कोरोना वारियर्स प्रतियोगिता: हाथ रहेंगे जितने साफ, बीमारियां रहेंगी उतनी दूर

उन्होंने कहा कि इस साल के ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे की थीम ‘सभी के लिए स्वच्छ हाथ’ निर्धारित की गई है। इस साल हम सभी ने हाथ की स्वच्छता के महत्व को बखूबी समझा है। 

Update:2020-10-14 18:01 IST
हाथ धोने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 15 अक्टूबर को हैंड वॉशिंग डे मनाया जाता है।

हमीरपुर : हर साल 15 अक्टूबर को मनाए जाने वाले हैंड वॉशिंग डे की पूर्व सन्ध्या पर बुधवार को जिला महिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने मुसाब फाउंडेशन संस्था के सहयोग से कोरोना वारियर्स के बीच सैनेटाइजेशन और हाईजीन जैसे मुद्दों को लेकर एक प्रतियोगिता कराई। प्रतियोगिता में अस्पताल की नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ के सदस्यों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के विजेता कोरोना वारियर्स के साथ-साथ उनके बच्चों को भी उपहार देकर सम्मानित किया गया।

 

जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर

 

हैंड वॉशिंग डे के मुद्दे पर चर्चा करते हुए जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ.फौजिया अंजुम ने कहा कि हमारे हाथों में न जाने कितनी अनदेखी गंदगी छिपी होती है, जो किसी भी वस्तु को छूने, उसका उपयोग करने और कई तरह के रोजमर्रा के कामों के कारण होती है। यह गंदगी, बगैर हाथ धोए कुछ भी खाने-पीने से आपके शरीर में पहुंच जाती है और कई तरह की बीमारियों को जन्म देती है। हाथ धोने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 15 अक्टूबर को हैंड वॉशिंग डे मनाया जाता है। इस दिन की स्थापना वर्ष 2008 में ग्लोबल हैंड वॉशिंग पार्टनरशिप द्वारा की गई, जिसका प्रयास साबुन से हाथ धोने के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है।

 

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लाइफ स्टाइल को बदला

कायाकल्प योजना की मण्डलीय क्वालिटी सलाहकार डॉ.तरन्नुम ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने लोगों की लाइफ स्टाइल को बदला है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हाथ धोना भी कारगर तरीका है। उन्होंने कहा कि इस साल के ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे की थीम ‘सभी के लिए स्वच्छ हाथ’ निर्धारित की गई है। इस साल हम सभी ने हाथ की स्वच्छता के महत्व को बखूबी समझा है।

 

स्वास्थ्य कर्मियों महिला अस्पताल

मुसाब फाउंडेशन के सह संस्थापक शारिक शेजान ने बताया कि कोरोना की वजह से स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार भी प्रभावित हुए हैं। खासतौर से ऐसे स्वास्थ्य कर्मी जिनके बच्चे छोटे थे, वह अभी तक इस संकट की घड़ी में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए संस्था ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ उनके बच्चों को भी उपहार देकर हौसला बढ़ाया है।

प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मियों महिला अस्पताल की नर्से, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, वार्ड आया और उनके परिवार के बच्चों को उपहार दिए गए। प्रतियोगिता में इंफेक्शन कंट्रोल और हाईजीन जैसे विषयों पर सवाल पूछे गए थे। इस मौके पर डॉ.आशा सचान, डॉ.पूनम सचान सहित अन्य डॉक्टर्स व पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद रहा।

 

सोशल मीडिया से फोटो

 

 

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हाथ धोना कब-कब है जरूरी

शौच के बाद, खाना बनाने व खाने से पहले, मुंह, नाक व आंखों को छूने के बाद, खांसने व छींकने के बाद, घर की साफ-सफाई करने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति से मिलकर आने के बाद व पालतू जानवरों से खेलने के बाद।

 

क्या कहते हैं डॉक्टर

 

जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ.आरएस प्रजापति बताते हैं कि हाथ धोना स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का ही एक हिस्सा है। हर व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान रखना चाहिए। जिला महिला अस्पताल के नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आशुतोष निरंजन बताते हैं कि बड़ों की तुलना में बच्चे धूल में ज्यादा खेलते हैं। उनके हाथों में कीटाणु ज्यादा पाए जाते हैं। लिहाजा उनके हाथों की सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

 

रिपोर्टर रविंद्र सिंह

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