Jhansi News: जेलर पर हमला करने वाले कमलेश का पुत्र पुलिस मुठभेड़ में गोली लगने के बाद गिरफ्तार

Jhansi News: जेलर पर हमला करने वाले क्रिमिनल कमलेश के पुत्र की पुलिस और स्वॉट टीम के साथ मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ के दौरान आरोपी को पकड़ लिया। इसके पास से मोटर साइकिल, तमंचा व कारतूस बरामद किए गए।

Report :  Gaurav kushwaha
Update:2024-12-19 20:56 IST

 जेलर पर हमला करने वाले कमलेश का पुत्र पुलिस मुठभेड़ में गोली लगने के बाद गिरफ्तार (newstrack)

Jhansi News: जेलर पर हमला करने वाले क्रिमिनल कमलेश के पुत्र की पुलिस और स्वॉट टीम के साथ मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ के दौरान आरोपी को पकड़ लिया। इसके पास से मोटर साइकिल, तमंचा व कारतूस बरामद किए गए।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह और एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह के निर्देशन में नगर में चलाए जा रहे अभियान के तहत नवाबाद पुलिस और स्वॉट टीम जेलर पर हमला करने वाले आरोपियों की तलाश में लगे थे। सूचना मिली कि जेलर कस्तूरी गुप्ता पर हमला करवाने वाले क्रिमिनल कमलेश यादव का पुत्र सुकुवां ढुकुवां कॉलोनी के पास खड़ा है। इस सूचना पर गई टीम ने कमलेश यादव के पुत्र सुमित यादव को घेराबंदी की तो उसने पुलिस पर फायर किया। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की। पैर में गोली लगने से सुमित यादव घायल हो गया। बाद में पुलिस ने उसे दबोच लिया।

पुलिस के मुताबिक प्रेमनगर थाना क्षेत्र के पुलिया नंबर नौ के रेलगंज मोहल्ले में रहने वाले कमलेश यादव के पुत्र सुमित यादव को गिरफ्तार कर लिया। इसके पास से मोटर साइकिल व तमंचा, कारतूस बरामद किए गए। गिरफ्तार किए गए आरोपी को अदालत में पेश किया। वहां से उसे जेल भेजा गया।

दुश्मनों से मिला जेलर कस्तूरी गुप्ता

सुमित यादव ने बताया है कि उसके पिता कमलेश यादव झांसी जेल में निरुद्ध थे। इसी बीच पुलिया नंबर नौ मोहल्ले में रहने वाला पिता का दुश्मन सतेंद्र यादव भी दफा 307 में जेल में निरुद्ध हो गया। आरोप है कि जेलर कस्तूरी गुप्ता ने सतेंद्र यादव से सांठगांठ करके उसके पिता से रंजिश रखने लगा था। जेल में आए दिन उसके पिता का उत्पीड़न किया जा रहा था। उसके पिता की सतेंद्र यादव के सामने जेलर ने बेरहमी से पिटाई भी की थी। इसके बाद उसके पिता को हमीरपुर जेल स्थानांतरित कर दिया गया।

पिता को दूसरी जेल भेजा तो दूसरे बंदी को क्यों नहीं

सुमित यादव का कहना है कि जब उसके पिता को हमीरपुर जेल स्थानांतरित किया तो सतेंद्र को दूसरी जेल क्यों नहीं भेजा गया। इसमें कहीं न कहीं जेलर की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है। आरोप है कि बैरक नंबर सात में जुआ का अड्डा भी चलता था। इसमें जेलर को अच्छी खासी रकम मिलती थी।

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