गुजरात चुनाव का दूसरा चरण, मोदी और शाह के लिए कड़ी चुनौती

देश की निगाहें गुजरात पर लगी है। दुनिया भी इस चुनाव को बड़ी गंभीरता से देख रही है और अपने ढंग से लोग आंकड़ों की गणित समझने की कोशिश कर रहे हैं। आज दूसरे चरण के लिए उत्तर और मध्य गुजरात के 14 जिलों की 93 सीट के लिए वोट डाले जा रहे हैं।

Update: 2017-12-14 08:07 GMT

संजय तिवारी

लखनऊ: देश की निगाहें गुजरात पर लगी है। दुनिया भी इस चुनाव को बड़ी गंभीरता से देख रही है और अपने ढंग से लोग आंकड़ों की गणित समझने की कोशिश कर रहे हैं। आज दूसरे चरण के लिए उत्तर और मध्य गुजरात के 14 जिलों की 93 सीट के लिए वोट डाले जा रहे हैं।

खास बात यह है कि इन सीटों में मोदी के गृहनगर वडनगर की सीट के अलावा डिप्टी सीएम नितिन पटेल की मेहसाणा और अल्पेश ठाकुर की वाव सीट भी शामिल है। साल 2012 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इन 93 सीटों में से 52 और कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थी। यहीं वह क्षेत्र है जहां पिछले काफी वक्त से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर आंदोलन और रैली करते रहे हैं। इन 93 में से 33 सीटें ओबीसी और 15 सीटें पाटीदार बहुल हैं।

उल्लेखनीय है कि हार्दिक और अल्पेश दोनों ने कांग्रेस को समर्थन किया है। यह भी देखने वाली बात है कि पहले फेज में 66.75% वोटिंग हुई थी, जो पिछली बार से 4% कम थी। आज का वोट प्रतिशत क्या होगा , यह भी इस चरण के परिणाम पर असर डालने वाला होगा।

अहमदाबाद की 21 सीटों में से बीजेपी के लिए यहां की 14 सीटें बचाने की चुनौती है। बता दें 2012 में नरेंद्र मोदी इसी सीट से 86 हजार की लीड से चुनाव जीते थे। यह चुनाव मोदी और राहुल गांधी के लिए इमेज की लड़ाई के साथ-साथ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के लिए 'करो या मरो की जंग’ वाला माना जा रहा है। आज उस सीट पर भी वोट डाले जा रहे हैं, जहां से 2012 में बीजेपी की आनंदीबेन पटेल 1 लाख 10 हजार से अधिक वोट से जीती थी। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आज का चुनाव कई सन्देश देने वाला है। वैसे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी यह बहुत बड़ी चुनौती है। राहुल गांधी की कड़ी मेहनत और हार्दिक पटेल तथा अल्पेश जैसे युवा नेताओ से मिल रही टक्कर से कमर बचेगी या रौंदा जाएगा, यह गुजरात के लोग आज तय कर देंगे।

प्रतिष्ठापूर्ण 15 सीटों का गणित

1 -मणिनगर:

इस सीट पर प्रधानमंत्री मोदी की छाप मिटाना कांग्रेस के लिए चुनौती है। यहां से 2012 में मोदी 86,000 की लीड से जीते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद इस सीट पर सुरेश पटेल को 49 हजार की लीड मिली थी। कांग्रेस उम्मीदवार श्वेता ब्रह्मभट्‌ट काे मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने सुरेश पटेल को रिपीट किया है।

यह भाजपा का पारंपरिक गढ़ और संघ का मुख्यालय भी मना जाता है।

जातिगत वोट (%) : एससी-21, पटेल-21

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 50%

2 -घाटलोडिया:

यहाँ पिछले चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ी लीड मिली थी। इस बार उस सबसे बड़ी लीड को बनाए रखने की चुनौती है। 2012 में भाजपा की आनंदीबेन पटेल 1 लाख 10 हजार से अधिक वोट से जीती थी। इस बार आनंदीबेन चुनाव नहीं लड़ रही हैं। आनंदीबेन के करीबी भूपेंद्र पटेल को भाजपा ने मैदान में उतारा है। कांग्रेस के शशिकांत पटेल उन्हें टक्कर दे रहे हैं। इसे भाजपा की सेफ सीट माना जाता है, यहां पाटीदार वोटर अधिक हैं।

जातिगत वोट (%) : पटेल-23, रबारी-12

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 71.58%

3 -वेजलपुर:

यहां लड़ाई कठिन दिख रही है। इस सीट पर मुस्लिम वोटर अहम भूमिका निभा सकते हैं। 2012 में कांग्रेस के मुतुर्जा खान पठान को इस सीट पर 72,522 वोट मिले थे इसके बावजूद भाजपा के किशोरसिंह चौहान 40,985 की लीड से चुनाव जीत गए थे। कांग्रेस ने इस बार मिहिर शाह को उतार कर भाजपा को टक्कर देने की कोशिश की है।

यहाँ सवर्णों के अलावा ओबीसी, ठाकोर व मुस्लिमों की संख्या यहां ज्यादा है।

जातिगत वोट (%) : मुस्लिम- 35, पटेल-16

2012 में वोटिंग का प्रतिशत: 70.52%

4 -वटवा:

यहां कांग्रेस को उसी के बागियों से जूझना पड़ रहा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे अतुल पटेल इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने गृहमंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस से विपिन पटेल चुनाव लड़ रहे हैं। पटेल को दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विकसित इलाका होने के कारण यहां अनेक समस्याएं हैं। यहाँ से बीजेपी ने प्रदीप सिंह जडेजा और कांग्रेस ने बिपिन सिंह पटेल को मैदान में उतारा है।

जातिगत वोट (%) : मुस्लिम-18, अन्य-26

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 68.82%

5 -एलिसब्रिज:

यह भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली सीट है। पिछले 5 चुनाव से कांग्रेस यहां जीत नहीं पाई है। 2012 में भाजपा के राकेश शाह इस सीट पर 76,672 वोटों की लीड से जीते थे। कांग्रेस के उम्मीदवार कमलेश शाह को केवल 29,959 वोट ही मिले थे। कांग्रेस ने इस सीट पर उम्मीदवार बदलकर विजय दवे को मैदान में उतारा है। जैन, बनिया समाज के वोट इस सीट पर निर्णाणक होते हैं।

जातिगत वोट (%) : जैन-17, एससी-12

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 67.03%

6 -निकाेल:

इस सीट पर इस बार पाटीदार-ओबीसी फैक्टर निर्णायक होंगे। पाटीदारों की जनाधार वाली इस सीट पर कांग्रेस ने क्षत्रिय उम्मीदवार को उतारा है। भाजपा ने पिछले चुनाव में इस सीट को 48,712 की मार्जिन से जीती थी। पाटीदार आंदोलन के दौरान निकाेल में आरक्षण के मुद्दे पर उग्र रोष देखा गया था। यहाँ से भाजपा ने जगदीश पांचाल और कांग्रेस ने इन्द्रविजय गोहिल को मैदान में उतारा है। इस सीट पर पाटीदार और ओबीसी वोटर इस सीट पर अहम भूमिका में होंगे।

जातिगत वोट (%) : पटेल-26, अन्य-17

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 67.53%

7 -नरोडा:

इस सीट को बचाने के लिए बीजेपी को कठिन लड़ाई लड़नी है। 2012 में बीजेपी की निर्मलाबेन 58,352 मतों से जीती थीं। इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला है। बीजेपी ने इस सीट पर सिंधी समाज के नए चेहरे बलराम थवाणी को उतारा है। जबकि कांग्रेस ने हिन्दी समाज के ओम प्रकाश तिवारी को टिकट दिया है। सिंधी समाज, हिन्दी भाषी समाज के लोगों का इस सीट पर दबदबा है।

जातिगत वोट (%) : पटेल 25, अन्य-14

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 64.93%

8 -ठक्करबापा नगर :

यहां दो पाटीदार उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर है। पिछले चुनाव में वल्लभ काकडिया इस सीट पर 49 हजार मतों की लीड से चुनाव जीते थे। इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है। यहां सौराष्ट्र पटेल की आबादी ज्यादा है। कांग्रेस ने वल्लभ काकडिया के खिलाफ बाबू मांगुकिया को टिकट दिया है। इस बार बीजेपी-कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार लेउवा पाटीदार हैं।

जातिगत वोट (%) : पटेल-18, अन्य- 24

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 68.10%

9 -बापूनगर :

इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा, बीजेपी ने मौजूदा विधायक को रिपीट किया है जबकि कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया है। मुस्लिम जनाधार होने के कारण निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में हैं। 2012 में जगरूपसिंह 1600 मतों से जीते थे। पाटीदार अधिक होने के कारण कांग्रेस ने पाटीदार कार्ड आजमाया है। यहां बीजेपी से जगरूपसिंह राजपूत और कांग्रेस से हिम्मतसिंह पटेल मैदान में है।

जातिगत वोट (%) : मुस्लिम-28, पटेल-20

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 67.15%

10 -अमराईवाड़ी :

यहां पटेल और हिन्दी भाषी मतों में कड़ा मुकाबला होगा। 2012 में इस सीट पर हसमुख पटेल की 62,514 मतों से विजय हुई थी। बीजेपी ने उम्मीदवार को रिपीट किया है। यहां दलित और ओबीसी वोटर निर्णायक की भूमिका में होंगे। बीजेपी के पाटीदार और कांग्रेस के हिन्दी भाषी के बीच कांटे की टक्कर होगी।यहाँ सिंधी-हिन्दी भाषी समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है। यहाँ से भाजपा के हसमुख पटेल और कांग्रेस से अरविंद चौहान चुनाव लड़ रहे हैं।

जातिगत वोट (%) : एससी-21, अन्य- 27

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 65.59%

11 -दरियापुर :

इस बार यहाँ बीजेपी-कांग्रेस व निर्दलीय के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। 2012 में कांग्रेस के गयासुद्दीन शेख 2621 मतों से जीते थे। दोनों दलों बीजेपी-कांग्रेस ने उम्मीदवारों को रिपीट किया है। कांग्रेस का एक बागी उम्मीदवार भी मैदान में है। अल्पसंख्यक समाज के दो उम्मीदवार होने के कारण कांटे की टक्कर होगी। यहां अल्पसंख्यक समाज के वोटर उम्मीदवार का भाग्य तय करेंगे।

जातिगत वोट (%) : मुस्लिम-46, अन्य-17

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 70.09%

12 -जमालपुर :

इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत को बरकरार रखने की चुनौती है। पिछले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार में कांटे की टक्कर थी बीजेपी के भूषण भट्‌ट 6 हजार मतों से जीते थे। इस बार इस सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधी टक्टर है। बीजेपी के लिए जीत को बरकरार रखने की सबसे बड़ी चुनौती है।अल्पसंख्यक समाज के लोग निर्णायक की भूमिका में होंगे।

जातिगत वोट (%) : मुस्लिम-61, अन्य- 11

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 67.76%

13 -दाणीलिमड़ा:

यहां कांग्रेस के लिए सीट बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है। 2012 में इस सीट पर कांग्रेस के शैलेष परमार 14,301 मतों से चुनाव जीते थे। कांग्रेस के लिए इस सीट को सबसे सुरक्षित माना जाता है। यहां अल्पसंख्यक और दलित मत निर्णायक साबित होते हैं। बीजेपी ने इस बार इस सीट पर उम्मीदवार बदला है। अल्पसंख्यक और दलित वोटर उम्मीदवार का भाग्य तय करते हैं। बीजेपी से जीतू वाघेला और कांग्रेस से शैलेष परमार के बीच लड़ाई है।

जातिगत वोट (%) : मुस्लिम-48, एससी-21

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 67.99%

14 -साबरमती :

साबरमती सीट पर कांग्रेस ने इस बार उम्मीदवार बदला है। जबकि भाजपा ने 2012 में 67,583 मतों की लीड़ से चुनाव जीतने वाले अरविंद पटेल को रिपीट किया है। कुछ क्षेत्रों में पाटीदार का जनाधार होने से कांग्रेस ने पाटीदार को मौका दिया है। यहाँ पाटीदार, ओबीसी, दलित समाज के लोग महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।

जातिगत वोट (%) : पटेल-22, अन्य-21

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 69.60%

15 असारवा :

इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। 2012 में इस सीट पर आरएम पटेल की 35 हजार की लीड से विजय हुई थी। बीजेपी के लिए इस बार इस सीट को बरकरार रखने की कड़ी चुनौती है। यह सीट एससी कैटेगरी में है। दलित, ओबीसी मतदाताओं का इस सीट पर निर्णायक हैं।

जातिगत वोट (%) : एससी-22, अन्य-16

2012 में वोटिंग का प्रतिशत : 67.24%

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