Jalaun News: जानिए क्या है शब-ए-बारात की गुनाहों से तौबा वाली रात...

Jalaun News: रात इबादत करने से गुनाहों को माफी मिलती है। इस दुनिया से गए पूर्वजों को जन्नत में जगह मिलती है और उनके भी गुनाह माफ हो जाते हैं।

Report :  Afsar Haq
Update:2023-03-07 12:29 IST

Shab e Barat today (photo: social media )

Jalaun News: शब-ए-बारात मुसलमान समुदाय के लोगों के लिए इबादत और फजीलत की रात होती है। मुस्लिम समुदाय में ये त्यौहार बेहद खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह की रहमतें बरसती हैं। इस रात इबादत करने से गुनाहों को माफी मिलती है। इस दुनिया से गए पूर्वजों को जन्नत में जगह मिलती है और उनके भी गुनाह माफ हो जाते हैं।

दुनियाभर में शब-ए-बारात के त्यौहार का ख़ास महत्व है। जालौन में भी मंगलवार के दिन शब-ए- बारात का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार यह रात पूर्व के समय में किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली मानी जाती है। इसलिए इस रात को शब-ए-बारात के तौर पर जाना जाता है। इस महीने में अल्लाह ने वादा किया है कि अगर कोई अपने गुनाहों से माफी मांगे और उस गुनाह को दोबारा न करने का वादा करे तो उसके गुनाहों को माफ कर दिया जाता है। आज के दिन अपने पूर्वजों की कब्रिस्तान और मजारों पर जाकर फतेह खानी भी पढ़ते हैं और साफ-सफाई करके फूलों और इत्र की खुशबू के साथ-साथ रोशनी भी की जाती है।

अल्लाह करते हैं दुआएं कबूल

उरई के वघौरा वाली मस्जिद के पेश इमामअजीज बरकाती बताते हैं कि मुसलमान औरतें इस रात घर पर रहकर ही नमाज पढ़ती हैं, कुरान की तिलावत करके अल्लाह से दुआएं मांगती हैं और अपने गुनाहों से तौबा करती हैं। इस्लाम धर्म के अनुसार इस रात अल्लाह अपनी अदालत में पाप और पुण्य का निर्णय लेते हैं और अपने बंदों के किए गए कार्मो का हिसाब-किताब करते हैं। जो लोग पाप करके जहन्नुम में जी रहे होते हैं, उनको भी इस दिन उनके गुनाहों की माफी देकर के जन्नत में भेज दिया जाता है। इसलिए सभी मुस्लिम ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करके अपने गुनाहों की माफी मांगे और उनसे यह वादा करें कि आगे से कोई भी गुनाह नहीं करेंगे। अल्लाह की इबादत मन लगाकर करें। जो इस दुनिया से चले गए हैं, उनके लिए भी दुआ मांगे जिससे उनके भी बचे हुए गुनाहों को माफ किया जा सके और उन्हें जन्नत-ए-फिरदोस में आला से आला जगह मिल सके।

पूरी रात इबादत में गुजारें

शब-ए-बारात की इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। बरकत वाली इस रात में हर जरूरी और सालभर तक होने वाले काम का फैसला किया जाता है और यह काम फरिश्तों को सौंपा जाता है। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग शब-ए-बारात के अगले दिन रोजा भी रखते है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि रोजा रखने से इंसान को पिछली शब-ए-बारात से इस शब-ए-बारात तक के सभी गुनाहों से माफी मिल जाती है।

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