UP News: यूपी के टेली ICU की निगरानी करेगा कानपुर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, जानिए क्या आसान होगा इलाज?

UP News: शासन के निर्देश पर मेंटर की भूमिका कानपुर निभाएगा और इमरजेंसी की मॉनीटरिंग होगी। टेली मेडिसिन और टेली आईसीयू के जरिए गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज की कवायद।

Update: 2023-07-23 15:41 GMT

UP News: टेली आईसीयू के जरिए अब अस्पतालों में भर्ती गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज दिया जाएगा और इसकी निगरानी जीएसवीएम करेगा। शासन ने कानपुर मेडिकल कॉलेज को मेंटर बनकर यूपी के सभी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को सलाह देने का जिम्मा सौंपा है। जीएसवीएम को इसके लिए 40 सिस्टम दे भी दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में निर्देश दिए थे कि जहां विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं पहुंच पा रहे, वहां टेली मेडिसिन और टेली आईसीयू के जरिए गंभीर मरीजों को बचाने की कोशिश की जाए ताकि मरीजों को मौके पर ही अच्छा इलाज मिल सके। फैसले के तहत मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर दूसरे जिलों में खुले सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी की मॉनीटरिंग करेंगे। आईसीयू में भर्ती मरीजों के इलाज की गाइडलाइन भी तय करेंगे। टेली आईसीयू 24 घंटे चलाने के लिए रोटेशन में विशेषज्ञों को जिम्मेदारी दी जाएगी। अभी तक यह जिम्मेदारी एसजीपीजीआई को दी गई है पर अब पीजीआई जीएसवीएम के डॉक्टरों को इसके संचालन की ट्रेनिंग देगा। ट्रेनिंग मिलने के बाद जीएसवीएम के डॉक्टरों के लिए टेली आईसीयू का अलग ब्लॉक बनाया जाएगा। प्राचार्य ने विभागवार कमेटी गठित कर दी है।

इन विभागों की चलेगी टेली आईसीयू

- न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, सर्जरी, इमरजेंसी मेडिसिन, बाल रोग, स्त्री रोग विभाग, मेडिसिन, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी
क्यों पड़ रही जरूरत
- सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की लगातार हो रही कमी
- आबादी बढ़ते के साथ स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग
- विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क कर गंभीर मरीज का तत्काल इलाज

प्रो. संजय काला, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अनुसार शासन ने टेली आईसीयू के संचालन की जिम्मेदारी दी है। सिस्टम लगने के बाद जल्द ही ट्रेनिंग का काम शुरू होगा, उसके बाद यहां के विशेषज्ञ मेंटर की भूमिका निभाएंगे। मरीजों की हालत पर मंत्रणा के बाद इलाज की गाइडलाइन तय होगी।

क्या होता है टेली आईसीयू

टेली आईसीयू के जरिए दूरदराज के हिस्सों में लोगों को चिकित्सकीस सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसका मतलब दूर के अस्पतालों में नर्सों, डॉक्टरों और गहन चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम को ऑडियो-विज़ुअल और रोगी निगरानी उपकरणों के माध्यम से सुपरस्पेशियलिस्ट के साथ बहु विशिष्ट सुविधा के संसाधनों से जोड़ना है।

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