Hanuman Setu Temple: हनुमान सेतु मंदिर का स्थापना दिवस 26 जनवरी को आइए जानते श्रद्धा के केंद्र इस हनुमान मंदिर का इतिहास

Hanuman Setu Temple: गोमती नदी के किनारे पूज्य बाबा नीब करोरी जी महाराज द्वारा करीब 56 साल पहले हनुमान सेतु मंदिर बनवाकर श्रीहनुमान जी की सफ़ेद संगमरमर की आदमकद मूर्ति की स्थापना कराई गयी थी।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2023-01-25 07:30 IST

Lucknow Hanuman Setu Temple (Social Media)

Lucknow Hanuman Setu Temple: कला संस्कृति और आध्यात्म की नगरी लखनऊ का शायद ही कोई वाशिंदा हो जो लखनऊ विश्वविद्यालय के सम्मुख स्थित श्रद्धा के केंद्र हनुमान सेतु मंदिर के नाम से प्रख्यात सबका कष्ट क्षण में दूर करने वाले हनुमान जी की सजीव सी प्रतीत होती प्रतिमा के सामने श्रद्धा से न झुकता हो। शहर के प्रतिष्ठित हनुमान सेतु मंदिर में प्रभु दर्शन करके मानसिक शान्ति व सुकून और दिव्यता को महसूस किया जा सकता है। नियमित मंदिर आने वाले भक्तों का सुबह पांच बजे से ही तांता लगना आरंभ हो जाता है, कड़कड़ाती ठंड हो या झमाझम बारिश कोई भी मौसम इनके मंदिर आने के नियम के बीच बाधा नहीं बन सकता। अपने कलेजे में माता सीता और प्रभु राम को बसाय मंदिर में लगी हनुमान जी की मूर्ति को स्थिर मन से देखने पर लगता है कि प्रभु बोलने वाले हैं। सबका दुःख - संताप हरने वाले हनुमान जी का ज़ब मंदिर में भक्त प्रभु के नाम का जयकारा लगाते हैं तो सारा माहौल भक्तिमय हो जाता है।

गोमती नदी के किनारे पूज्य बाबा नीब करोरी जी महाराज द्वारा करीब 56 साल पहले हनुमान सेतु मंदिर बनवाकर श्रीहनुमान जी की सफ़ेद संगमरमर की आदमकद मूर्ति की स्थापना कराई गयी थी। धीरे - धीरे मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ती गयी। आज यह लखनऊ का सबसे स्थापित व लोगों का चहेता मंदिर बन गया। वैसे तो इस मंदिर में रोज सैकड़ों भक्त देवी - देवताओं के दर्शन करने आते हैं । लेकिन मंगलवार को सुबह से रात तक मंदिर में आने वाले भक्तों का ताँता लगा रहता है। दर्जनों भक्त वहीं बैठकर सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं।

मंदिर में श्रीहनुमान जी के अलावा, गणेश जी, लक्ष्मी जी, सरस्वती जी, शिव मंदिर, राम दरबार, दुर्गा जी के साथ ही, पूज्य बाबा नीब करोरी महाराज जी की भी दो बहुत आकर्षक मूर्तियां स्थापित हैं। बाबा जी की मूर्ति के सामने बड़े हॉल में अक्सर विभिन्न मंडलियों द्वारा संगीतमय भजन संध्या व सुंदरकांड आदि का पाठ निर्बाध रूप से अनवरत चलता रहता है । सैकड़ों भक्त घंटों बैठकर जिसका आनंद उठाते हैं। हर साल 26 जनवरी को मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

मंदिर ट्रस्ट की ओर से परिसर में ही बच्चों को वेदों की भी शिक्षा दी जाती है। यहां बच्चों की शिक्षा, आवास व भोजन की निःशुल्क व्यवस्था है।.मंदिर में विद्वान पंडितों द्वारा रुद्राभिषेक , महामृत्युँजय जाप व अन्य विशेष पूजा पाठ की भी व्यवस्था है।

हनुमान सेतु मंदिर के आचार्य चंद्रकांत द्विवेदी ने बताया कि 26 जनवरी 1967 में बाबा नीब करौरी ने हनुमान सेतु मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालु पत्र भेजकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

बड़े मंगल पर हर साल हजारों पत्र आते हैं जो हनुमान जी के चढ़ाने के बाद भूमि विसिर्जित कर दिए जाते हैं। बाबा नीब करौरी या नीम करौरी ने मंदिर निर्माण के दौरान कहा था कि हनुमान जी के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। यदि कोई श्रद्धालु दर्शन के लिए नहीं आ पाते हैं तो वह सच्चे मन से अपनी मनोकामनाएं पूर्ति हेतु बजरंग बली को पत्र भेजकर भी प्रार्थना करते हैं तो प्रभु उनकी प्रार्थना अवश्य स्वीकार करेंगे।

जब बाबा ने लोगों को बाढ़ की त्रासदी से बचाया

आचार्य चद्रकांत द्विपेदी ने बताया कि बाबा ने 60 के दशक में लखनऊ के लोगों को बाढ़ की त्रासदी से बचाया था। गोमती नदी के उफान को मंदिर निर्माण ने बचा लिया था और बाबा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाढ़ के सैलाब को शांत किया था। नदी पर पुल निर्माण के लिए भी बाबा का योगदान रहा है। पुल बनता और बार-बार गिर जाता था । तो बाबा ने अधिकारियों से मंदिर निर्माण कराने को कहा। कोलकाता के एक बिल्डर ने पुल के साथ मंदिर का निर्माण कराया ।लेकिन मंदिर की नींव पड़ने के बाद ही पुल बनकर तैयार हो सका।

26 जनवरी, 1967 को मंदिर बनकर तैयार होने के साथ दर्शन शुरू हो गए। सिद्ध संत बाबा नीब करौरी का जन्म 1900 के करीब माना जाता है। मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उनका जन्म हुआ था। हनुमान सेतु मंदिर की स्थापना के बाद 11 सितंबर, 1973 में उनका निधन हुआ था।

इस वर्ष हनुमान सेतु मंदिर का 56वां स्थापना दिवस 26 जनवरी को बड़े ही भक्ति भाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। गोमती तट स्थित बाबा के पुराने आश्रम के साथ ही मंदिर परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ पूजन होगा।

बाबा ने तपोस्थली खाली न करने का निर्णय लिया

सरकार की ओर से गोमती के पुल का निर्माण करने का प्रस्ताव आया और तब बाबा ने अपनी तपोस्थली खाली न करने का कठोर निर्णय लिया। उसी के साथ हनुमान जी के मंदिर स्थापना का भी बाबा ने निर्णय लिया। मंदिर परिसर के एक भाग में बाबा की प्रतिमा मौजूद है जहां श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। जयंती के अवसर पर श्रद्धालुओं की ओर से पुष्पांजलि के साथ आरती होगी। मंदिर समिति के अध्यक्ष सदाकांत और सचिव दिवाकर त्रिपाठी के संयोजन वार्षिकोत्सव मनाया जाएगा।

जब आगरा से लखनऊ आए थे बाबा

मंदिर के आचार्य चंद्रकांत द्विवेदी ने बताया कि बाबा नीब करौरी ने प्रदेश में कई मंदिरों का निर्माण कराया है। बाबा का जन्म आगरा के कुंडला में हुआ था तभी से उनका जन्म दिन इस तिथि को मनाया जाता है। फर्रुखाबाद के नीब करौरी गांव में एक संत से उनकी मुलाकात हुई। बस वहीं से उन्होंने गृह त्याग कर तप शुरू कर दिया और उन्हें बाबा नीब करौरी के नाम से जाना जाने लगा। 1940 में बाबा जी लखनऊ आए थे। 1973 में बाबा ने शरीर त्याग किया और मंदिर में 1993 में बाबा की प्रतिमा की स्थापना की गई। बाबा ने राजधानी के साथ ही इलाहाबाद, शिमला, अल्मोड़ा, वृंदावन, कानपुर व नैनीताल में हनुमान जी मंदिरों का निर्माण कराया। जहां प्रति वर्ष धूम धाम से स्थापना दिवस समारोह मानने के साथ ही भक्तों इष्ट दर्शन, पूजन अर्चन के साथ धार्मिक समारोहों का आयोजन होता रहता है।

बाबा नीम करौली का मूल धाम कैंची धाम है। यह उत्तराखंड में स्थित है। नैनीताल के कैच (भवाली) में बने बाबा नीम करौली के धाम में हर साल लाखों भक्त आते हैं। हर साल 15 जून को उत्तराखंड स्थित कैंची धाम मंदिर के स्थापना दिवस पर मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर में बाबा नीम करौली महाराज की तपोस्थली है।

सबसे ज्यादा विदेशी भक्त बाबा के दर्शन के लिए कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेक देशों से आते हैं। भक्तों का कहना है कि बाबा के चमत्कार यहां कई बार देखने को मिले हैं। मान्यता है कि एक बार मंदिर में काम करते समय एक व्यक्ति का हाथ गर्म तेल की कढ़ाई में चला गया, जिससे व्यक्ति का हाथ पूरी तरह जल गया। किसी ने घटना की बात बाबा को बताई, बाबा ने उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया और उस व्यक्ति के हाथ पर कंबल फेरा, कंबल फेरते ही व्यक्ति का हाथ पहले की तरह हो गया।ऐसी कई चमत्कार की कहानियां भक्तों के बीच प्रचलित हैं। भक्तों का कहना है कि बाबा नीम करौली महाराज को हनुमान जी का अवतार माना जाता है।

नीमकरोरी बाबा के प्रसिद्धि शिष्य

नीम करोली बाबा के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में राम दास के आध्यात्मिक शिक्षक (लेखक या अब यहां रहें), शिक्षक/कलाकार भगवान दास, लामा सूर्य दास और संगीतकार जय उत्तल थे, अन्य उल्लेखनीय भक्तों में मानवतावादी लैरी ब्रिलियंट और उनकी पत्नी शामिल हैं । गिरिजा, दादा मुखर्जी (इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर), विद्वान और लेखक यवेटे रोसेर, जॉन बुश फिल्म निर्माता और डैनियल गोलेमैन द वेरायटीज ऑफ द मेडिटेटिव एक्सपीरियंस एंड इमोशनल इंटेलिजेंस के लेखक बाबा हरि दास (हरिदास) एक शिष्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने कई इमारतों की देखरेख की और 1971 की शुरुआत में कैलिफोर्निया में आध्यात्मिक शिक्षक बनने के लिए यूएसए जाने से पहले नैनीताल क्षेत्र (1954-1968) में आश्रमों का रखरखाव किया।

स्टीव जॉब्स, अपने दोस्त डैन कोटे के साथ, हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए अप्रैल, 1974 में भारत आए थे। उन्होंने नीम करोली बाबा से मिलने की भी योजना बनाई। लेकिन वहां पहुंचे तो पता चला कि पिछले सितंबर में गुरु की मृत्यु हो गई थी।

हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी नीम करोली बाबा से प्रभावित थीं, उन्हीं की एक तस्वीर ने रॉबर्ट्स को हिंदू धर्म की ओर खींचा। स्टीव जॉब्स से प्रभावित फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने कैची धाम में नीम करोली बाबा के आश्रम का दौरा किया और लैरी ब्रिलियंट ने तीर्थ यात्रा पर गूगल के लैरी पेज और ईबे के सह-संस्थापक जेफरी स्कोल को लिया।

आप सभी सोच रहे होंगे कि यह सच्ची कहानी है या नहीं, यह बात बिल्कुल सत्य है, संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने के बाद, राम दास और लैरी ब्रिलियंट ने सेवा फाउंडेशन की स्थापना की, जो बर्कले, कैलिफोर्निया में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन है।

जबकि ब्रिलियंट के एक मित्र स्टीव जॉब्स ने भी संगठन को वित्तपोषित किया था, यह नीम करोली बाबा की शिक्षाओं को वैश्विक गरीबी को समाप्त करने के लिए लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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