Gorakhpur News: गोरखपुर एम्स में AI की मदद से हुई सर्जरी से ‘सुंदर’ हो गया छात्रा का चेहरा
Gorakhpur News: कुशीनगर की छात्रा 11 साल से बेहद दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी। एम्स के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेश कुमार ने बताया कि छात्रा बेहद दुर्लभ बीमारी हेमा मैंडीबुलर हाइपरप्लेशिया से पीड़ित थी।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश का गोरखपुर एम्स सिर्फ विवादों में ही नहीं है। कुछ अच्छे काम भी कर रहा है। जिससे देश में सुर्खियां मिल रही है। ऐसा ही काम एम्स के चिकित्सकों ने 11 वर्ष की छात्रा के विकृत चेहरे को सुंदर बनाकर किया है। इसके लिए Artificial Intelligence (AI) का इस्तेमाल किया गया। अब कई अन्य मरीजों का विकृत चेहरे को ठीक करने की तैयारी है।
कुशीनगर की छात्रा 11 साल से बेहद दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी। एम्स के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेश कुमार ने बताया कि छात्रा बेहद दुर्लभ बीमारी हेमा मैंडीबुलर हाइपरप्लेशिया से पीड़ित थी। यह बीमारी एक लाख में एक को होती है। इसमें धीरे-धीरे चेहरा बड़ा और टेढ़ा होने लगता है। समय पर इलाज न मिलने से एक तरफ का चेहरा बड़ा होता चला जाता है। इसकी वजह से मरीज को सांस लेने से लेकर खाने और दांतों में दिक्कत हो जाती है। एम्स में पहली बार इस बीमारी में दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए बिना चीरा-टांका लगाए सर्जरी की गई। विदेशों में इस तकनीक का इस्तेमाल रहा है। इस सफल सर्जरी के बाद एम्स में अब एआई का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे जटिल सर्जरी में भी कम समय लगेगा और चीरा-टांके की जरूरत न के बराबर होगी। एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि सफल सर्जरी के बाद यह फैसला लिया गया है कि दंत रोग विभाग में एआई तकनीक का इस्तेमाल मरीजों पर किया जाएगा। धीरे-धीरे सर्जरी सहित अन्य विभागों में यह तकनीक इस्तेमाल में लाई जाएगी। इससे मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी।
ऐसे किया गया एआई का इस्तेमाल
डॉ. शैलेश ने बताया कि एआई की मदद से रेडियोग्राफ और इंट्राऑरल स्कैन जैसे दांतों के चित्रों का विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद डाटा, केस की हिस्ट्री के आधार पर इलाज की तैयारी की जाती है। यह भी देखा जाता है कि सर्जरी के बाद मरीज का दांत, मुंह और चेहरा कैसा दिखेगा। यह दंत रोग चिकित्सकों के लिए बेहतर और उपयुक्त तकनीक है। डॉ. शैलेश ने बताया कि एआई तकनीक का इस्तेमाल कर पहले चेहरे को विशेष तरह से कंप्यूटराइज्ड स्कैन किया गया। फिर सर्जिकल ऑपरेशन सॉफ्टवेयर की सहायता से सर्जिकल कटिंग गाइड बनाई गई। इसके बाद सटीक और सही समय में ऑपरेशन किया गया।