Jhansi News: दावा हुआ हवा, मोबाइल पर नहीं दी जा रही जांच रिपोर्ट
Jhansi News: मेडिकल कालेज प्रशासन ने दावा करते हुए दम भरा था कि जो रिपोर्ट अभी तक लैब से लेने जाना पड़ती थी, उसके लिए जल्द ही इस व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा।
Jhansi News: मेडिकल कालेज का दावा एक बार फिर से खोखला साबित हुआ। मेडिकल कालेज ने कुछ दिनों पहले यह दावा किया था कि अब मरीजों को जल्द ही उनके मोबाइल पर जांच रिपोर्ट भेजी जाएगी। मरीजों को जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इस व्यवस्था के तहत एक दो दिन तो सब ठीक चला फिर कहानी पुराने ढर्रे पर लौट आई है। आलम ये हैं जांच रिपोर्ट लेने के लिए मरीज कई बार पैथोलाजी लैब के चक्कर काट रहे हैं। इसमे सबसे ज्यादा परेशानी मरीज के तीमारदारों को होती है।
मेडिकल कालेज का यह दावा फिलहाल हवाहवाई साबित हुआ है। कुछ गलती मरीज के तीमारदारों की भी रहती है। जब सेंट्रल लैब ने ट्रायल किया तो लोगों ने मोबाइल पर आई जांच रिपोर्ट को देखा नहीं और जांच रिपोर्ट लेने सीधे पैथलॉजी लैब पहुंच गए। कई बार मरीजों और यहां के कर्मचारियों के बीच इस बात को लेकर कहासुनी भी देखी गई। फिलहाल, मरीजों के मोबाइल पर अभी तो रिपोर्ट नहीं आ रही है और जिनके पास आ रही वे इसे समझ नहीं पा रहे हैं।
ये किया था दावा
मेडिकल कालेज प्रशासन ने दावा करते हुए दम भरा था कि जो रिपोर्ट अभी तक लैब से लेने जाना पड़ती थी, उसके लिए जल्द ही इस व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा। पैथोलॉजी से वार्ड के स्वास्थ्यकर्मी और ओपीडी के मरीजों के मोबाइल फोन पर रिपोर्ट भेजी जाएगी। डिजिटल रिपोर्ट भेजने की व्यवस्था फिलहाल अधर में ही अटक गई है। इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि उन्होने जो दावा किया है उसे पूरा करने के लिए वे काम कर रहे हैं। मेडिकल कालेज की सेंट्रल लैब में एक साफ्टवेयर तैयार किया गया है जो मरीज के पर्चे से आटोमेटिक नंबर को उठा लेगा और उसकी रिपोर्ट आने के बाद उस नंबर पर भेज दिया जाएगा।
मोबाइल पर मिलता है एक्सरे रिपोर्ट
मेडिकल कालेज में भले की जांच रिपोर्ट मोबाइल पर न मिल रही हो पर यहां होने वाले एक्सरे की रिपोर्ट जरूर मोबाईल पर मिल जाती है। हैरानी की बात है डाक्टर इसी एक्सरे रिपोर्ट को देखकर बीमार का हाल जान लेते हैं।
झांसी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपिल एनएस सेंगर का कहना है कि पैथोलॉजी में होने वाली जांचों की रिपोर्ट के लिए भर्ती मरीजों या उनके तीमारदारों के मोबाइल नंबर पर भेजने के लिए ट्रायल हो चुका है। इसमें कुछ सुधार किए जा रहे हैं, ताकि एक बार में और एक समय में लिए गए सैंपलों को एक साथ अलग- अलग नंबरों पर भेजा जा सके। कई बार मरीज खुद रिपोर्ट लेने आ जाते हैं। ऐसे में विभाग के कर्मचारी भी भ्रमित हो जाते हैं।