Jhansi News: वर्दी का नया रुपः नन्हें-मुन्नों के लिए फरिश्ते, लड़कियों के लिए सहेली

Jhansi News: वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी स्टेशन पर नियमति जांच कर रही रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की टीम ने दो दिन पहले ही स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार के पास बैठी एक छोटी लड़की को देखा। पूछने पर लड़की ने अपनी पहचान छतरपुर मध्यप्रदेश रामकली (बदला हुआ नाम) उम्र 12 साल के रुप में बताया।

Update: 2023-08-03 15:31 GMT
(Pic: Newstrack)

Jhansi News: रेल सुरक्षा बल घर से भागे हुए बच्चों का तारणहार बन गया है। खासकर घर से भागकर रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले या फिर ट्रेन में सफर करने वाले बच्चों को बचाकर सुरक्षित उन्हें घर पहुंचाना आरपीएफ की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है। वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी स्टेशन पर नियमति जांच कर रही रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की टीम ने दो दिन पहले ही स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार के पास बैठी एक छोटी लड़की को देखा। पूछने पर लड़की ने अपनी पहचान छतरपुर मध्यप्रदेश रामकली (बदला हुआ नाम) उम्र 12 साल के रुप में बताया। वह अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से भाग गई थी। तब आरपीएफ टीम ने बच्चे को सुरक्षित गैर -सरकारी संगठन चाइल्डलाइन के पास पहुंचाया। जिसने उसे उसके माता-पिता को सौंप दिया।

आरपीएफ ने बीते दिन स्थानीय रेलवे स्टेशन के दो नंबर प्लेटफार्म पर दो घबराए हुए बच्चों को देखा और उनसे उनकी पहचान के बारे में पूछा। बच्चों ने अपनी पहचान उन्नाव के एक गांव का बताया। कहा कि वे अपने माता-पिता द्वारा डांटे जाने के बाद घर से भाग आए। आरपीएफ ने दोनों बच्चों को चाइल्डलाइन को सौंप दिया, जिन्होंने उन्हें उनके अभिभावकों के पास पहुंचा।

नन्हें फरिश्ते नाम से चलाया जा रहा है एक ऑपरेशन

जानकारी के मुताबिक आरपीएफ पोस्ट वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन झाँसी ने जुलाई माह में दो दर्जन से अधिक बच्चों को आरपीएफ की माई सहेली और नन्हें फरिश्ते टीम ने बताया है। इनमें 15 नाबालिग लड़के व सात नाबालिग लड़कियां शामिल है। इनको रेलवे चाइल्ड हेल्पलाइन के हवाले कर दिया है। बताया गया है कि रेलवे स्टेशनों से नाबालिग बच्चों और लड़कियों को बचाने के लिए नन्हें फरिश्ते नाम से एक ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसके अलावा रेलवे की माई सहेली टीम स्टेशनों पर परेशान हाल टीन एजर्स पर नजर रखती है। कई मामलों में आरपीएफ को स्थानीय पुलिस से भी लापता व्यक्तियों के बारे में सूचना मिलती है और स्टेशनों पर चौकसी बढ़ाकर ऐसे बच्चों को रेस्क्यू किया जाता है।

नादानी में प्यार के जाल में फंसकर भटक रही लड़कियां

अक्सर लड़कियां नादानी में प्यार के जाल में फंसकर भविष्य की चिंता किए बिना ऐसा कदम उठा लेती हैं। बहुत सारे मामलों में शारीरिक शोषण या उससे उपजी कुंठा में आत्महत्या करना या बेच दिए जाने के मामले सामने आते रहे हैं। नाबालिग लड़कियों का रेस्क्यू के साथ-साथ घर से भागे नाबालिग और गुमशुदा हुए लोगों को उनके परिजनों से मिलाने का काम कर रहे हैं।

जुलाई माह में 22 बच्चों को बचाया गया

इस संबंध में आरपीएफ स्टेशन पोस्ट के इंचार्ज रविन्द्र कुमार कौशिक का कहना है कि आरपीएफ कमांडेंट विवेकनारायण के निर्देशन पर नन्हें फरिश्ते अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत जुलाई माह में 22 बच्चों को बचाया गया है। उनका कहना है कि नाबालिग आमतौर पर अपने गंतव्य के बारे में जाने बिना ही घर से भाग जाते हैं। इस कंफ्यूजन में वे किसी भी ट्रेन में कहीं भी जाने के लिए चढ़ जाते हैं। इनमें से कई तो अपने घर से भागने के बाद अपना नाम और पूरा पता तक नहीं बता पाते। ऐसे में आरपीएफ चाइल्डलाइन और पुलिस के साथ मिलकर इन बच्चों के परिवारों की तलाश की जाती है। जो भी सुराग मिलते हैं, उनका इस्तेमाल कर बच्चों को सुरक्षित घऱ वापसी सुनिश्चित करते हैं।

उन्होंने बताया कि आरपीएफ के जवान रेलवे स्टेशनों पर मिलने वाले बच्चों के प्रति संवेदनशील होते हैं। क्योंकि अगर उनकी ठीक से देखभाल नहीं की गई तो वे आसानी से गलत हाथों में पड़ सकते हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशनों पर ऐसे बच्चों की खोज डेली रुटीन के आधार पर शिद्दत से की जाती है।

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