Gorakhpur News: मूक बधिरों के लिए होगी एक सांकेतिक भाषा, CRC में हुआ 10 हजार से अधिक शब्दों का अनुवाद

Gorakhpur News: मूक-बधिरों के संवाद की सहजता के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र , दिल्ली यह शब्दकोश तैयार कर रहा है।

Update:2024-09-23 07:15 IST

International Day of Sign Languages  (photo: social media ) 

Gorakhpur News: 23 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। मूक बधिरों के लिए राज्य और जिलों में संकेत की भाषा अब एक होगी। केरल से लेकर बंगाल तक एक भाषा होने से काफी सहूलियत होगी। राज्यों की सीमा बदलने के बावजूद मूक-बधिर दिव्यांग एक जैसी संकेत भाषा का प्रयोग कर सकेंगे। इसे लेकर देश की अलग-अलग भाषाओं का एकीकृत शब्दकोश तैयार किया जा रहा है। गोरखपुर के क्षेत्रीय निदान केंद्र को हिन्दी में अनुवाद की जिम्मेदारी मिली है।

मूक-बधिरों के संवाद की सहजता के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र , दिल्ली यह शब्दकोश तैयार कर रहा है। इसमें गोरखपुर का समेकित क्षेत्रीय निदान केंद्र (सीआरसी) का भी योगदान लिया जा रहा है। संकेत भाषा शब्दकोश के लिए गोरखपुर सीआरसी ने करीब 10500 शब्दों का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया है और यह कार्य अभी जारी है। सीआरसी के निदेशक जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि एक ही शब्दकोश में सभी भारतीय भाषाएं होगी। इसके लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र देशभर के सीआरसी से मदद ले रहा है। संकेत तय करने की जिम्मेदारी केंद्रीय संस्थान की होगी। गोरखपुर सीआरसी पहले चरण में 10386 शब्दों और दूसरे फेज में 50 शब्दों का अनुवाद कर चुका है। डॉ. संजय कुमार ने बताया कि इस शब्दकोश की मदद से सामान्य व्यक्ति भी मूक-बधिरों से संवाद कर सकता है। अब तक हर भाषा के 13500 से अधिक शब्द इस शब्दकोश में जोड़े जा चुके हैं। इनमें कृषि, विज्ञान, सामान्य दिनचर्या, स्थल, पर्यटन और कानूनी प्रचलित नाम शामिल हैं। इसका दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है। यह शब्दकोश पूरी तरह निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।

गोरखपुर CRC को मिली हिन्दी अनुवाद की जिम्मेदारी

मूक- बधिरों के संवाद की सहजता के लिए एक शब्दकोश तैयार किया जा रहा है। गोरखपुर सीआरसी के निदेशक जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि देश के अलग-अलग प्रांतों में विविध भाषाएं प्रचलित हैं। इससे जब मूक-बधिर दिव्यांग दूसरे राज्यों में जाते हैं तो उन्हें संकेत समझने में दिक्कत होती है। वे सहजता से संवाद नहीं कर पाते। इस समस्या का हल निकाला गया है। मूक- बधिरों के लिए शब्दकोश तैयार किया जा रहा है, जिसमें उनके लिए संकेत तय रहेंगे। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. संजय कुमार ने बताया कि देश में संकेत भाषा का कोई शब्दकोश नहीं था। इसे ध्यान में रखते हुए देश में पहली बार इस प्रकार का शब्दकोश बनाने का अभियान शुरू हुआ। इस शब्दकोश को डेफ एक्सपर्ट ही तैयार करते हैं।

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