पगडंडी से तय किया सात समंदर पार का सफर, अब ऑस्कर में गूंज रही है इस लड़की की कहानी
सपनों में कब रंग भर जाएंगे और वो सुनहरे हो जाएंगे ये कोई नहीं जानता।किसान की बेटी ने जब पहला कदम बढ़ाया था तो वह बिल्कुल ही नहीं जानती थी कि इस एक डग की उड़ान कितनी दूर तक जाएगी। किसान की बेटी स्नेह हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव की रहने वाली है।
हापुड़: सपनों में कब रंग भर जाएंगे और वो सुनहरे हो जाएंगे ये कोई नहीं जानता।किसान की बेटी ने जब पहला कदम बढ़ाया था तो वह बिल्कुल ही नहीं जानती थी कि इस एक डग की उड़ान कितनी दूर तक जाएगी। किसान की बेटी स्नेह हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव की रहने वाली है।सहेलियों के साथ मिल कर ऐसा काम किया कि आज पूरा देश इस बेटी पर नाज कर रहा है।दरअसल, महिला स्वास्थ्य जागरुकता पर स्नेह को लेकर बनी फिल्म 'पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस' फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री की कैटेगरी में शामिल किया गया था।फिल्म ने नॉमिनेशन पाने के बाद ऑस्कर भी अपने नाम किया. इसी डॉक्यूमेंट्री में अहम रोल अदा करने वाली स्नेहा हापुड़ से अमेरिका पहुंची थीं।
देश से परदेश तक की इस यात्रा में स्नेह ने पहले कभी यह नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा।वह तो पुलिस में भर्ती होने का सपना बुन रही थी। बीए की पढ़ाई हापुड़ के एकेपी कॉलेज से की है।इसी दौरान वह पुलिस भर्ती की तैयारी भी कर रही है।डॉक्यूमेंट्री में स्नेहा की रियल लाइफ को दिखाया गया है।
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बता दें कि 22 वर्षीय स्नेह अपनी सहेलियों के साथ गांव में ही सबला महिला उद्योग के तहत सेनेटरी पैड बनाने का कार्य करती हैं। स्नेह के अनुसार अब तक उन्होंने ऑस्कर के बारे में सुना था, लेकिन जब से उन्हें पता चला है कि उनकी फिल्म ऑस्कर के लिए नाॅमिनेटिड हुई है। वह बेहद उत्साहित हैं।
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ऐसे तय किया मंजिल का सफर
जब स्नेह सुना कि गांव में सेनेटरी पैड बनाने की मशीन लगाने जा रही है और रिश्ते की भाभी सुमन जो एक्शन इंडिया नामक संस्था के लिए काम करती हैं उन्होंने काम करने का प्रस्ताव दिया तो मां से पूछ कर हां कर दिया। उस समय स्नेह को लगा कि वो इस काम को करके इससे अपनी कोचिंग की फीस भी भर सकेगी।
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स्नेह ने बताया कि काम काज के दौरान एक दिन ऐसा आया जब संस्था की ओर से जिले में काॅडिनेटर का कार्य देखने वाली शबाना के साथ कुछ विदेशी भी आए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वे महिलाओं के पीरियड विषय पर एक फिल्म बनाना चाहते हैं। यह सुनते ही मैंने तुरंत हां कर दी। कुछ समय बाद गांव में शूटिंग हुई और फिल्म बन गई। करीब एक साल बाद पता चला है कि उनकी फिल्म को ऑस्कर के लिए चुन लिया गया है। इसके लिए उन्हें अब भाभी सुमन के साथ अमेरिका जाना होगा। अमेरिका जाने के लिए मेरा और सुमन भाभी का पासपोर्ट बनकर तैयार हो गया।
कहानी लंबे संघर्ष से जुड़ी है
जिस विषय पर महिलाएं बात करने में भी हिचकती हैं उस पर फिल्म बनाना और उसे दर्शाना बहुत बड़ी बात है।वहीं जिला काॅर्डिनेटर शबाना कहती हैं कि वे एक्शन इंडिया संस्था से 1997 से जुड़ी हैं। जिस फिल्म 'पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस' को ऑस्कर के लिए चयनित किया गया है वह केवल 30 मिनट की फिल्म है, लेकिन इसके पीछे की कहानी लंबे संघर्ष से जुड़ी है। वे कहती हैं कि फिल्म का विषय बेहद गंभीर है। एक्शन इंडिया की डायरेक्टर गौरी दीदी ने बताया था कि अमेरिका की फिल्म डायरेक्टर राइका और निर्देशिका गुनीत मोगा महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक डाॅक्यूमेंट्री बना रहीं है। उन्होंने जब विषय के बारे में बताया तो पहले झटका लगा।
नारी की निजी समस्यों से संबंधित है ये फिल्म
इसके बाद उन्होंने संस्था के लिए गांव में काम करने वाली लड़कियों के साथ उनके परिजनों से बात की। काफी सोचने के बाद सभी ने हां कर दी। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य दर्शाए गए हैं, जो नारी की व्यक्तिगत गोपनीयता से संबंधित हैं।
फिल्म में दर्शाया गया है कि किस तरह गांव की महिलाएं माहवारी में कपड़े का इस्तेमाल कर उसे रात में खेतों में छिपाती हैं। उन्होंने बताया कि आज भी गांव में ऐसी महिलाएं हैं, जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं हैं।