Jhansi News: समय पर प्रबंधन से बचाई जा सकती हैं आधी मातृ मृत्युः डॉ दिव्या जैन

Jhansi News: डा. दिव्या ने चिकित्साधिकरियों को समझाते हुये बताया कि अधिक रक्त स्त्राव की दशा में मरीज को मानक के अनुरूप आई.वी. फ्लूड दिया जाये तो मरीज उच्च चिकित्सा संस्थान तक सही स्थिति में पहुँचेगा और उसे आगे की आवश्यक सेवाएँ मिल सकेगी।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2024-03-05 18:05 IST

 मुख्य वक्ता एम.एल.बी. मेडिकल की एशोसियेट प्रोफेसर डा. दिव्या जैन source: Newstarck 

Jhansi News: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) द्वारा मण्डलीय ईको कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी मैनेजमेंट एंड रेफरल’ विषय पर मण्डल के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात चिकित्साधिकारियों से संवाद हेतु वर्चुअल सेमिनार का आयोजन किया गया।

सेमिनार में विषय विशेषज्ञ के रूप में मुख्य वक्ता एम.एल.बी. मेडिकल की एशोसियेट प्रोफेसर डा. दिव्या जैन ने हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी (high risk pregnancy) पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि यदि समय से हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल किया जाये तो वर्तमान मातृ-मृत्यु की दर (maternal mortality rate) को आसानी से आधा किया जा सकता है। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुये कहा कि मेडिकल कालजे में पहुँचने वाली गर्भवती महिलाएँ अन्तिम समय में इस स्थिति में पहुँचती है कि उनकी जान बचाया जाना कठिन हो जाता है। यदि निचली स्तर की स्वास्थ्य इकाईयों पर हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी की सही पहचान तथा रेफर करते समय आवश्यक औषधीय प्रबंधन कर दिया जाये तो मातृ मृत्यु को कम किया जाना आसान होगा।

डा. दिव्या ने चिकित्साधिकरियों को समझाते हुये बताया कि अधिक रक्त स्त्राव की दशा में मरीज को मानक के अनुरूप आई.वी. फ्लूड दिया जाये तो मरीज उच्च चिकित्सा संस्थान तक सही स्थिति में पहुँचेगा और उसे आगे की आवश्यक सेवाएँ मिल सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि मरीज को एम्बुलेन्स में लाने के दौरान रास्ते में उसका चिकित्सकीय प्रबंधन बहुत जरूरी है इसके लिये पीएचसी/ सीएचसी. के चिकित्साधिकारी संबंधित स्टाफ को आवश्यक मार्गदर्शन दें।

चिकित्साधिकारियों द्वारा लेवर रूम में मरीजों की निरंतर निगरानी की जाये और रेफर करते समय जिला चिकित्सालय और मेडिकल कालेज के संबंधित चिकित्सा विशेषज्ञ को मरीज की स्थिति की जानकारी देकर ही भेजें जिससे मरीज के आगे का इलाज तैयारी रहे।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी ट्रैकिंग की व्यवस्था की गईः डॉ. आर के सोनी

सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे डॉ.के. सोनी अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य झाँसी मण्डल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत हाई रिस्क प्रेगनेंसी ट्रैकिंग की व्यवस्था की गई है। जिससे पूरे 9 माह तक हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं को प्रत्येक माह प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस में बुलाकर उनकी स्थिति का संज्ञान लिया जाता है और आवश्यकता अनुसार चिकित्सा उपचार किया जाता है।

गर्भवती महिलाओं के लिये नि:शुल्क अल्ट्रसाउन्ड की व्यवस्थाः डॉ एन के जैन

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, झाँसी डॉ. एन.के. जैन ने बताया कि गर्भवती महिलाओं की समय से पहचान अत्यंत जरूरी है, इसके लिए मानक तय किए गए हैं, आशा और एएनएम ग्रामीण स्तर पर ही हाई रिस्क की पहचान कर रही है। गर्भवती महिलाओं के लिये नि:शुल्क अल्ट्रसाउन्ड की व्यवस्था भी की गयी है।

100 चिकित्साधिकारियों ने लिया भाग

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मण्डलीय परियोजना प्रबंधन आनन्द चौबे ने सेमिनार का संचालन किया। सेमिनार में झाँसी मण्डल के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात लगभग 100 चिकित्साधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। सेमिनार में चिकित्सकों द्वारा उपचार की व्यवस्थाओं के बारे अनेक प्रश्न पूछे गये जिनका विषय विशेषज्ञ द्वारा उत्तर दिया गया। कार्यक्रम में डा. जीतेन्द्र, डा. आरती, डा. गरिमा पुरोहति, डा. नेहा जोशी, डा. शिवानी सहित मो.अतीब, धीरज सिंह चौहान आदि ने भाग लिया।

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