Gorakhpur News: गोरखपुर घुमने आ रहे हैं! आपके स्वागत को तैयार हो गई रामगढ़झील, ये सुविधाएं आपको दिवाना बन देगीं
Gorakhpur News: पिछले छह साल में हर महीने झील में नई सुविधा शुरू हो रही है। शिकारा, स्पीड बोट, पैडल बोट के बाद अब इस झील में आस्ट्रेलियन क्रूज और तैरते रेस्त्रां के संचालन की तैयारी है। इसके एक किलोमीटर के दायरे में एक फाइव स्टार होटल संचालित है।;
रामगढ़ झील में क्रूज का ट्रायल (Newstrack)
Gorakhpur News: दस साल पहले 1700 एकड़ में फैले रामगढ़झील को लेकर किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यहां आस्ट्रेलियन क्रूज से लेकर तैरते रेस्त्रां का आनंद लिया जा सकेगा। यहां शिकारा, स्पीड बोट से लेकर एडवेंचर्स स्पोर्ट्स की राह खुलेगी। लेकिन, सांसद से लेकर बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से रामगढ़झील पूर्वांचल के सैलानियों की पसंदीदा जगह बन गई है। आम लोग हों या फिर देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति, सभी इसकी प्राकृतिक छटा को देखने के लिए खिंचे चले आ रहे हैं। कभी शहर का डस्टबिन या गटर कहे जाने वाली झील से करोड़ों की कमाई संग सैकड़ों को रोजगार भी मिला हुआ है। यदि, आप गोरखपुर आने की प्लानिंग कर रहे हैं तो गीता प्रेस, गोरखनाथ मंदिर, कुसम्ही जंगल के साथ ही रामगढ़झील की सुविधाएं आपको दिवाना कर देगीं।
पिछले छह साल में हर महीने झील में नई सुविधा शुरू हो रही है। शिकारा, स्पीड बोट, पैडल बोट के बाद अब इस झील में आस्ट्रेलियन क्रूज और तैरते रेस्त्रां के संचालन की तैयारी है। इसके एक किलोमीटर के दायरे में एक फाइव स्टार होटल संचालित है। एक सेवा देने को तैयार है और दो होटल को लेकर काम चालू है। वहीं, छोटे रेस्टोरेंट की तो भरमार हो गई है। आर्किटेक्ट आशीष श्रीवास्तव कहते हैं कि ‘झील तक आने पर लोगों को मनोरंजन के साथ ही चिड़ियाघर का भी पैकेज मिल रहा है। स्ट्रीट फूड के साथ हाईफाई रेस्टोरेंट में लोग मनपंसद व्यंजन का आनंद ले रहे हैं।’ झील में म्यूजिकल फाउंटेन से लेकर अन्य प्राकृतिक छंटा को देखने के लिए रोज 4 से 6 हजार लोग पहुंच रहे हैं।
फास्ट फूड की कई दुकानें खुल गईं
पैडलेगंज के मुख्य द्वार पर ही फास्ट फूड की अच्छी दुकानें खुल गई हैं। दो किलोमीटर लंबाई में 6 करोड़ खर्च कर तैयार हुई रेलिंग के इर्द-गिर्द जोड़े झील की लहरों का आनंद लेते दिखते हैं। झील में कई स्थानों पर प्लेटफार्म बनाये जा रहे हैं। जहां लोग झील का नजदीक से दीदार कर सकते हैं। झील किनारे कालोनियों के बीच गुजरने वाली वाटर बॉडी की सफाई भी की जा रही है। प्राधिकरण इस योजना पर 10 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी फाइव स्टार होटल को संचालकों को सौंपी जा सकती है।
जल्द क्रूज का शुभारंभ करेंगे सीएम योगी
रामगढ़झील में लग्जरी क्रूज का संचालन जल्द होने वाला है। सीएम योगी 26 नवम्बर को इसका शुभारंभ कर सकते हैं। इसका ट्रायल पूरा हो चुका है। बेंगलुरू में मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले गोरखपुर के शांतनु का कहना है कि ‘पहले गोरखपुर को लेकर कोई उत्साह नहीं रहता था। अब दोस्त रामगढ़झील से लेकर चिड़ियाघर के दीदार की इच्छा रखते हैं। शहर के बाहर शहर की चर्चा पर काफी खुशी होती है।
कमाई और रोजगार साथ-साथ
मछली आखेट, तैरते रेस्टोरेंट, क्रूज, वाटर स्पोर्ट्स आदि से प्राधिकरण से लेकर पर्यटन विभाग को 15 करोड़ से अधिक की सलाना कमाई हो रही है। वर्तमान में रेस्टोरेंट, बोट से लेकर ठेला आदि से 1000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सिर्फ मछली पकड़ने का अधिकार बेचकर जीडीए हर साल 5.50 करोड़ की कमाई कर रहा है। इसके साथ ही शिकारा, स्पीड बोट, पैडल बोट आदि से प्राधिकरण को सालाना 3 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हो रही है। फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के लिए करीब चार लाख 52 हजार रुपये प्रति महीने किराये की बोली लगी है। पार्किंग में दुकानों को बना रहे संजय अग्रवाल का कहना है कि प्रयास है कि झील किनारे लोग चांदनी चौक जैसे बाजार का आनंद उठा सके। नये साल में यह बाजार गुलजार हो जाएगा।
1000 से अधिक को रोजगार
रामगढ़झील में बोटिंग, शिकारा, स्पीड बोट, रेस्टोरेंट आदि के बहाने 200 से अधिक को सीधा रोजगार मिला हुआ है। पैडलेगंज से लेकर नौकायत केन्द्र तक 200 से अधिक फास्ट फूड सेंटर और और ठेलों पर काम से 600 से 800 को रोजगार मिला हुआ है। झील के सामने एक फाइव स्टार होटल तो खुल ही रहा है, कई रेस्टोरेंट खुल भी गए हैं। एक रेस्टोरेंट के संचालक राहुल सिंह का कहना है कि ‘रामगढ़झील पूरे पूर्वांचल में सैलानियों के आकर्षण का बड़ा केन्द्र है। अभी यहां जितना विकास होना है, उसका 20 फीसदी भी नहीं होना है। इस इलाके की तरक्की की कल्पना करना अभी मुश्किल है।
रामगढ़झील का अतीत स्वर्णिम है
गोरखपुर का प्राचीन नाम कभी रामग्राम भी था। इसे लेकर ही प्राकृतिक झील को नाम रामगढ़ ताल पड़ा है। जनश्रुतियों एवम् बौद्ध ग्रंथों से पता चलता है कि यह प्राचीन समय छठी शताब्दी में नागवंशी कोलिय गणराज्य की राजधानी थी। इसी वंश की गौतम बुद्ध की माता और उनकी पत्नी थीं। इसलिए प्राचीन काल में गोरखपुर का प्राचीन नाम रामग्राम भी था। यहां कोलीय गणराज्य स्थापित था। उन दिनों राप्ती नदी आज के रामगढ़ ताल से ही होकर गुजरती थी। बाद में राप्ती नदी की दिशा बदली तो उसके अवशेष से रामगढ़ ताल अस्तित्व में आ गया।
रामग्राम से ही ताल को नाम रामगढ़ पड़ा। रामगढ़ ताल को लेकर एक और जनश्रुति है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ताल के स्थान पर एक विशाल नगर था, जो किसी ऋषि के श्राप में फंस गया। नगर ध्वस्त हो गया और वहां ताल बन गया। शुरुआती दौर में यह तालाब छह मील लंबा और तीन मील चौड़ा था तब इसका दायरा 18 वर्ग किलोमीटर था।