लखनऊ: यूपी में शुक्रवार को 21 आईएएस अफसरों के तबादले की लिस्ट में राजधानी के डीएम राजशेखर का नाम क्या आया सोशल मीडिया पर भूचाल आ गया। किसी ने इसे यूपी का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय बताया तो किसी ने सीएम से ज्यादा लखनऊ में डीएम को पॉपुलर बताते हुए अखिलेश यादव के पतन का पहला कदम तक बता दिया।
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'जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा किसी चराग का अपना मकां नहीं होता' वसीम बरेलवी के ये पंक्तियां राजधानी के पूर्व डीएम राजशेखर के लिए कही जा रही हैं। सोशल मीडिया में उनकी वापसी के लिए मुहिम चलाई जा रही है। शायद ही इससे पहले राजधानी में किसी भी डीएम के लिए इतनी लोकप्रियता देखी गई हो। हाल ये है कि कुछ लोगों ने इसे साल 2016 की सबसे दु:खद और खराब खबर बता दी है।
आम जनता की तो बात और है सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक रूप से डीएम के तबादले से हलकान पत्रकार नजर आ रहे हैं। पत्रकारों का डीएम के प्रति इतना समर्पण भी वाजिब है क्योंकि, साहब के रहते उन्हें कभी खबरों का अकाल नहीं रहा। वह हर रोज पत्रकार भाइयों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप पर खबरों का पिटारा खोलते थे। कई नामी पत्रकार भी उनकी इस कृपा का आस्वादन लेते थे। कुछ भी हो लेकिन डीएम साहब हमेशा पत्रकारों के लिए उपलब्ध रहा करते थे।
यहीं कारण है कि कुछ नामी पत्रकारों को डीएम राजशेखर के जाने से व्यक्तिगत क्षति भी हुई है। 'Lko Admin & Media' नाम से डीएम राजशेखर एक ग्रुप चला रहे थे जिससे प्रशासन से जुड़ी तमाम खबरें पत्रकारों को मिला करती थीं। कुछ पत्रकार भाइयों ने इसके जल्द बंद हो जाने की आशंका जताते हुए चिंता तक व्यक्त की है।
डीएम राजशेखर पिछले 925 दिनों से लखनऊ की कमान संभाले थे। इसलिए इस तबादले को रोटीन तबादले के रूप में भी देखा जा सकता है।
राजशेखर के तबादले के बाद यूपी के सीएम पत्रकारों के निशाने पर आ गए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या एक आईएएस अफसर की पॉपुलारिटी सीएम से ज्यादा हो गई है। लोग महज एक डीएम के लिए यूपी के सीएम को घेरने में जुट गए हैं। कहीं न कहीं डीएम में कुछ बात जरूर है जो लोग उनके समर्थन में उतर आए हैं, हालांकि वो अलग बात है कि कुछ साल पहले मुरादाबाद में दंगे के दौरान हो रही पत्थरबाजी के चलते डीएम साहब एसएसपी को छोड़कर भाग खड़े हुए थे तब राजशेखर मुरादाबाद के डीएम हुआ करते थे।
वहीं सत्ता के गलियारों से खबर ये भी आ रही है कि डीएम राजशेखर का तबादला यूं ही नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे भी बड़ा कारण बताया जा रहा है। कहा ये जा रहा है कि सत्ता पक्ष के किसी वरिष्ठ नेता की सिफारिश पर किसी जमीन का 'लैंड यूज' चेंज करने में अनाकानी करने पर उन्हें हटाया गया है। बहरहाल ये सब तो सत्ता के गलियारों की अफवाहे हैं जो सही भी हो सकती हैं और गलत भी।
मीडिया सूत्रों से खबर ये भी आ रही है कि पद से हटाए जाने के बाद डीएम राजशेखर ने सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की है और उनसे बरेली जाने पर असमर्थता जताई है। खबर है कि डीएम ने परिवार का हवाला देते हुए राजधानी में ही कहीं नियुक्त की मांग की है। अब देखना यह होगा की डीएम पर सीएम साहब की कृपा होगी या फिर नहीं।
पद से हटने के बाद डीएम के 'Lko Admin & Media' ग्रुप पर बड़ी जोर-शोर से उन्हें दुबारा वापस बुलाने की मुहिम चल रही थी लेकिन डीएम ने शुक्रवार को ग्रुप से कई मेंम्बर्स को हटा दिया है।
'Lko Admin & Media' नाम के व्हाट्सएप ग्रुप पर डीएम के समर्थकों की प्रतिक्रियाएं
-'यूपी का सबसे गलत निर्णय, लखनऊ का बंटाधार'
-'राजशेखर जी अच्छा काम कर रहे थे'
-'अब जल्द व्हाट्सएप्प ग्रुप बंद हो जाएगा। आश्चर्यजनक फैसला'
-'लखनऊ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण फैसला'
-'लखनऊ के विकास पर अब आचार संहिता लग जाएगी। राजशेखर सर ने जो यूटिलिटी से जुड़े काम किए हैं उसकी कोई तुलना नहीं है।'
-'यूपी सरकार ने लखनऊ से एक बेहतरीन आॅफीसर्स को हटाकर राजधानी का विकास रोका।
-इस ग्रुप के 199 लोग उन्हें बहुत मिस करेंगे। '
-'925 दिनों तक लखनऊ डीएम के रूप में हम लोगों के साथ रहे राजशेखर सर। कैसे ये दिन बीत गए पता भी नहीं चला। हम सब उम्मीद करते हैं कि सरकार ये फैसला वापस लेगी। '
-'लखनऊ के विकास के लिए यूपी सरकार को ये फैसला वापस लेना होगा।'
-'जहां रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग का अपना मकां नहीं होता।'
-'परिवर्तन प्रकृति का नियम है अच्छे लोग और उनके काम हमेशा लोग याद रखते हैं। राजशेखर जी वेलडन आपकी कार्यपद्धति अन्य अधिकारियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगी।'
-'आखिर हो क्या गया है मुख्यमंत्री को क्या उनके सलाहकार उन्हें दुबारा यूपी का सीएम देखना नहीं चाहते। राजशेखर जी जैसे शानदार अधिकारी की लखनऊ की अभी और जरूरत थी।'
-'सॉरी टू से— माननीय मुख्यमंत्री जी से ज्यादा फेमस थे वो यहां'
-'2016 का सबसे खराब और दुखद न्यूज'
-'डीएम सर ने जो लकीर खींची है उसके आधे तक भी पहुंचना नए डीएम के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। हम सब उम्मीद कर सकते हैं कि राजशेखर सर लखनऊ में ही रहेंगे। बरेली डीएम से बेहतर भी लखनऊ में कई पोस्ट हैं। लखनऊ को अभी राजशेखर जी की जरूरत है।
सतेंद्र जी डीएम,लखनऊ का बंटाधार हो जाएगा।'
-'लखनऊ की कमान करोड़पति डीएम के हाथ में।'
-'वैसे जो जो चाहते हैं कि राजशेखर सर लखनऊ से ना जाये तो सीएम के ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करें। शायद कुछ हो सके।
अब अखिलेश सरकार के पतन का पहला कदम है ये।'
रणछोड़ डीएम राजशेखर के कारनामें
राजधानी के पूर्व डीएम राजशेखर के कारनामों की किताब बहुत बड़ी है। वह अक्सर अपने कारनामों से पूरी आईएएस लॉबी को शर्मसार करते रहे हैं।
मामला जुलाई 2011 का है राजशेखर मुरादाबाद में डीएम हुआ करते थे। एक बार एक धार्मिक ग्रन्थ के पन्ने फटे हुए पाए गए थे जिसके बाद हजारों लोग सड़कों पर आ गए थे और गाडिय़ों पर पथराव शुरू कर दिया गया था। जब हालात नहीं संभले तो एसएसपी अशोक कुमार डीएम राजशेखर के साथ मौके पर पहुंचे।
-भीड़ बहुत आक्रोशित थी जैसे ही एसएसपी गाड़ी से उतरे तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी।
-इस दौरान डीएम साहब एसएसपी को भीड़ में घिरा देखकर अपनी गाड़ी लेकर भाग खड़े हुए। पीछे आ रही एसएसपी की गाड़ी के ड्राइवर ने -समझा कि कप्तान साहब डीएम साहब के साथ उनकी गाड़ी में निकल गए।
-लिहाजा उसने भी अपनी गाड़ी डीएम की गाड़ी के पीछे ही लगा दी।
-राजशेखर इतने घबराए हुए थे कि रास्ते में आते पुलिस बल को भी घटना स्थल पर भेजने की जगह अपने साथ मुरादाबाद ले गए।
-उत्तेजित भीड़ ने एसएसपी को अकेला देखकर मार-मार कर अधमरा कर दिया।
-लहूलुहान एसएसपी ने पेट्रोल पंप के एक कमरे में छुपकर किसी तरह अपनी जान बचाई थी।
-यह प्रदेश की पहली घटना थी, जब कोई कलेक्टर एसएसपी को इस तरह छोड़कर भाग खड़ा हुआ हो।
-पूरे प्रदेश के आईपीएस अफसरों में इस बात को लेकर भयंकर रोष फैला था।
-यहां तक की खुफिया विभाग ने शासन को रिपोर्ट दी कि पुलिस कर्मी इतने उत्तेजित हैं कि वह डीएम की पिटाई कर सकते हैं।
-कोई और डीएम होता तो निलंबित हो जाता मगर राजशेखर बसपा कैम्प में भी बेहद दुलारे थे, लिहाजा उन्हें सिर्फ हटाया गया।
-उन्हें मुरादाबाद के डीएम पद से हटाकर मैंनेजिंग डायरेक्टर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बना दिया गया था।
राजधानी में भी भाग खड़े हुए थे डीएम साहब
-लखनऊ में भी डीएम साहब का भगोड़ापन सामने आया था।
-वकीलों का प्रदर्शन चल रहा था। डीएम साहब अपने दफ्तर में बैठे हुए थे।
-अचानक वकील उग्र हो गए और स्वास्थ भवन में आगज़नी के साथ साथ तोड़-फोड़ और पथराव शुरू कर दिया ।
-डीएम साहब को पता लगा तो वो मौके पर आने के बजाए पिछले दरवाज़े से निकल कर भागे और सुरक्षित स्थान पर छिप गए।
-आक्रोशित वकीलों ने खुलेआम डीएम और एसएसपी को गालियां दीं ।
-दिनभर वकीलों का तांडव चला, जाम में एंबुलेंस फंसी रहीं मगर डीएम साहब कहीं नज़र नहीं आए ।