Jhansi News: “दि किंग ऑफ कलर्स“ कला प्रदर्शनी का आयोजन करेगा ललित कला संस्थान
Jhansi News: विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही देश एवं विदेश के प्रख्यात चित्रकारों की कृतियों की अनुकृति बनाने के साथ ही उनके जीवन एवं दर्शन पर प्रदर्शनी का आयोजन भी करते हैं। इसी के तहत यह नाम एकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।
Jhansi News: ललित कला संस्थान, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी राजा रवि वर्मा की 176वीं जयंती के अवसर पर 29 अप्रैल को कला प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। यह कला प्रदर्शनी “दी किंग ऑफ कलर्स“ नाम से ललित कला संस्थान में आयोजित होगी। संस्थान की समन्वयक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि इस कला प्रदर्शनी का उद्देश्य विद्यार्थियों को कला जगत की महान हस्तियों से परिचित कराना है। विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही देश एवं विदेश के प्रख्यात चित्रकारों की कृतियों की अनुकृति बनाने के साथ ही उनके जीवन एवं दर्शन पर प्रदर्शनी का आयोजन भी करते हैं। इसी के तहत यह नाम एकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।
कुछ इस प्रकार है राजा रवि वर्मा का परिचय
डॉ. पाण्डेय ने बताया कि इस कला प्रदर्शनी में छायांकन, एंटीक वर्क डिस्प्ले, चित्रकला प्रदर्शनी, क्राफ्ट वर्क, मेकअप आर्ट और अभिनय के माध्यम से प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास के लिए कला के विविध आयामों को एक साथ समाहित करने का प्रयास किया गया है। डॉ. पाण्डेय ने बताया कि इसके पूर्व अमृता शेरगिल की जयंती को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह कार्यक्रम का आयोजन ललित कला संस्थान के तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है जिसमें अमृता शेरगिल के जीवन दर्शन को प्रदर्शित किया जाता है। राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को तिरुवनंतपुरम के किलिमानूर पैलेस में हुआ था।
पाँच वर्ष की छोटी सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारम्भ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राज राजा वर्मन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और कला की प्रारम्भिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें तिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ राजमहल में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में चित्रकला के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने मैसूर, बड़ौदा और देश के अन्य भागों की यात्रा की। राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारम्परिक तंजौर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। डा. आनंद कुमारस्वामी ने उनके चित्रों का मूल्यांकन कर कलाजगत में उन्हें सुप्रतिष्ठित किया। 58 वर्ष की उम्र में 1906 में उनका देहान्त हुआ।
यह लोग रहे मौजूद
इस कला प्रदर्शनी का आयोजन ललित कला संस्थान की समन्वयक डॉ. श्वेता पाण्डेय के निर्देशन में किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदर्शनी के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए संस्थान के शिक्षक गजेंद्र सिंह, दिलीप कुमार, डॉ. अजय कुमार गुप्त, डॉ. रानी शर्मा, डॉ. अंकिता शर्मा, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. संतोष कुमार का मार्गदर्शन विद्यार्थियों को प्राप्त हो रहा है।