुख्तार का नाम सामने आया था। मोहम्मदाबाद थाने म़े मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके बाद मुख्तार अंसारी बना जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह जो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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