Jhansi News: भू गर्भ जल का दोहन करने पर 285 को नोटिस, बिना पंजीकरण के अब संचालित नहीं हो सकेंगे आरओ प्लांट
Jhansi News: आरओ प्लांट लगाने के लिए ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड लखनऊ (बीओआईएस) से अनुमति लेनी पड़ती है। बीओआईएस से अनुमति मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी लाइसेंस देते हैं।
Jhansi News: धरती की कोख पर डाका डालकर संचित पानी को जबरन खींचकर बर्बाद करने वाले 285 आरओ प्लांट, होटल, इंडस्ट्रीज को भू गर्भ जल विभाग ने नोटिस भेजे हैं। विभाग ने इनसे पंजीकरण कराते हुए तमाम औपचारिकताएं पूरी करने को कहा गया है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश भू गर्भ जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए, अन्यथा की स्थिति में 20 लाख रुपए तक जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है। भूगर्भ जल विभाग ने भूमिगत जल को बिना अनुमति के निकालने व इसका व्यवसायिक उपयोग करने के मामले में आरओ प्लांट, होटल और इंडस्ट्रीज संचालकों को यथाशीघ्र विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ पंजीकरण कराने के लिए नोटिस भेज दिए हैं।
महानगर में आरओ प्लांट का पानी बेचने का चलन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में भू-गर्भ का जलस्तर कम होने लगा है। गली-गली में आरओ प्लांट चल रहे हैं। विभाग ने महानगर में अब तक 20 आरओ प्लांट चिन्हित कर पाया है। वहीं 217 इंडस्ट्रीज को चिन्हित किया है जहां भू गर्भ जल का विभाग से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के पानी का दोहन किया जा रहा है। वहीं, 48 ऐसे होटल, होस्टल और मैरिज गार्डन हैं जहां पानी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। इन सबको भू गर्भ जल विभाग ने नोटिस भेजकर नलकूप या बोरिंग के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित अन्य अनिवार्य प्रपत्रों के साथ विभाग में पंजीकरण कराने को कहा है।
विभाग के मुताबिक महानगर में 30 आरओ प्लांट चिन्हित किए गए हैं। इनसे भू-गर्भ जल का अंधाधुंध इस्तेमाल और दोहन दोनों हो रहा है। पानी को फिल्टर करने के लिए लगी मशीन जितना पानी उपयोग के लिए शुद्ध करती है, उससे दोगुना बर्बाद कर देती है। यह पानी नालियों में बहाया जाता है। भू- गर्भ विभाग के मुताबिक भू-गर्भ जल अधिनियम 2019 के तहत कृषि और घरेलू प्रयोग को छोड़कर सभी प्रकार की संस्थाओं को भू-गर्भ जल विभाग की ओर से एनओसी लेने का नियम है।
इनका कहना है
नोडल अधिकारी( वेब पोर्टल) मनीष कुमार ने कहा कि बिना पंजीकरण और विभिन्न विभागों की अनापत्ति प्रमाण पत्र के चल रहे आरओ प्लांट को नोटिस दिए गए हैं। इससे पूर्व दो-तीन नोटिस भेजे जा चुके हैं। इस बार अंतिम नोटिस भेजे गए हैं। चुनाव बाद सीधे कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत आरओ प्लांट का विद्युत कनेकेशन काटा जा सकता है साथ ही बोरिंग को भी सील किया जा सकता है।
होटलों, फैक्ट्रियों और सोसाइटियों में पानी का दुरुपयोग
महानगर के बड़े होटलों में पानी का दोहन बड़े पैमाने पर हो रहा है। कहीं-कहीं तो दो-दो भारी क्षमता वाले समर्सिबल कराए गए हैं, जिनसे रोजाना हजारों लीटर पानी निकाला जा रहा है। औद्योगिक स्थानों में बड़े पैमाने पर भू-गर्भ से पानी की निकासी की जा रही है। इन जगहों पर जल संरक्षण के कोई इंतजाम नहीं हैं। वहीं प्राइवेट कालोनियों और सोसाइटियों में स्वीमिंग पूल, गार्डन और कार वाशिंग के नाम पर बेतहाशा पानी खर्च होता है।
आरओ प्लांट लगाने के मानक
आरओ प्लांट लगाने के लिए ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड लखनऊ (बीओआईएस) से अनुमति लेनी पड़ती है। बीओआईएस से अनुमति मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी लाइसेंस देते हैं। आरओ-प्लांट की फर्म को सेल्स टैक्स देना पड़ता है। श्रम विभाग में प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। आरओ प्लांट के पानी की हर माह जांच रिपोर्ट भेजनी पड़ती है। आरओ प्लांट चलाने के लिए कामर्शियल विद्युत कनेक्शन होना चाहिए। खाद्य उत्पाद में भारतीय मानक ब्यूरो से रजिस्टर्ड होना आवश्यक है। आरओ प्लांट को रजिस्टर्ड कराने के लिए 27 तरह की जांच होती है। प्राविधान के अनुसार हर आरओ प्लांट में प्रयोगशाला के साथ दो केमिस्ट होने आवश्यक हैं, जिनका काम रोज पानी की जांच करना होगा।