डेढ़ लाख के नारियल से जलाई जाएगी होली, वर्षों से चली आ रही परंपरा
उत्तर प्रदेश में एक मात्र ऐसा स्थान जहां पर नारियल की होली जलाई जाती है। इस साल डेढ़ लाख नारियलों से होली जलाई जाएगी। इस होलिका दहन को देखने के लिए पांच से सात हजार लोग इक्कठा होते। नारियल से निकलने वाले धुएं किट, मच्छर दूर होते है। साथ ही होली की राख अपने घर ले जाते है l मान्यता है कि यह राख घर पर रखने से सुख सम्रद्धि आती है।
कानपुर: उत्तर प्रदेश में एक मात्र ऐसा स्थान जहां पर नारियल की होली जलाई जाती है। इस साल डेढ़ लाख नारियलों से होली जलाई जाएगी। इस होलिका दहन को देखने के लिए पांच से सात हजार लोग इक्कठा होते। नारियल से निकलने वाले धुएं किट, मच्छर दूर होते है। साथ ही होली की राख अपने घर ले जाते है l मान्यता है कि यह राख घर पर रखने से सुख सम्रद्धि आती है।
कानपुर देहात के मलासा ब्लाक स्थित जुनेदपुर गांव में मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर है। बालाजी मंदिर पर दर्शन के लिए कई जिलों और अलग-अलग प्रदेशों से लोग आते है। दरअसल नारियल की देश में सिर्फ स्थानों पर ही जलाई जाती है, पहली नारियल की होली राजस्थान स्थित मेंहदीपुर बालाजी में और उत्तर प्रदेश में नारियल की होली कानपुर देहात स्थित बालाजी मंदिर में। पिछली वर्ष लगभग सवा लाख नारियल की होली जलाई गई थी l इस वर्ष लगभग डेढ़ लाख नारियल की होली जलाई जा रही है।
हर वर्ष नारियल की होलीका दहन
मंदिर के पुजारी कमलकांत के मुताबिक, यहां पर होलिका दहन 12 वर्षों से मनाया जा रहा है। भारत सरकार की तरफ से हमारा रजिस्ट्रेशन 9 साल पहले हुआ था। नारियल से होली की प्रथा भक्तों द्वारा नारियल दिया जाता है। मेंहदीपुर बालाजी बाबा की मान्यता है है कि नारियल देने भक्तो का निवारण होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है, सुख-शांति आती है l इसलिए हम लोग हर वर्ष नारियल की होलीका दहन करते हैl नारियल की होली मेंहदीपुर बाला जी में जलाई जाती है और उत्तर प्रदेश में नारियल की होली यहां पर जलाई जाती है। प्रशासन की तरफ से हमें इसके लिए सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। जब यह होली जलती है तो लगभग 5 से 7 हजार लोग देखने आते है।
उन्होंने बताया कि पिछले साल सवा लाख नारियल की होली जलाई गई थी। इस वर्ष डेढ़ लाख से ज्यादा नारियल की होली जलाई जाएगी। हम लोग इसका आकलन भी करते है हम लोग इसका भारत सरकार को इसका लिखित ब्यौरा भी देते है जो भी भक्त आते है नारियल देते है उनका नाम अंकित किया जाता है l यहां की मान्यता है बाबा के दरबार पर बैठने पर भूत-प्रेत भागते है जैसे मेंदिपुर बाला जी मंदिर में होता है l यहां पर होलिका में आग नहीं लगाई जाती है, बल्कि पूजन के दौरान जो हवन किया जाता है उससे होलिका दहन किया जाता है l