VIDEO: 70 साल का ससुर प्रेग्नेंट बहू को कंधे पर लेकर घूमता रहा, बगैर इलाज मौत

कई घंटे बाद ऑपरेशन शुरू हुआ। नवजात की मौत हो चुकी थी। उसे बाहर निकाला गया। लेकिन तब तक इन्फेक्शन फैल चुका था। जिला महिला हॉस्पिटल ने अंशु को वाराणसी रेफर कर दिया जहां उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों की लापरवाही के आगे दो जिंदगियों ने दम तोड़ दिया और एक उम्मीद हार गई।

Update: 2016-09-09 07:50 GMT

मिर्जापुर: सरकारी हॉस्पिटल की लापरवाही ने एक और गर्भवती महिला और उसके नवजात की जिंदगी छीन ली। 70 वर्षीय बुजुर्ग ससुर बहू को गोद में उठाए उसे बचा लेने के लिए संघर्ष करता रहा, भटकता रहा, लेकिन किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी। बहू और पोता जिंदगी की जंग हार गए तो बुजुर्ग ससुर ने भी व्यवस्था के सामने हार मान ली।

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लापरवाह हॉस्पिटल

-रविवार को गेरुआ गांव निवासी अंशु पाण्डेय को जिला महिला हॉस्पिटल पहुंचाया था।

-इमर्जेंसी में तड़के 3 बजे से सुबह 8 बजे तक अंशु प्रसव पीड़ा से कराहती रही। नर्स ड्रिप लगा कर चली गई।

-तड़पती अंशु को जब 5 घंटे तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया तो ससुर उसे एक प्राइवेट क्लीनिक में ले गया।

-गर्भवती की गंभीर हालत देख कर क्लीनिक ने उसे वापस सरकारी हॉस्पिटल भेज दिया।

दो जिंदगियों ने तोड़ा दम

-जिला महिला हॉस्पिटल में स्ट्रेचर नहीं मिला तो ससुर जिंदगी की उम्मीद में बहु को गोद में उठाए भटकता रहा। लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

-मीडिया के हस्तक्षेप के बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सक्रिय हुए, तब घंटों बाद डॉ. शशि मिश्रा आईं और मीडिया को देख कर भड़क उठीं।

-कई घंटे बाद ऑपरेशन शुरू हुआ। नवजात की मौत हो चुकी थी। उसे बाहर निकाला गया। लेकिन तब तक इन्फेक्शन फैल चुका था।

-जिला महिला हॉस्पिटल ने अंशु को वाराणसी रेफर कर दिया जहां उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों की लापरवाही के आगे दो जिंदगियों ने दम तोड़ दिया और एक उम्मीद हार गई।

-मायूस ससुर ने बहू और पोते की मौत के लिए जिला महिला हॉस्पिटल के डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है।

-प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी संजय पाण्डेय के अनुसार इमर्जेंसी में 24 घंटे किसी डॉक्टर की ड्यूटी रहती है। अब यह देखना अधिकारियों का काम है कि दो मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है।

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