कानूनी गलती पर ही हाईकोर्ट निचली अदालत की कार्यवाही में कर सकता है हस्तक्षेप
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, कि अनुच्छेद-227 के अंतर्गत हाईकोर्ट को कानून की अनदेखी कर चलाई जा रही अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही पर ही हस्तक्षेप करने का अधिकार है। केवल गलतियों को दुरुस्त करने के लिए कोर्ट अपनी सुपरवाइजरी शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि 'अनुच्छेद 227 के तहत न्याय की आधारशिला प्रदूषण मुक्त रखने के लिए और न्याय के रथ अनवरत चालू रखने के लिए हस्तक्षेप करने का अधिकार है, ताकि अधीनस्थ न्यायालय व अधिकरण की कार्यवाही पर लोगों का विश्वास कायम रहे।' कोर्ट ने आगे कहा, कि तथ्यात्मक निष्कर्षों पर हाईकोर्ट को आमतौर पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
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ये है मामला
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने वाराणसी के अरुण कुमार गुप्ता की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी. सिंह शेखर का कहना था कि याची ने वाराणसी के भेलूपुर वार्ड के मोहल्ला सराय नंदन में मकान संख्या बी 35/42ं में किराएदार था। उसने मकान मालिक से विक्रय करार किया है। लेकिन संतोष कुमार व अन्य ने वही मकान खरीद लिया और बेदखली का मुकदमा कायम किया। अधीनस्थ न्यायालय ने याची की बेदखली का आदेश दिया है, जिसे चुनौती दी गई थी।
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