वाराणसी: दोनों हाथ से पिस्टल चलाता था गिरधारी, कई नेता थे निशाने पर
डी-11 गिरोह के शार्प शूटर गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर के पिता लखनपुर निवासी टग्गर विश्वकर्मा ने से कहा कि पुलिस ने उसके बेटे की हत्या की है. गिरधारी के भाई राकेश और संजय ने भी पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया है.
वाराणसी। पूर्वांचल के जरायम की दुनिया के बड़े शूटरों में शुमार होने वाले गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर को लखनऊ पुलिस ने सोमवार की अलसुबह एक मुठभेड़ में मार गिराया. उसकी मौत से पूर्वांचल के कई माननीयों ने राहत की सांस ली. सूत्रों के मुताबिक मऊ के ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह मर्डर केस में गिरफ्तार गिरधारी के निशाने पर कुछ सफेदपोश नेताओं के साथ ही व्यापारी थे. गिरधारी का नाम सुनते ही इन लोगों की घिघ्घी बंध जाती थी. दोनों हाथों से पिस्टल चलाने में माहिर गिरधारी का निशाना अचूक माना जाता है.
बेटे का एनकाउंटर नहीं बल्कि हत्या हुई
डी-11 गिरोह के शार्प शूटर गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर के पिता लखनपुर निवासी टग्गर विश्वकर्मा ने से कहा कि पुलिस ने उसके बेटे की हत्या की है. गिरधारी के भाई राकेश और संजय ने भी पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया है. पिता और भाइयों ने बताया कि उन्हें पहले से ही गिरधारी की हत्या की शंका थी. इसलिए उन्होंने बीती आठ फरवरी को वाराणसी के सीजीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर उसकी जान की सुरक्षा की गुहार लगाई थी.
पुलिस से खतरा
वाराणसी के चोलापुर थाना के लखनपुर निवासी गिरधारी के भाई संजय विश्वकर्मा ने बताया कि उसने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपने भाई की जान को पुलिस से खतरा बताया था. उसने अदालत से अनुरोध किया था कि गिरधारी को उत्तर प्रदेश में पेशी के दौरान दिल्ली पुलिस अपनी अभिरक्षा में लेकर आए. उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं था और जिस बात का डर था वैसा ही हुआ भी है.
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पूर्वांचल के कई सफेदपोश थे निशाने पर
रसूखदारों लोगों के हत्यारे के तौर पर अपनी पहचान बना चुके गिरधारी के निशाने पर कई माननीय थे. आजगमढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने तो गिरधारी से अपनी जान का खतरा बताते हुए बकायादा सरकार से सुरक्षा की गुहार लगायी थी. दबंग छवि वाले इस नेता के पास खुद सुरक्षा का भारी-भरकम इंतजाम होता है. इनके घर 18 लाइसेंसी असलहें हैं. वहीं चोलापुर के एक माननीय अपराध के शुरुआती दिनों की अदावत की वजह से गिरधारी से खौफ खाते थे. जब सूत्रों की मानें तो इनकी वजह से गिरधारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था. जब कद बड़ा होने लगा तो माननीय तो अपनी जान का खतरा महसूस होने लगा. उन्होंने अपनी सुरक्षा को और कड़ा कर लिया था.
...और निकल पड़ा अपराध की दुनिया में
बनारस के चोलापुर थाना क्षेत्र के लखनपुर गांव के रहने वाले टग्गर विश्वकर्मा के चार बेटों और एक बेटी में कन्हैया उर्फ गिरधारी तीसरे नम्बर पर था. सामान्य खेती-बड़ी वाले परिवार में अभावों के बीच इसकी परवरिश भी हो रही थी. चोलापुर इंटर कालेज से इंटर की पढ़ाई कर रहा था. स्कूल तक आने-जाने के लिए प्राइवेट बसों का सहारा था. उसमें किराए को लेकर अक्सर क्षगड़ा होता था. गिरधारी के पास किराया देने के लिए रुपये नहीं होते थे.
किराया मांगने पर गिरधारी ने कंडक्टर को पीटा
वर्ष 1997 में स्कूल जाते वक्त एक रसूखदार की बस में गिरधारी सवार हुआ. कंडक्टर ने किराया मांगा तो मनबढ़ गिरधारी ने उसकी जमकर पिटायी कर दी. यह बात रसूखदार को नागवांर गुजरी. उसके गुर्गे गिरधारी को घर से मारते हुए बाजार तक ले आए. उसे अपनी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुई और पढ़ाई छोड़कर आजमगढ़ भाग गया. वहां उसे कुछ दबंग लोगों की शह मिली और उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया.
कई रसूखदार की ली जान
गिरधारी इतना दुःसाहसिक था कि किसी पर भी गोली चलाने में हिचक नहीं थी. जल्द से जल्द अपने नाम का डंका अपराध जगत में बजाने के लिए इसने रसूखदार लोगों पर निशाना साधना शुरू कर दिया. सबसे ज्यादा चर्चा में इसका नाम आया आजमगढ़ के पूर्व विधायक व बसपा नेता सर्वेश कुमार सिंह उर्फ सीपू की हत्या में. दबंग छवि वाले सीपू 2007 में सिगड़ी विधान सभा क्षेत्र से सपा से विधायक बने. इसके बाद उन्होंने बसपा ज्वाइन कर लिया था.
गिरधारी समेत चार बदमाशों का नाम आया सामने
19 जुलाई 2013 को बदमाशों ने जीयनपुर कस्बे में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में गिरधारी समेत चार बदमाशों का नाम सामने आया था. 30 सितम्बर 2020 में बनारस सदर तहसील में हुई हिस्ट्रीशीटर नितेश सिंह बबलू हत्या भी इसने अपने साथी के साथ अंजाम दिया था. बीते 6 जनवरी को लखनऊ के विभूति खंड में मऊ जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना के निवासी ज्येष्ठ प्रमुख व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की हत्या में गिरधारी शामिल रहा.
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सुरक्षा भी नहीं आती थी काम
गिरधारी इतना खतरनाक शूटर बन चुका था कि उसके आगे सुरक्षा के सारे उपाय नाकाफी साबित होते थे. आजगमढ़ के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू पूरे सुरक्षा इंतजामों के साथ चलते थे. गिरधारी ने साथियों के साथ इनकी रेकी की और जीयनपुर में मौका पाकर सीपू समेत एक अन्य व्यक्ति को गोलियों से छलनी कर दिया. ठीक इसी तरह रसूखदार लोगों से ताल्लुक रखने वाले ट्रांसपोर्टर सारनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर नितेश सिंह बबलू को सदर तहसील में सरेआम गोलियों से भून डाला. अपनी सुरक्षा के लिए हर वक्त पिस्टल रखने वाला बबलू बुलेट प्रूफ एसयूवी से चलता था. बदमाशों की गोलीबारी के बीच उसने अपनी जान बचाने के लिए गाड़ी की तरफ भागने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा.
मऊ जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना के निवासी ज्येष्ठ प्रमुख व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह भी रसूखदार थे. अपनी सुरक्षा का हर वक्त ध्यान रखते थे लेकिन उनकी हत्या ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए.
रिपोर्ट- आशुतोष सिंह
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