सीएआर-टी सेल थेरेपीः कैंसर इलाज में एक नई उम्मीद

CancerCAR-T Therapy: टी-कोशिकाएं सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो इम्यून सिस्टम का एक हिस्सा होती है और वायरस व कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए जानी जाती हैं।

Report :  Gaurav kushwaha
Update:2024-06-10 13:33 IST

सीएआर-टी सेल थेरेपीः कैंसर इलाज में एक नई उम्मीद (न्यूजट्रैक)

Cancer CAR-T Therapy: भारत में कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। अनुमान है 2025 तक देश में 2.96 मिलियन केस हो जाएंगे। इनमें से एक बड़ी संख्या उन मरीजों की होगी जो ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा जैसे ब्लड कैंसर से पीड़ित होंगे और एक बड़ी संख्या ऐसी होगी जिनमें मरीजों को कैंसर फिर से हो जाएगा या हालत ऐसी होगी कि इलाज का असर नहीं होगा। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज (नई दिल्ली) में मेडिकल ऑन्कोलॉजी की प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर निवेदिता ढींगरा ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी।

पिछले दशक में कैंसर इम्यूनोथेरेपी काफी बढ़ी

डॉक्टर निवेदिता ने बताया कि ऐसे मरीजों के लिए रिजल्ट सही नहीं रहते हैं और ऐसे मामलों के लिए प्रभावी ट्रीटमेंट विकल्प विकसित करना महत्वपूर्ण है। ब्लड कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट से किया जाता है। हालांकि, ये थेरेपी काफी कारगर हैं लेकिन इलाज के बाद भी मरीजों के फिर से कैंसर की गिरफ्त में आने जैसे मामलों के चलते नई थेरेपी विकसित हो रही हैं। मौजूदा दौर टारगेटेड दवाओं जैसे इमैटिनिब (जिसे अक्सर वंडर ड्रग भी कहा जाता है) से विशिष्ट मॉलीक्यूल या मार्गों पर काम करता है और कैंसर कोशिकाओं को टारगेट कर उनका खात्मा करता है। पिछले दशक में कैंसर इम्यूनोथेरेपी काफी बढ़ी है क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि कैंसर को मैनेज करने में इम्यून सिस्टम काफी अहम रोल अदा करता है।

टी-कोशिकाएं सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो इम्यून सिस्टम का एक हिस्सा होती है और वायरस व कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए जानी जाती हैं। टी सेल थेरेपी कैंसर इम्यूनोथेरेपी का एक क्रांतिकारी रूप है जिसमें एक मरीज की अपनी टी कोशिकाओं को निकाला जाता है और आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है ताकि उनकी सतह पर विशेष अणुओं को सरफेस पर लाया जा सके जिन्हें सिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स कहा जाता है जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर सकते हैं और उन्हें सीधे डैमेज कर सकते हैं। पश्चिमी देशों में सीएआर-टी सेल थेरेपी 2017 के दौर में इस्तेमाल की जाती थी और आज के दौर में 6 सीएआर-टी सेल प्रोडक्ट्स हैं जो एफडीए से अप्रूव हैं, चार रिलैप्स/रिफ्रैक्टरी बी सेल लिम्फोमा व ल्यूकेमिया और 2 मल्टीपल मायलोमा के लिए हैं। इनकी लागत आधा मिलियन डॉलर से ऊपर है और भारतीय मरीजों के लिए ये एक तरह से महंगी है।

अक्टूबर 2023 में, अमेरिका की एफडीए जैसी भारतीय एजेंसी सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने रिलैप्स्ड और रिफ्रैक्टरी बी सेल ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के इलाज के लिए हमारे पहले घरेलू स्वदेशी सीडी19 सीएआर-टी सेल प्रोडक्ट नेक्स-सीएआर 19 (एक्टालीकैबटागेन ऑटोल्यूसेल) को मंजूरी दी थी। सीडी19 सीएआर टी कोशिकाएं बी कोशिकाओं से प्राप्त ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के खिलाफ सक्रिय होती हैं जो एक अन्य प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं और उनकी सतह पर सीडी19 अणु व्यक्त करती हैं। यह अप्रूवल फेज-2 के क्लिनिकल ट्रायल्स में सुरक्षा और प्रभावकारिता के परिणामों पर आधारित था, जहां लिम्फोमा के 68फीसदी मरीज और ल्यूकेमिया के 72फीसदी मामले इलाज के बाद कैंसर मुक्त थे।

सीएआर टी कोशिकाओं की जनरेशन में पहला कदम मरीज से टी-सेल्स निकालने की प्रक्रिया है जिसे एफेरेसिस कहा जाता है जो एक साधारण बेडसाइड प्रक्रिया है जिसमें किसी एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है। ये आनुवंशिक रूप से प्रयोगशाला में रि-प्रोग्राम किए जाते हैं ताकि उनकी सतह पर काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स को लाया जा सके जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान करते हैं और मारते हैं। इस एक प्रक्रिया जिसमें 3-4 सप्ताह लग सकते हैं। सीएआर-टी कोशिकाओं के इंफ्यूजन से 5-6 दिन पहले मरीज को भर्ती करना पड़ता है और सीएआर-टी सेल्स लेने से पहले कुछ इलाज किया जाता है। सीएआर टी कोशिकाओं को इंफ्यूज किया जाता है और ये लंबे समय तक शरीर में लिविंग ड्रग के तौर पर रहती हैं।

सीएआर टी कोशिकाएं देने के बाद मरीज को 1-2 हफ्ते तक अस्पताल में रखने की जरूरत होती है ताकि उसके साइड इफेक्ट को मॉनिटर किया जा सके। 28 दिन बाद पूरे शरीर का पीईटी-सीटी किया जाता है या फ्लो साइटोमेट्री किया जाता है ताकि डिजीज कंट्रोल का मूल्यांकन किया जा सके। सस्ती मगर विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने में भारत काफी आगे है और हमारी स्वदेशी सीएआर टी सेल थेरेपी इस दिशा में एक और बेहतर विकल्प है। यह उन रोगियों के जीवन को बदलने की एक उम्मीद है जहां सभी उपचार विकल्प समाप्त हो जाते हैं।

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