मिल जाता आवास तो बच जाती आठ जानें, दावों से उलट है हक़ीक़त

Hardoi: मल्लावां कस्बे के उन्नाव मार्ग पर हुए सड़क हादसे में एक ही परिवार के आठ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। मौत के बाद जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसर तक मौके पर पहुंचे और मृतकों के रिश्तेदारों को सांत्वना देने का कार्य किया।

Report :  Pulkit Sharma
Update:2024-06-13 14:07 IST

हरदोई में समय से मिल जाता आवास तो बच जाती आठ जानें (न्यूजट्रैक)

Hardoi News: जिले में बुधवार को हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन के जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। यह सवाल जनता के साथ खुद जिला अधिकारी ने उठाए हैं। बुधवार को एक बालू लदे ट्रक के झोपड़ी पर पलट जाने से झोपड़ी में सवार आठ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। घटना की जानकारी लगते ही पुलिस अधीक्षक केशव चंद्र गोस्वामी, जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, एसडीएम मल्लावां गरिमा सिंह के साथ तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत बचाव कार्य शुरू किया। एक के बाद एक झोपड़ी से निकले 8 शव को देखकर जिलाधिकारी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

जिलाधिकारी द्वारा मौके पर मौजूद एसडीम मल्लावां गरिमा सिंह से मृतक लोगों को अब तक आवास क्यों नहीं दिया गया था का सवाल पूछ लिया गया जिस पर एसडीएम इधर-उधर देखने लगी लेकिन एसडीएम जिलाधिकारी के इस सवाल का जवाब नहीं दे पाई। जवाब न मिलने पर जिलाधिकारी का पारा और बढ़ गया। एक और जहां जनपद के अधिकारी लगातार सरकार की तमाम योजनाओं की समीक्षा करते हैं और कागजों पर समीक्षा शत प्रतिशत होती है।

वहीं धरातल पर हालात विपरीत होते है। हाल में ही लोकसभा चुनाव संपन्न हुए थे जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक मंच पर अपत्रों को आवास देने वाली योजना का जमकर बखान किया था लेकिन इस हादसे के बाद कितने ग़रीबां को छत नसीब हो सकी है इसको साफ समझ जा सकता है। यदि समय रहते जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारियां को निभाते तो आज शायद झोपड़ी से आठ शव ना निकलते।

ज़िला अधिकारी ने माँगी रिपोर्ट

हरदोई जनपद के मल्लावां कस्बे के उन्नाव मार्ग पर हुए सड़क हादसे में एक ही परिवार के आठ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। मौत के बाद जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसर तक मौके पर पहुंचे और मृतकों के रिश्तेदारों को सांत्वना देने का कार्य किया। जिला प्रशासन अगर समय रहते इन लोगों को मकान दे देता तो आज शायद यह हादसा ना होता। मकान देने के लिए जब आवेदन होते हैं तो जिम्मेदार प्रधानों के साथ मिलकर अपात्रो को पात्र बनाकर तो मकान दे देते हैं लेकिन आपात्रों को मकान देने में तमाम नियम कानून समझा देते हैं। फिलहाल अब इस मामले पर जिला अधिकारी काफी सख्त हो गए हैं जिला अधिकारी की ओर से मल्लावा घटना पर पूरी रिपोर्ट तलब की है।

इस मामले में उप जिलाधिकारी को तहसीलदार के माध्यम से भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क किनारे कुल 10 परिवार में 59 लोग रहते थे इनमें से 6 लोग को कुछ साल पहले बिलग्राम में रहने लगे यहां पर 53 लोग रहते थे इनमें से आठ की बुधवार को हुए हादसे में मौत हो गई अब यहां 45 लोग शेष बचे हैं।अब देखना वाली बात यह होगी कि इस हादसे के बाद जिला अधिकारी कोई सख्त निर्देश जिम्मेदारों को देते हैं या यूं ही सड़क के किनारे झोपड़ी डालकर अपना जीवन व्यापन करने वाले लोग वाहनों की चपेट में आकर अपनी जान गवाते रहेंगे।

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