जौनपुर- अपराधियों के जिला बदर की कार्रवाई कहीं कागजी बाजीगरी का खेल तो नहीं?
आंकड़ों के मुताबिक, लगभग एक सप्ताह के अन्तराल पर जौनपुर के दो थानो की पुलिस ने जिला बदर अपराधियों की गिरफ्तारी कर उसे जेल रवाना किया है।
जौनपुर। अपराध नियंत्रण एवं अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कानून में जिला बदर का प्राविधान भले है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस विभाग के अधिकारी इस कानून के अनुपालनार्थ कागजी बाजीगरी के खेल करते हुए अपनी पीठ भले थपथपा लेते हैं। लेकिन इसका कोई असर अपराधियों पर नहीं नजर आता है। कागज में जिला बदर अपराधी जिले में उपस्थित रह कर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देता रहता है।ऐसे में अपराधों पर लगाम कैसे लगायी जा सकती है यह गम्भीर विचारणीय विषय बना है।
पुलिस की जिला बदर कार्रवाई नाममात्र
यह बात कोई हवा में नहीं खुद पुलिस इसका प्रमाण है क्योंकि लगभग प्रत्येक माह में थानों की पुलिस के लोग दो तीन जिला बदर अपराधियों की गिरफ्तारी करने का दावा करते हुए अपनी उपलब्धियों को बताती है। जनवरी 21 के पुलिसिया कार्यवाही के आंकड़े पर नजर डाली जायें तो लगभग एक सप्ताह के अन्तराल पर जिले के दो थानो की पुलिस ने जिला बदर अपराधी की गिरफ्तारी कर उसे जेल रवाना किया है। अब यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि यदि अपराधी जिला बदर था तो जनपद में क्यों और कैसे अथवा किसकी मर्जी से मौजूद रहा है ।
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जिला बदर अपराधियों की गिरफ्तारी
आंकड़े पर नजर डालें तो बीते 6 जनवरी 21 को जनपद के थाना चन्दवक की पुलिस ने जिला बदर अपराधी राजेश कुमार पुत्र बैजनाथ ग्राम इब्राहीमपुर थाना चन्दवक को उसके घर से गिरफ्तार किया और उसके उपर एक मुकदमा धारा 10 उ.प्र.गु.नि.अ. के तहत पंजीकृत कर जेल भेजा गया है । इसे 18 जुलाई 20 को अपर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जिला बदर का आदेश जारी कर जिला बदर कर दिया गया था। यह जिले से बाहर रहने के बजाय अपने घर पर लगातार बना रहा और चोरी जैसी अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता रही है।
जिला बदर होने के बाद भी घर पर अपराधियों की मौजूदगी
इसी क्रम में थाना मड़ियाहूं की पुलिस ने आज थाना क्षेत्र के ग्राम सुदनीपुर निवासी जिला बदर अपराधी ब्रम्हदेव मिश्रा पुत्र भगवन्ता मिश्रा को आज 16 जनवरी 21 को उसके घर से गिरफ्तार कर उसके खिलाफ धारा 10 उ.प्र.गु.नि.अ. के तहत मुकदमा दर्जकर आज जेल रवाना कर दिया गया। इसके अपराधिक इतिहास के अनुसार इस अपराधी के खिलाफ 8 मुकदमें है। विगत चार माह पहले मजिस्ट्रेट के आदेश से जिला बदर किया गया था लेकिन जिले में रह कर अपराध को अंजाम देता रहा है।
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अब यहाँ पर सवाल इस बात का है कि जब अपराधी को जिला बदर कर दिया जाता है तो वह जनपद की सीमा में कैसे रहता है। यह तो मामले उदाहरण है अगर गम्भीरता पूर्वक छान बीन होगी तो बड़ी संख्या में जिला बदर अपराधी जनपद में मौजूद मिलेंगे।
कपिल देव मौर्य जौनपुर
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