Gorakhpur: ...बेटी मुझे माफ करना, डॉक्टर साहब! इसका हर एक अंग दूसरे बच्चे के लिए...ये शब्द बेबसी के या फिर...

Gorakhpur News: पत्र पर लिखे शब्द बेबस पिता के दर्द की इंतहा हैं या फिर खुद की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना। समाज इसे लेकर कुछ भी कहे, लेकिन पत्र के शब्द पढ़ लोगों की आंखें नम हो रही।

Update: 2024-07-20 02:10 GMT

 एक बच्ची कैंपस में मिली (photo: social media )

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को एक बच्ची कैंपस में मिली। बच्ची के पास पिता का लिखा हुआ एक पत्र था। पत्र मासूम के जन्मदिन 17 अगस्त 2022 लिखा गया है। पत्र में पिता ने लिखा है कि मुझे ढूंढ़ने की कोशिश न कीजिएगा, क्योंकि मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। बेटी का दिमाग सिकुड़ गया है, झटका आता है। सबसे पहले इसके कान का इलाज कर दीजिएगा। मेरी बेटी मुझे माफ करना। डॉक्टर साहब आप लोग माफ कीजिएगा, इसकी वजह से मेरी पत्नी और बच्चों की सेहत पर असर बहुत ज्यादा पड़ रहा है।

जाहिर है पत्र पर लिखे शब्द बेबस पिता के दर्द की इंतहा हैं या फिर खुद की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना। समाज इसे लेकर कुछ भी कहे, लेकिन पत्र के शब्द पढ़ लोगों की आंखें नम हो रही है। पत्र में आगे लिखा है कि डॉक्टर साहब! मुझे माफ करियेगा। मेरी बच्ची कभी सही नहीं हो पाएगी। दिल पर पत्थर रखकर हॉस्पिटल में इसलिए दे रहा हूं कि मेरी बेटी की वजह से दूसरे बच्चे की जान बच सके। इसका हर एक अंग किसी दूसरे बच्चे को लगा दीजिएगा। पत्र में उसने अपनी बेटी से भी माफी मांगी है। इस मजमून के साथ एक पत्र सहित अपनी बेटी को एक पिता शुक्रवार सुबह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में छोड़ गया। समाजशास्त्री डॉ.मनीष पांडेय कहते हैं कि दूर से बैठ कर पिता को गलत ठहराना ठीक नहीं है। उसकी आर्थिक परिस्थिति से लेकर इलाज को लेकर मोटा खर्च इसके लिए जिम्मेदार है। ऐसे मामलों को लेकर सरकार को प्रयास करना होगा। जबतक इलाज मंहगा रहेगा, सुलभ नहीं रहेगा। ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। पूरी घटना झकझोरने वाली है। ऐसे ही बीमार बच्चों को मां बाप छोड़ने लगे तो क्या होगा, इसकी कल्पना ही डराने वाली है।

बाल रोग विभाग के पास रोती मिली बच्ची

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 100 नम्बर वार्ड (पुराना बाल रोग विभाग) के पास परिवारीजन दो साल की मासूम बच्ची को छोड़कर चले गए थे। सुबह साफ-सफाई करने पहुंची महिला कर्मचारी नजमा ने बच्ची को रोते हुए देखा। उसने आसपास मौजूद लोगों से बच्ची के बारे पता किया। करीब दो घंटे ढूंढने पर कोई नहीं मिला तो महिला कर्मचारी ने मेडिकल कॉलेज चौकी पुलिस को सूचना दी। बच्ची के साथ एक झोले में दो जोड़ी कपड़े और हवाई चप्पल था। झोले में कागज का एक टुकड़ा भी मिला, जिसमें पिता ने अपनी बेबसी लिखी थी। कालेज के प्राचार्य डॉ. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि अस्पताल और संसाधन ऐसे ही जरूरतमंदों के लिए हैं। मासूम का निशुल्क इलाज बीआरडी में होगा। चाइल्ड लाइन जब चाहे उसे भर्ती करा सकती है।

बच्ची को प्रोविडेंस होम में रखा गया

गुलरिहा पुलिस ने चाइल्ड लाइन को सूचना दी। चाइल्ड लाइन से अमित कुमार त्रिपाठी और संगीता दोपहर करीब ढाई बजे बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे। लिखापढ़ी कर पुलिस ने बच्चे को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। बच्ची को गुलरिहा स्थित प्रोविडेंस होम में रखा गया है।

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