Hathras: यूपी पुलिस में कांस्टेबल रहे सूरजपाल जाटव आखिर कैसे बने ’भोले बाबा’
Hathras: जिस भोले बाबा का सत्संग सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग एकत्रित हुए थे। जहां सत्संग के बाद भयावह हादसा हुआ। उस बाबा की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं हैं।
Hathras News: यूपी के हाथरस जनपद में बीते मंगलवार को हुए धार्मिक आयोजन के दौरान हुए ह्दयविदारक घटना में 121 लोगों की असमय मौत हो गयी। जुलाई माह के पहले आयोजित हुए इस संत्सग को मानव मंगल मिलन कहा गया था। इस सत्संग का आयोजन मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति ने किया था। यहां लोग भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का सत्संग सुनने के लिए आए थे। आयोजन समिति के सभी छह सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गयी है।
सिकंदराराऊ के गांव फुलरई में सत्संग के बाद भगदड़ मामले के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथरस भ्रमण के बाद आरोपित देवप्रकाश मधुकर पर एक लाख का इलान घोषित किया गया था। इस मामले में सिकंदराराऊ कोतवाली के अंतर्गत पोरा चौकी प्रभारी ब्रजेश पांडे की तरफ से भारतीय न्याय सहिता की धारा 105, 110, 126 (2), 223, 238 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कराया गया है। देवप्रकाश मधुकर ने आयोजन समिति की ओर से तथ्य छिपाकर 80 हजार की भीड़ की अनुमति मांगी थी। लेकिन वहां लगभग ढाई लाख लोग पहुंच गये।
पुलिस की नौकरी छोड़ अपनाया धर्म का रास्ता
हाथरस में जिस भोले बाबा का सत्संग सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग एकत्रित हुए थे। जहां सत्संग के बाद भयावह हादसा हुआ। उस बाबा की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं हैं। भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। एक पुलिस कांस्टेबल से भोले बाबा बनने का तक सफर काफी रोचक है। आइए जानते हैं सूरजपाल से भोले बाबा बनने तक की पूरी कहानी।
कासगंज के रहने वाले हैं भोले बाबा
लाखों भक्त जिस भोले बाबा का सत्संग सुनने के लिए सिकंदराराऊ के गांव फुलरई पहुंचे थे। उस भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है और वह कासगंज जनपद के पटियाली के बहादुरपुर गांव के रहने वाले हैं। सूरजपाल शुरूआती दिनों में स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में तैनात रहे। लगभग 28 साल पूर्व छेड़खानी के मामले में अभियुक्त होने के चलते सूरजपाल को सस्पेंड कर दिया गया। बाद में इसी मामले में सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
इससे पहले सूरजपाल जाटव लगभग 18 पुलिस थाना और स्थानीय अभिसूचना इकाई में अपनी सेवाएं दे चुके थे। पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल जाटव कोर्ट की शरण में गए। जहां उनकी नौकरी बहाल कर दी गयी। लेकिन साल 2002 में सूरजपाल ने आगरा ज़िले से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया। वीआरएस लेने के बाद सूरजपाल अपने गांव नगला बहादुरपुर पहुँचे। जहाँ कुछ दिन रहने के बाद उन्होंने खुद के ईश्वर से संवाद होने का दावा किया।
उन्होंने स्वयं को भोले बाबा के तौर पर भक्तों के बीच स्थापित कर दिया। कुछ ही सालों में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के बड़े-बड़े आयोजन होने लगे और लोगों की भीड़ जुटने लगी। 75 वर्षीय सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा तीन भाई हैं। सबसे बड़े सूरजपाल है। दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनका निधन हो चुका है। वहीं सूरजपाल के तीसरे नंबर के भाई राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का अपने गाँव में आना-जाना कम रहता है। हालांकि गांव में उनका चैरिटेबल ट्रस्ट अब भी सक्रिय है।
नहीं लेते कोई दान दक्षिणा, फिर भी कई आश्रम
भोले बाबा के बारे में सबसे ज्यादा दिलचस्प यह है कि वह अपने भक्तों से कोई भी दान, दक्षिण या फिर चढ़ावा नहीं लेते हैं। इसके बावजूद भोले बाबा के अब तक कई आश्रम बन चुके हैं। नारायण साकार हरि सत्संगों में अपने भक्तों की सेवा सेवादार बनकर करते दिखते हैं। वह हमेशा सफ़ेद लिबास में ही नजर आते हैं। वह साकार पायजामा कुर्ता के अलावा पैंट-शर्ट और सूट तक में भी दिखायी देते हैं। उनकी सोशल मीडिया पर भी कोई लोकप्रियता नहीं है। इंटरनेट पर उनके भक्तों की बहुत मौजूदगी नहीं नजर आती है।