Gorakhpur News: दीक्षांत में आगे दिखने के लिए DDU में बांट दीं डिग्रियां, 87 हजार नहीं पा सके मार्कशीट
Gorakhpur News: कुल 87 हजार विद्यार्थियों की तरह ही टॉपर्स भी अंक पत्र नहीं पा सके हैं। प्रशासन का कहना है कि मार्कशीट छपकर आने और वितरित होने में करीब एक महीने का समय लग सकता है।
Gorakhpur News: पहले यूनिवर्सिटी में मार्कशीट मिलने के सालों तक छात्र-छात्राओं को डिग्री के लिए दौड़ लगानी पड़ती थी। अभी भी तमाम छात्र ऐसे हैं जिनके पास डिग्री नहीं है। लेकिन गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में अब उल्टी ही गंगा बह रही है। दीक्षांत में टाइम टेबल ठीक करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने डिग्री तो बांट दी लेकिन अभी तक हजारों छात्रों को अभी तक मार्कशीट नहीं मिल सकी है।
टॉपर्स को मिली डिग्रियां
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सत्र 2023-23 के टॉपर्स को डिग्रियां मिल गईं, दीक्षांत के मंच से कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के हाथों स्वर्ण पदक भी मिल चुका है। कुल 87 हजार विद्यार्थियों की तरह ही टॉपर्स भी अंक पत्र नहीं पा सके हैं। प्रशासन का कहना है कि मार्कशीट छपकर आने और वितरित होने में करीब एक महीने का समय लग सकता है। इतना ही नहीं सत्र 2022 और 2023 के बैक और आईएनसी के विद्यार्थी अभी भी परीक्षा विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। स्थिति यह है कि सत्र 2022 और 2023 की डिग्रियां भी अभी अटकी हुई हैं। परीक्षा नियंत्रक ने दावा किया कि सत्र 2022 की करीब सभी डिग्रियां कॉलेजों को पहुंच गई हैं। सत्र 2023 की ज्यादातर डिग्रियां छपकर आ गई हैं, सम्बंधित कॉलेज जल्द से जल्द डिग्रियां ले जाएं।
मार्कशीट नहीं होने से प्रवेश में हो रही दिक्कत
डीडीयू में 30 अगस्त को 43वां दीक्षांत समारोह था। इसमें स्नातक और परास्नातक के कुल 87359 छात्र-छात्राओं के उत्तीर्ण होने की घोषणा की गई थी। दीक्षांत के मंच से टॉपर्स को डिग्री और स्वर्ण पदक प्रदान किए गए थे। आधुनिकतम तकनीक के माध्यम से जिस तरह के प्रयास के दावे किए गए थे, उससे लगा था कि जल्द ही सभी विद्यार्थियों को मार्कशीट और डिग्री मिल जाएगी। लेकिन स्थिति यह है कि अन्य छात्रों की तरह ही टॉपर्स की मार्कशीट भी छपकर नहीं आ सकी है। टॉपर्स के पास मेडल है, डिग्री है सिर्फ मार्कशीट नहीं है। छात्रों का कहना है कि मार्कशीट नहीं होने से दूसरे कॉलेजों में प्रवेश लेने में दिक्कत हो रही है। छात्र रमेश श्रीवास्तव का कहना है कि दूसरे विश्वविद्यालयों में जो विद्यार्थी एडमिशन कराने जाते हैं, वहां से मार्कशीट और प्रोविजनल (डिग्री का वैकल्पिक) मांगा जाता है। मार्कशीट नहीं होने के कारण विद्यार्थी ऑनलाइन प्रिंट कराकर परीक्षा विभाग में जाते हैं। एजेंसी से मुहर लगने के बाद परीक्षा नियंत्रक का दस्तखत होता है। यह प्रक्रिया अस्थाई और बेहद पेचीदा है।
पांच लाख अंकपत्र होने हैं प्रिंट
यूजी और पीजी उत्तीर्ण कर चुके विद्यार्थियों को एक भी सेमेस्टर की मार्कशीट की हार्डकॉपी नहीं मिली है। यूजी के विद्यार्थियों को छह से आठ सेमेस्टर के मार्कशीट मिलनी हैं। इसी तरह पीजी छात्रों को चार सेमेस्टर की मार्कशीट मिलनी हैं। यानी 87 हजार विद्यार्थियों के सभी सेमेस्टर के मिलाकर करीब 5 लाख मार्कशीट छपनी हैं। परीक्षा नियंत्रक डॉ.कुलदीप सिंह का कहना है कि बीकॉम का अंक पत्र छप गया है। अन्य विषयों का अंकपत्र भी जल्द ही छप जाएगा। इसी महीने यूजी और पीजी की सभी मार्कशीट कॉलेजों को प्रिंट कराकर उपलब्ध करा दी जाएंगी। उसके बाद डिग्री भी जल्द ही छपकर आ जाएगी। पीजी की मार्कशीट में विलंब का कारण एनरोलमेंट में आया इश्यू है।