Jhansi News: सरकारी रेट से अधिक बाजार में गेहूं का मूल्य: कैसे दोगुनी हो किसानों की आय

Jhansi News: मोंठ गल्ला मंडी में खाद्य रसद विभाग, भारतीय खाद्य निगम और किसान सेवा सहकारी समिति के क्रय केंद्र खोले गए हैं।;

Update:2025-03-18 14:24 IST

Jhansi News: जिले में इस समय गेहूं की फसल खेतों में लहलहा रही है, और सरकार ने किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। इस बार गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 150 रुपये की वृद्धि करते हुए इसे 2,425 रुपये प्रति कुंतल कर दिया गया है। इसी उद्देश्य से मोंठ गल्ला मंडी में तीन एजेंसी के तीन गेहूं क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं।

सोमवार, 17 मार्च को इन केंद्रों पर खरीद प्रक्रिया का शुभारंभ कर दिया गया, लेकिन पहले ही दिन कोई भी किसान गेहूं बेचने नहीं पहुंचा। केंद्र प्रभारियों ने पूरा दिन बोरा, कांटा और अन्य सुविधाओं के साथ इंतजार किया, मगर किसानों की गैरमौजूदगी ने खरीद प्रक्रिया को ठप रखा।

क्रय केंद्रों पर अधूरी तैयारियां

मोंठ गल्ला मंडी में खाद्य रसद विभाग, भारतीय खाद्य निगम और किसान सेवा सहकारी समिति के क्रय केंद्र खोले गए हैं। प्रशासन ने इन केंद्रों पर सभी जरूरी सुविधाएं, जैसे तौल कांटा, बोरे, बैनर और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे, ताकि किसानों को असुविधा न हो। हालांकि, खाद्य रसद विभाग को छोड़कर अन्य दो क्रय केंद्रों पर तैयारियों का अभाव साफ नजर आया।

खाद्य रसद विभाग के गेहूं क्रय केंद्र प्रभारी चंद्रपाल सिंह राजपूत ने बताया कि उनके केंद्र पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं और किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए 2,425 रुपये प्रति कुंतल की दर से खरीद की जाएगी। सरकारी खरीद प्रक्रिया 15 जून 2025 तक जारी रहेगी।

खुले बाजार में अधिक दाम से सरकारी खरीद प्रभावित

अब तक मोंठ क्षेत्र के 400 से अधिक किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई भी गेहूं बेचने के लिए केंद्रों पर नहीं पहुंचा। इसका मुख्य कारण यह है कि खुले बाजार में व्यापारी किसानों को सरकारी मूल्य से अधिक दर पर गेहूं खरीदने का प्रस्ताव दे रहे हैं। इस समय खुले बाजार में गेहूं 2,800 रुपये प्रति कुंतल तक बिक रहा है, जो सरकारी दर से 375 रुपये अधिक है।

आशंका है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अभी तक कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है। किसानों को सरकारी केंद्रों पर लाने के लिए प्रशासन को और प्रयास करने होंगे, अन्यथा सरकारी खरीद प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

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