हाथरस की पल-पल की कहानीः परिवार, डॉक्टर और पुलिस, किसने क्या-क्या कहा
एसपी विक्रांत वीर - हाथरस और अलीगढ़ में किसी भी डॉक्टर द्वारा यौन उत्पीड़न की पुष्टि नहीं की गई है। इसलिए, इस मामले की जांच डॉक्टरों द्वारा फोरेंसिक मदद के जरिए की जाएगी। पीड़िता के निजी अंगों पर घर्षण के कोई निशान नहीं थे। जीभ काटने की खबर पूरी तरह से गलत है, हमने पीड़िता का बयान भी दर्ज किया था।
हाथरसः हाथरस की एक 19 साल की युवती जिसके साथ 14 सितंबर को गैंगरेप हुआ और गंभीर चोटें आईं तथा उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया। उस महिला को जीवन मौत के बीच संघर्ष करते हुए दिल्ली के एक अस्पताल में लाया जाता है। जिसकी मौत के साथ पूरा देश सुलगने लगता है और विरोध प्रदर्शन के लिए लोग सड़कों पर उतर आते हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस रात के अंधेरे में महिला का अंतिम संस्कार कर देती है जबकि परिवार लड़की के शव को प्राप्त करने के लिए गिड़गिड़ाता रहता है। उत्तर प्रदेश की सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाथरस की इस महिला की मौत और बलात्कार के मामले में फास्टट्रैक कोर्ट में सुनवाई और तीन सदस्यीय जांच दल के गठन की घोषणा करते हैं। हाथरस गैंगरेप के इस जघन्य मामले में आइए देखते हैं परिवार का क्या कहना है, पुलिस का क्या कहना है और क्या कहा डॉक्टरों ने।
परिवार की शिकायत
14 सितंबर को दर्ज हुई एफआईआर के अनुसार बलात्कार पीड़िता के परिवार की ओर से उसके भाई ने पहली शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में भाई ने कहा कि अभियुक्त संदीप ने खेत में उसकी बहन का गला घोंटने की कोशिश की। उसकी चीख सुनने के बाद मां मौके पर पहुंची तो अभियुक्त फरार हो गया। पहली शिकायत में भाई ने केवल एक अभियुक्त (संदीप) का नाम लिखाया। शिकायत में घटना का समय 9.30 बजे दर्ज कराया। इसके बाद एक एफआईआर एससी/एसटी एक्ट और सेक्शन 307 आईपीसी के तहत दर्ज हुई। प्राथमिकी के अनुसार शिकायत में लिखी बातों को उसके भाई को पढ़कर सुनाया गया। इसके बाद उसकी सहमति और मंजूरी से एफआईआर दर्ज हुई।
पहली एफआईआर में मां ने क्या कहा
पीड़िता की मां का कहना है कि जब मैंने अपनी बेटी को देखा, तो वह नग्न अवस्था में पड़ी थी और बहुत सा खून बह रहा था। मां ने कहा मैने अपने दुपट्टे से ढका और यही खून मेरे कपड़ों पर लग गया। मां ने कहा हम बहुत असमंजस और सदमे में थे, हमारी बेटी अचेत थी।
इसी लिए हम तत्काल हाथरस पुलिस के चांदपा पुलिस थाने में ये नहीं कह सके कि ये रेप है या गैंगरेप। जहां पहली एफआईआर दर्ज की गई थी। क्योंकि हमें ये पता ही नहीं था कि गैंगरेप हुआ है।
मां कहती है चूंकि मेरी बेटी ने अपने भाई के कान में एक अभियुक्त संदीप का नाम फुस्फुसा कर कहा और बेहोश हो गई। इसलिए हमने सोचा कि गांव के संदीप नाम के एक व्यक्ति ने उसे पीटा। यह बात पहली एफआईआर में दर्ज है।
क्या है कहना भाई का
भाई के अनुसार पहली एफआईआर मेरे और मेरी मां के कथन पर दर्ज हुई। मेरी बहन बयान देने की स्थिति में नहीं थी। वह बेहोश थी। उस समय तक हमें पता ही नहीं था कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है और इसलिए हमने अपने वक्तव्य में इस तरह की कोई बात नहीं कही।
हमने अपना संदेह गांव के एक लड़के पर जाहिर किया था। जिसका नाम हमने अपनी शिकायत में संदीप लिखाया। हमने पुलिस से शारीरिक जबर्दस्ती की धाराएं बढ़ाने को कहा था क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि हमारी बहन से गैंगरेप हुआ है। मेरी बहन को 15 सितंबर को अलीगढ़ के जेएनयू अस्पताल में होश आया लेकिन वह बयान देने की स्थिति में नहीं थी।
भाई ने बताया कि पुलिस 20 सितंबर को अस्पताल में आई लेकिन मेरी बहन उस दिन भी अपना बयान देने की हालत में नहीं थी। मेरी बहन ने 22 सितंबर को अपना बयान दिया। उसके बाद गैंगरेप और हत्या के प्रयास की धाराएं बढ़ाई गईं।
मैने अपनी बहन की हालत देखी, उसकी गर्दन टूट गई थी और जीभ में कट था। जीभ काटी नहीं गई थी लेकिन घाव था। बहन ने बताया कि जीभ दांत के बीच में आने से कट गई थी।
गैंगरेप की कहानी
हाथरस पुलिस और परिवार के अनुसार 22 सितंबर को पहली बार पीड़िता ने गैंगरेप की बात कही और तीन अभियुक्तों के नाम लिए। इसके बाद एफआईआर में आरोप बदले गए और तीनों अभियुक्तों के नाम शामिल किये गए। 23, 25 और 26 सितंबर को अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई।
क्या कहते हैं हाथरस के एसपी विक्रांत वीर
एसपी विक्रांत वीर का कहना है कि हाथरस और अलीगढ़ में किसी भी डॉक्टर द्वारा यौन उत्पीड़न की पुष्टि नहीं की गई है। इसलिए, इस मामले की जांच डॉक्टरों द्वारा फोरेंसिक मदद के जरिए की जाएगी। पीड़िता के निजी अंगों पर घर्षण के कोई निशान नहीं थे। जीभ काटने की खबर पूरी तरह से गलत है, हमने पीड़िता का बयान भी दर्ज किया था।
इसके अलावा, कुछ स्थानों पर ऐसी खबरें आई हैं कि उसकी रीढ़ टूट गई है, यह गलत है, उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई और गर्दन की हड्डी पर चोटें आईं जिससे जटिलताएं हुईं।
क्या कहते हैं अलीगढ़ के डॉक्टर
डॉक्टरों के अनुसार पीड़िता को 14 सितंबर को शाम 4.10 बजे भर्ती किया गया था। अस्पताल में प्रवेश के समय पीड़िता ने यौन उत्पीड़न की कोई बात नहीं बताई थी। उसने हमें 22 सितंबर को पहली बार घटना के बारे में बताया। इसके बाद, 22 सितंबर को दोपहर 12.30 बजे मेडिकल परीक्षण शुरू हुआ।
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अपनी मेडिकल रिपोर्ट में, डॉक्टरों ने कहा है कि बल के उपयोग के संकेत हैं, हालांकि, प्रवेश संभोग के बारे में फोरेंसिक रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
उनकी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पीड़िता का दुपट्टे से गला घोंटकर हत्या की गई थी, किसी हथियार का कोई उपयोग नहीं किया गया था, और उसे गला घोंटकर मौत की धमकी दी गई थी। इसके बाद विक्टिम भी होश खो बैठी।
जेएन मेडिकल कॉलेज, एएमयू
डॉ. एमएफ हुडा का कहना है कि 14 सितंबर की रात को लड़की को हमारे अस्पताल लाया गया था। उसके शरीर पर बड़ी चोट यह थी कि उसकी ग्रीवा रीढ़ टूट गई थी, जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी, जिससे पूरे शरीर को लकवा मार गया था। किसी अन्य हमले के "स्पष्ट" संकेत नहीं थे। कोई बाहरी रक्तस्राव नहीं। लेकिन हां, लड़की बेहोश थी।
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फोरेंसिक टीम भी शामिल थी। वे इस बात को स्पष्ट करने की बेहतर स्थिति में होंगे कि उन्होंने बलात्कार साबित होने वाली लड़की के शरीर पर क्या साक्ष्य पाए।
उसकी जीभ नहीं कटी थी। लेकिन उसकी जीभ पर एक अल्सर था। यह पिछली चोट भी हो सकती है। जरूरी नहीं कि घटना की वजह से हो। उसकी जीभ पर कोई अन्य चोट नहीं पाई गई। वह बोलने में सक्षम थी।
लड़की केवल 22 सितंबर को अपना बयान देने के लिए थोड़ी बेहतर स्थिति में थी। उस दिन मजिस्ट्रेट आए और लड़की ने अपना बयान दिया।
मौत का कारण
हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अभी इंतजार किया जा रहा है, लेकिन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की प्रवक्ता पूनम ढांढा ने पीड़ित को सर्वाइकल स्पाइन की चोट, क्वाड्रिप्लेजिया और सेप्टीसीमिया बताया है।
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उसे 28 सितंबर को भर्ती कराया गया था और 29 सितंबर (मंगलवार) को सुबह 6.55 बजे उसकी मृत्यु हो गई। ऑटोप्सी डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा की गई थी और यह वीडियो-ग्राफ्ड थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सीलबंद कवर में यूपी पुलिस को भेजा जाएगा।