Jhansi News: माताटीला बांध खाली भी हो जाए तो नो टेंशन, राजघाट बांध है न

Jhansi News: माताटीला बांध का जलस्तर 308 मीटर है। इसे 301 मीटर तक उपयोग किया जा सकता है। बांध की भंडारण क्षमता 641 एमसीएम(मिलियन क्यूबिक मीटर) है, जिसमें से 602 एमसीएम तक उपयोग किया जा सकता है।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-05-25 07:20 GMT

झांसी में माताटीला बांध खाली होने पर राजघाट बांध से मिलेगा पानी (न्यूजट्रैक)

Jhansi News: राजघाट बांध में अपनी पूरी क्षमता के सापेक्ष सिर्फ 2.75 प्रतिशत पानी बचा है। यदि जलस्तर और भी नीचे चला जाए तो कोई परेशानी की बात नहीं। ललितपुर में स्थित एशिया के विशालतम राजघाट बांध से माताटीला को जरूरत के मुताबिक पानी तुरंत दिया जाएगा। यदि दुर्भाग्यवश साल दो साल बारिश भी न हुई तब भी घबराने की जरूरत नहीं। राजघाट से उत्तर प्रदेश के हिस्से का पानी लेकर हम दो साल तक पानी का काम चला सकते हैं।

बेतवा नदी पर स्थित राजघाट और माताटीला बांध की गिनती बड़े बांधों में होती है। राजघाट को एशिया का सबसे बड़ा बांध माना जाता है। यह बांध झांसी,ललितपुर और जालौन को न केवल सिंचाई के लिए बल्कि पीने के लिए भी पानी उपलब्ध कराते हैं। गर्मियां चरम सीमा पर हैं। मई के अंतिम सप्ताह में माताटीला बांध का जलस्तर पूरी क्षमता के सापेक्ष सिर्फ 2.75 प्रतिशत पानी बचा है। मालूम हो कि माताटीला बांध का जलस्तर 308 मीटर है। इसे 301 मीटर तक उपयोग किया जा सकता है।

बांध की भंडारण क्षमता 641 एमसीएम(मिलियन क्यूबिक मीटर) है, जिसमें से 602 एमसीएम तक उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में बांध का जलस्तर 301.782 मीटर तक जा पहुंचा है यानि जलस्तर मृत भंडारण की स्थिति में पहुंच गया है। ऐसे में विभाग द्वारा कहा जा रहा है कि बांध में पानी की जो उपलब्धता है उसे देखते हुए यदि बरसात जून के दूसरे सप्ताह तक प्रारंभ न हुई तो भी झांसी और ललितपुर में पेयजल की कोई समस्या नहीं होगी। मालूम हो कि राजघाट बांध में पानी बेतवा नदी से आता है। वर्षाकाल में जब नदी उफान पर होती है तब इस बांध को पूरी क्षमता से भर लिया जाता है। बाद में राजघाट बांध से ही झांसी और ललितपुर के बांधों को पानी दिया जाता है।

दो वर्ष तक हो सकती है पेयजल सप्लाई

अधिसाषी अभियंता, बेतवा प्रखंड, झांसी उमेश कुमार ने बताया कि राजघाट बांध में वर्तमान में जो पानी उपलब्ध है उससे दो वर्ष तक पानी की सप्लाई की जा सकती है। उसके बाद मानसून आने पर बांध पूरी क्षमता से भर जाएगा।

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