Hardoi News: जल्द खाली कराए जाएंगे 150 घर, कब्जेदारों के खिलाफ प्रशासन से शिकायत
Hardoi News: उत्तर प्रदेश चीनी निगम लिमिटेड ने प्रशासन से कब्जा हुए आवासों को ख़ाली कराने की गुहार लगाई है। चीनी निगम के स्वामित्व वाली मिल के आवासों के कब्जामुक्त कराए जाने की करीब 20 साल बाद फिर से कवायद शुरू हुई है।
Hardoi News: उत्तर प्रदेश चीनी निगम लिमिटेड ने प्रशासन से कब्जा हुए आवासों को ख़ाली कराने की गुहार लगाई है। चीनी निगम के स्वामित्व वाली मिल के आवासों के कब्जामुक्त कराए जाने की करीब 20 साल बाद फिर से कवायद शुरू हुई है। चीनी निगम के अधिकारियों ने आवासों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए प्रशासन से मदद मांगी है। इसके बाद 150 कब्जेदार चिह्नित किए गए हैं।
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चीनी निगम के स्वामित्व में वापस आने के बाद चीनी मिल की परिसंपत्तियों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी चीनी निगम के पास आ गई है। वर्ष 1999 के बाद इस चीनी मिल में न तो पेराई हुई और न ही चिमनी से धुआं निकल सका। मिल की सुरक्षा के लिए सिर्फ गार्ड तैनात कर दिए गए। कभी मिल प्रबंधन और कर्मचारियों के परिवारों से गुलजार रहने वाले आवास वीरान हैं।
मिल के आवासों को खाली देख लोगों ने इनमें कब्जा कर लिया। इन आवास में लोग परिवार सहित रहने लगे और इन्होंने बिजली आदि के कनेक्शन भी ले लिए। इसके लिए बिजली विभाग के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की पहल हुई थी, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। राज्य चीनी निगम के प्रधान प्रबंधक एसके बाजपेई ने मिल के करीब 144 आवासों को कब्जामुक्त कराने के लिए वर्ष 2022 में प्रयास किए थे।
मिल की परिसंपत्ति को कब्जामुक्त कराने के लिए प्रशासन की ओर से एडीएम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया गया। समिति ने 150 कब्जेदारों को चिन्हित किया था। इसमें अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी, सदर एसडीएम, जिला गन्ना अधिकारी और उन्हें सदस्य नामित किया गया। प्रधान प्रबंधक ने जारी पत्र में कहा है कि मिल के आवासों को कब्जामुक्त नहीं कराया जा सका है। उन्होंने समिति की अध्यक्ष एडीएम से एक बार फिर से आवासों को कब्जामुक्त कराए जाने के लिए मदद मांगी है।
एशिया में मशहूर थी लक्ष्मी शुगर मिल की चीनी
वर्ष 1936 में उद्योगपति दया विनोद और सरन बाबू ने अपनी मां लक्ष्मी के नाम पर चीनी मिल की स्थापना की थी। वर्ष 1984 तक उनके नियंत्रण में चीनी मिल संचालित रही। यहां पर तैयार होने वाली मोटे दाने की चीनी के कारण लक्ष्मी शुगर मिल एशिया में मशहूर थी। किसानों के बकाया के चलते सरकार ने मिल को उप्र गन्ना विकास एवं चीनी निगम को सौंप दिया। वर्ष 1999 तक मिल संचालित होती रही और इसके बाद ताला लग गया।
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2011 में बसपा सरकार ने कर दी थी नीलामी
मिल के प्रधान प्रबंधक ने बताया कि चीनी मिल को निजी हाथों में दिए जाने के क्रम में वर्ष 2007 में तत्कालीन बसपा सरकार ने लक्ष्मी शुगर मिल सहित 27 चीनी मिलों को नीलाम कर दिया था। नीलामी में खेल के खुलासे के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने जांच कर रही है और सात चीनी मिलों को जब्त किया था। इसी के बाद चीनी मिल को निगम को वापस कर दे दिया गया है।