Gorakhpur News: छोड़िये तेल और बिजली, दीवाली में इस दीये को जलाने के लिए सिर्फ खोलनी होगी टोंटी

Gorakhpur News: गोरखपुर के मार्केट में इलेक्ट्रिक दीपक थोक में 10 रुपये में बिक रहा है। यह दीपक गुजरात और दिल्ली से आ रहा है। दुकानदार आलोक गुप्ता ने बताया कि दीपक में एक चिप लगा है। जो पानी के संपर्क में आकर जलता है।

Update: 2023-10-21 07:03 GMT

मार्केट में बिक रहा पानी से जलने वाला दिया (न्यूजट्रैक)

Gorakhpur News:  झालरों के मार्केट पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए चीन कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इस बार चीन ने मार्केट में ऐसा दीया उतारा है, जिसे रोशन करने के लिए न तो बिजली की जरूरत होगी और न ही तेल की। इसके लिए टोटी या हैंडपंप से पानी निकालना होगा। यानी यह पानी से जलेगा। थोक में 10 रुपये में मिल रहे इस दीये की खूब डिमांड है। कारोबारियों ने डिमांड को देखते हुए नये सिरे से दीयों को मंगाया है।

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गोरखपुर के मार्केट में इलेक्ट्रिक दीपक थोक में 10 रुपये में बिक रहा है। यह दीपक गुजरात और दिल्ली से आ रहा है। दुकानदार आलोक गुप्ता ने बताया कि दीपक में एक चिप लगा है। जो पानी के संपर्क में आकर जलता है। इसी के साथ राकेट लड़ी, मल्टी पिक्सल, कलश लैंप की भी मार्केट में अच्छी डिमांड है। रेती रोड के कारोबारी महेश अग्रवाल ने बताया कि कलश लैंप थोक में 70 से 80 रुपये में बिक रहा है। इसी तरह 10 मीटर वाली भारतीय लड़ी 50 रुपये में बिक रही है। रेती रोड और कोतवाली रोड से नेपाल, बिहार के साथ ही पूरे पूर्वांचल को झालरों की सप्लाई होती है। दिवाली में झालरों के कारोबार में चीन का एकाधिकार तोड़ने के लिए भारत की बड़ी कंपनियां भी उतर आई हैं। करीब आधा दर्जन बड़ी कंपनियों ने झालर मार्केट में दखल दिया है।

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चीनी कंपनियों को ब्रांडेड इंडियन कंपनियों की टक्कर

ब्रांडेड कंपनियां चीनी प्रोडक्ट को कीमतों में भी कड़ी टक्कर दे रही हैं। 15 मीटर की चीनी और भारतीय झालर की कीमत में सिर्फ 10 रुपये का अंतर है। कारोबारियों को इस दिवाली 10 करोड़ से अधिक के कारोबार की उम्मीद है। पिछले कुछ वर्षों में चीनी झालरों ने बाजार में मजबूत पकड़ बनाई है। लेकिन, कोरोना काल में चीन के प्रति लोगों के गुस्से के बाद भारत की बड़ी कंपनियों ने झालरों का निर्माण शुरू किया है। पहली बार 10 एमएम के बल्ब वाले झालर मार्केट में आ गए हैं। झालरों के बड़े कारोबारी अनिल मौर्या का कहना है कि चीन ने इस बार कीमत के साथ क्वालिटी पर भी ध्यान दिया है। लेकिन चीनी और भारतीय झालरों में 10 से 12% का ही अंतर है। 

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