UP News: हर सरकार में रहा दामन दागदार, पर रसूख बरकरार बसपा, सपा फिर भाजपा सरकार में भी अभिषेक प्रकाश को मिलता रहा मलाईदार पद
UP News: अभिषेक प्रकाश का लगातार 15 वर्षों तक का कार्यकाल निर्वाध गति से चलता रहा। तीनों सरकारों में मिलाकर सात जिलों में कलेक्टर रहे।;
आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश (photo: social media )
UP News: निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश लगातार 15 वर्षों तक महत्वपूर्ण पोस्टिंग पर तैनात रहे हैं। यह एक ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने बसपा, सपा और फिर भाजपा सरकार में भी मलाई खाई। पहली महत्वपूर्ण पोस्टिंग 2011 में जिलाधिकारी लखीमपुर के रूप में मिली थी। उसी समय से अभिषेक पर आरोप लगने शुरू हो गए थे। इसके बाद लगातार महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती मिलती रही और आरोपों की झड़ी भी लगती रही। भटगांव भूमि घोटाले में राजस्व परिषद के तत्कालीन चेयरमैन ने रजनीश दुबे ने अभिषेक प्रकाश की भूमिका को भी उजागर कर दिया, बावजूद इसके शासन ने अभिषेक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
बरेली में बतौर कलेक्टर तैनाती के दौरान एक मांस कारोबारी के साथ भी अभिषेक प्रकाश का नाम जुड़ा। यहां स्लॉटर हाउस संचालन में खामियां पाए जाने और जांच में राहत दिलवाने में उनकी भूमिका चर्चाओं में रही। स्लॉटर हाउस में साझेदारी तक की बात भी आई। अलीगढ़ में कलेक्टर रहने के दौरान जमीनों की खरीद विक्री में धांधली करने के भी आरोप लगे थे। बलिया के पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह ने डीओपीटी को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी कि अभिषेक प्रकाश ने बरेली और लखीमपुर खीरी में तैनाती अवधि के दौरान सैकड़ों बीघे जमीन खरीदी। लेकिन इस शिकायत को भी शासन ने दबा दिया।
20 करोड़ मुआवजा राशि में फ्राड करने का आरोप
लखनऊ डीएम रहते सरोजनीनगर तहसील क्षेत्र के भटगांव में डिफेंस कॉरीडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में फर्जी तरीके से दस्तावेजों में हेरफेर कर कई फर्जी आवंटियों के नाम जोड़े गए और 20 करोड़ मुआवजा राशि में फ्राड करने का आरोप लगा था। रेवेन्यू बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन के नेतृत्व में कराई गई जांच में अभिषेक प्रकाश प्रकाश सहित 18 अधिकारियों और कार्मिकों को दोषी पाया गया था। एक वर्ष पहले शासन में सौंपी गई इस रिपोर्ट को भी हुक्मरानों ने दबा दिया था। अभिषेक प्रकाश का लगातार 15 वर्षों तक का कार्यकाल निर्वाध गति से चलता रहा। तीनों सरकारों में मिलाकर सात जिलों में कलेक्टर रहे। सूत्रों के मुताबिक अगर अभिषेक प्रकाश के कारनामों की खबर सीधे मुख्यमंत्री न मिलती तो शासन के अधिकारी इस बार भी अभिषेक को बचा लेते।