इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने इलाहाबाद शहर में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की खबरों को स्वतः संज्ञान में लेते हुए केंद्र व् राज्य सरकार,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ,नगर निगम व् एडीए से जबाब मांगा है| इस बीच हाईकोर्ट ने बगैर जिलाधिकारी की अनुमति के पेड़ों के काटने पर रोक लगा दी है।शहर के सुंदरीकरण व सड़क चौड़ीकरण कार्य के चलते शहर से एक हजार से अधिक पेड़ों को काट डाला गया है। अखबारों में छपी खबरों पर कोर्ट ने संज्ञान लिया। याचिका की सुनवाई 23 जुलाई को होगी।
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यह आदेश न्यायमूर्ति पी के एस बघेल तथा न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खंण्डपीठ ने दिया है।कोर्ट ने भारत सरकार के सहायक सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश व् प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता विकास त्रिपाठी व् नगर निगम के अधिवक्ता बी बी पॉल को अपना पक्ष रखने को कहा है।
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कोर्ट ने कहा है कि विदेशों में मशीनों से पेड़ो को जड़ से उखाड़ कर दूसरी जगह लगाने की तकनीक विकसित कर ली है।जिसके जरिये पेड़ो को काटने के बजाय दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पर्यावरण की स्वच्छता के लिए पेड़ो का होना जरूरी है। काटने में समय नही लगता किन्तु पौधों को पेड़ बनने में वर्षो का समय लगता है।बहुत जरूरी होने पर ही पेड़ काटे जाने चाहिए। विकास के साथ साथ स्वस्थ पर्यावरण होना भी महत्वपूर्ण है।याचिका की सुनवाई 23 जुलाई को होगी।