Gorakhpur News: बाबा गोरक्षनाथ को श्रद्धा की खिचड़ी चढ़ाने को उमड़ा जन सैलाब, सीएम योगी ने दी मकर संक्रान्ति की बधाई

CM Yogi in Gorakhpur News: गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को तड़के बाबा गोरखनाथ मंदिर को आस्था की खिचड़ी चढ़ाई।

Update:2023-01-15 09:09 IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 

Gorakhpur News: गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को तड़के बाबा गोरखनाथ मंदिर को आस्था की खिचड़ी चढ़ाई। इसके साथ ही महीने भर चलने वाले खिचड़ी मेले का शुभारंभ भी हो गया। बाबा को खिचड़ी चढ़ाने के लिए लाखों की संख्या में लोग उमड़े हुए हैं। पुलिस प्रशासन की तरफ से मेले को लेकर व्यापक इंतजाम किये गए है। खुद सीएम योगी एक एक गतिविधियों को नजर रखे हुए हैं।

बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने यूपी-बिहार ही नहीं पूरे देश के साथ दुनिया के कई देशों के लोग यहां खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे हैं। नेपाल के राजशाही परिवार की तरफ से विशेष खिचड़ी भी चढ़ाई गई। पुलिस की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने के लिए जगह-जगह अलाव की व्यवस्था की गई है।

त्रेतायुग से चली आ रही है गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा 

पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की त्रेतायुगीन यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है। मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा, खाली हाथ नहीं लौटा। ठीक वैसे ही, जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और राप्ती और रोहिन के तट पर जंगलों में बसे इस स्थान पर धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई। तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।

सामाजिक समरसता का केंद्र है गोरखनाथ मंदिर

गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं। यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है। यही नहीं, मंदिर परिसर में माह भर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है। मंदिर परिसर में नियमित रोजगार करने वालों से लेकर मेला में दुकान लगाने वालों तक, बड़ी भागीदारी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की होती है। उन्होंने कभी कोई भेदभाव महसूस नहीं किया बल्कि अपनेपन के भाव से विभोर होते रहते हैं। मेले में खरीदारी से लेकर मनोरंजन के साधनों तक भरपूर इंतज़ाम है। 

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