Jhansi News: कबाड़ियों को बेचा जा रहा मेडिकल वेस्ट,पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने जताई चिंता

Jhansi News: पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड से अब भी पंजीकृत नहीं हैं करीब 500 क्लीनिकक्षेत्रीय अधिकारी उ.प्र.प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कर सकता है क्लीनिक या अस्पताल का पंजीकरण रद्द

Report :  Gaurav kushwaha
Update:2024-06-07 13:41 IST

Jhansi News Photo- Newstrack

Jhansi News: महानगर सहित ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों और क्लीनिकों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का अस्सी प्रतिशत कबाड़ियों को बेच दिया जाता है, जिससे इन कबाड़खानों से तमाम प्रकार की बीमारियां पनप सकती हैं। इस पर मेडिकल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड झांसी ने चिंता जताई है।एनजीटी के निर्देश पर समस्त नगर निगमों, नगर पालिकाओं को अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को वैज्ञानिक पद्धति से शहर के बाहर निस्तारित किया जा रहा है। झांसी मंडल में मेडिकल वेस्ट के निष्पदन का कार्य मेडिकल पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा बिजौली में किया जा रहा है। नियमत: झांसी मंडल के समस्त अस्पतालों, क्लीनिकों को मेडिकल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड में अपना पंजीकरण कराके अपने संस्थान से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट देना चाहिए ताकि उसे सुरक्षित तरीके से निष्पादित किया जा सके।

मेडिकल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के शैलेंद्र बाजपेयी का कहना है कि झांसी में 600 अस्पतालों, क्लीनिक, पैथोलॉजी, वेटनरी अस्पताल पंजीकृत हैं। तमाम आदेशों के बाद भी लगभग 500 ऐसे अस्पताल और क्लीनिक हैं जिन्होंने अब तक पंजीकरण नहीं कराया है और न ही वह मेडिकल वेस्ट दे रहे हैं। वहीं क्षेत्रीय अधिकारी उ.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दीपा अरोरा से फोन पर बात हुई उन्होंने बताया कि जो अस्पताल या क्लीनिक से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को आमतौर पर कचराघर, दीवार के पीछे फेंक देते हैं। जोकि घातक है। जो अस्पताल या क्लीनिक मेडिकल वेस्ट का विधिवत निस्तारण नहीं करवा रहे हैं हम उनका पंजीकरण रद्द कर सकते हैं।

क्या है मेडिकल वेस्ट

अस्पतालों और क्लीनिकों से निकलने वाला वाला कचरा मनुष्य के लिए खतरनाक होता है। रक्त मवाद, सिरिंज, दवाओं की शीशियां, ग्लूकोज या अन्य ड्रिप चढ़ाने की दवाओं की कांच या प्लास्टिक की बोतलें, रबर के दास्ताने, उतारे गए प्लास्टर, ऑपरेशन थियेटर के वेस्ट सहित अन्य दवाओं के अवशेष आदि को मेडिकल वेस्ट माना गया है। यह कचरा स्वस्थ्य मनुष्य और मवेशियों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। आमतौर पर अस्पतालों के अलावा क्लीनिक, वैटनरी अस्पताल, पैथोलॉजी आदि से यह कचरा निकलता है।


कबाड़ियों को बेच देते हैं मेडिकल वेस्ट

आमतौर पर अस्पतालों का स्टाफ मेडिकल वेस्ट से कांच व प्लास्टिक की बोतलें- शीशियां, रबर के दास्ताने सहित अन्य चीजों को कबाड़ियों के बेच देते हैं। सूत्रों की मानें तो यह मात्रा रोजना सात से आठ टन होती है। जबकि इस मेडिकल वेस्ट को पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड को देना चाहिए।


मेडिकल वेस्ट को पृथक नहीं करते अस्पताल

अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को पृथक-पृथक करके पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड के कर्मचारी को देना चाहिए पर अस्पतालों के कर्मचारी उन्हें एक ही डिब्बे में या पालीथिन में भरकर दे देते हैं। इसकी वजह से पॉलुशन बोर्ड के कर्मचारियों को पृथक करने में खासी परेशानी होती है साथ ही उसके निष्पादन में भी समस्या होती है।


झोलाछाप और बंगाली डॉक्टर बने मुसीबत

सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों के अलावा गली मुहल्ले व ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के अलावा चांदसी और बंगाली डॉक्टरों की क्लीनिकों से भी बड़ी मात्रा में मेडिकल वेस्ट निकलता है परंतु झांसी में लगभग 500 ऐसी क्लीनिक हैं जोकि मेडिकल पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड से पंजीकृत नहीं हैं। बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि जो क्लीनिक या अस्पताल पंजीकृत नहीं हैं उनके पंजीकरण के लिए नगर निगम, सीएमओ और क्षेत्रीय अधिकारी उ.प्र.प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कार्यालय से ही ठोस कार्रवाई की जा सकती है। 

Tags:    

Similar News