Gorakhpur: बिहार के ‘तेलगी’ ने खपा दिये करोड़ों के स्टॉप, ऐसे ऑपरेट करता था सिस्टम
Gorakhpur News: बिहार के तेलगी ने करोड़ों रुपये के स्टॉप खपा दिये हैं। बिहार में छपने वाला जाली स्टॉप यूपी समेत कई राज्यों में खपाया जा रहा था।
Gorakhpur News: नब्बे के दशक में जाली स्टॉप से पूरे देश के सिस्टम पर सवाल खड़े करने वाले अब्दुल करीम तेलगी के फालोअर अभी भी जिंदा है। गोरखपुर पुलिस द्वारा करोड़ों रुपये के जाली स्टॉप के साथ गिरफ्तार 7 लोगों ने जो कुछ उगला है उससे साफ है कि बिहार के तेलगी ने करोड़ों रुपये के स्टॉप खपा दिये हैं। बिहार में छपने वाला जाली स्टॉप यूपी समेत कई राज्यों में खपाया जा रहा था।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि पकड़े गए दोनों सप्लायरों में 84 साल का मोहम्मद कमरूद्दीन और उसका नाती साहेबजादे है। दोनों सिवान जनपद के मोफस्सिल नई बस्ती के रहने वाले हैं। दोनों ने जाली स्टांप का प्रिंटिंग प्रेस लगाया था। कमरूद्दीन ने अपने ससुर से जाली नोट की छपाई सीखी थी। उसके बाद उसने अपने बेटे और नाती को भी सिखा दिया था। कमरूद्दीन के नाती साहेबजादे ने तो स्टांप के सिक्योरिटी फीचर पर आधारित कोर्स भी किया था। पुलिस के मुताबिक, बिहार प्रांत के सिवान में यह गिरोह जाली स्टांप की छपाई कर यूपी सहित कई राज्यों में सप्लाई देता था। स्टांप वेंडरों के माध्यम से बड़े पैमाने पर जाली स्टांप खपाया जा रहा था। दो सप्लायरों और पांच वेंडरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरोह ने अब तक कितने अरब का चूना लगाया इसकी जांच जारी है। इनके पास से न्यायिक व गैर न्यायिक करीब 1 करोड़ 52 हजार 30 रुपये के जाली स्टांप और प्रिंटिंग से सम्बन्धित उपकरण बरामद किए हैं। गिरफ्तार लोगों में दो सिवान, तीन कुशीनगर और एक-एक देवरिया, गोरखपुर के हैं। एसआईटी ने दोनों सप्लायरों के अलावा गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर के पांच स्टांप वेंडर को गिरफ्तार किया है। दोनों सप्लायरों के जरिए ये वेंडर खुद जाली स्टांप बेचने के साथ सप्लाई भी देते थे। यह गिरोह लम्बे समय से इस धंधे से जुड़ा हुआ है, ऐसे में यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी नेटवर्क होने की आशंका है।
40 साल से फर्जी स्टांप के धंधे में था कमरूद्दीन
मास्टर माईंड कमरूद्दीन पिछले 40 साल से इस धंधे में था। 84 वर्षीय मो. कमरुद्दीन ने जाली स्टांप छापने की बारीकियां अपने ससुर समसुद्दीन से सीखी थीं। लालच के चलते उसने अपने बेटे और नाती को भी जाली स्टांप के धंधे में उतार दिया। जाली स्टांप के मामले में कमरूद्दीन को 1986 व 2014 में बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कमरुद्दीन के जेल जाने के बाद जाली स्टांप एकदम असली जैसा लगे इसके लिए उसके नाती साहेबजादे ने सिक्योरिटी फीचर का कोर्स भी किया। साहेबजादे के कोर्स करने के बाद गिरोह को संभाल लिया और फिर धंधे को उसने बिहार के अलावा यूपी सहित अन्य राज्यों में फैलाना शुरू किया।
ऐसे खुला मामला
एक प्रकरण में न्यायालय में सिविल सूट दाखिल किया गया था। जिसमें कोर्ट फीस के रूप में 53,128 रुपये का स्टांप लगाया गया था। मुकदमे में मेरिट के आधार पर निस्तारण होने पर कोर्ट फीस वापस नहीं होती है। आरोपितों को इस बात की जानकारी थी, लिहाजा इसमें भी जाली स्टांप बेचा गया था। चूंकि उक्त वाद में सुलह-समझौते के आधार पर मुकदमे का निस्तारण लोक अदालत में हो गया। इसके बाद एआईजी निबंधन गोरखपुर के कार्यालय में 28 फरवरी 2023 को राजेश मोहन ने ऑनलाइन आवेदन कर कोर्ट फीस यानी स्टांप मूल्य वापसी (रिफंड) की अर्जी दी। जांच में पता चला कि पांच-पांच हजार के दस स्टांप कोषागार से जारी ही नहीं हुए हैं। कोषागार की तरफ से भारतीय प्रतिभूति मुद्राणालय, नासिक प्रयोगशाला से जांच कराई गई तो स्टांप