Kannauj News: इस प्राचीन मंदिर के दर्शन करने से वही फल प्राप्त होता है जो काशी के बाबा विश्वनाथ से

Kannauj News: सावन के महीने में शिवपुराण की कथा सुनने से अनंत फल प्राप्त होता है‚ जिससे भक्तों का कल्याण होता है। बाबा विश्वनामंदिर में सावन के महीने में लगातार शिवपुराण की कथा चलती रहती है जिसको दूर –दूर से भक्त सुनने का आते है।

Update: 2024-08-19 08:09 GMT

बाबा विश्वनाथ मंदिर (Pic: Newstrack)

Kannauj News: कन्नौज जिले में एक गांव है चौारियापुर। यह गांव गंगा तट पर बसा हुआ है। गंगा के तट पर बसा यह गांव इन दिनों बाबा विश्वनाथ मंदिर की कृपा से विख्यात हो रहा है। मंदिर को लेकर भक्तों में धारणा है कि बनारस काशी के मंदिर बाबा विश्वनाथ के दर्शन से जो फल प्राप्त होता है, वहीं कन्नौज के चौधरियापुर स्थित बाबा विश्वनाथ मंदिर के दर्शन से फल प्राप्त होता है।

प्राचीन बाबा विश्वनाथ मंदिर के इतिहास को लेकर पंडित आशुतोष त्रिपाठी से बात कि तो उन्होंने बताया कि ऐसा सुनने में आता है कि यह बहुत प्राचीन स्थल है। इस बात का प्रमाण भी मिलता है। सदियों पहले जब यहां पर आकर राजाओं ने राज किया तब इस मंदिर की स्थापना की गई और इस मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है यह स्वतः प्रकट है और इसलिए इसका बहुत विशेष महत्व है। वैसे तो बाबा विश्वनाथ एक तो बनारस में अपने आप स्वयं जाे स्वयंभू है, वहां पर प्रकट हैं।


ऐसे ही भक्तों का मानना है कि बाबा विश्वनाथ हैं जो कि विश्व के स्वयं नाथ है। ऐसे विश्वनाथ इस कन्नौज की इस भूमि पर उपस्थित हैं। इनका भी बहुत प्राचीन महत्व है। इसीलिए सारे कन्नौज के ही नहीं अपितु बड़ी दूर–दूर से लोग यहां आकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करते है और जो लोग विश्वनाथ बनारस–काशी नहीं जा सकते है, वह यहां आकर बाबा का आशीर्वाद ले सकते हैं। बाबा विश्वनाथ यहां पर भी उसी रूप में उपस्थित है। मैया पार्वती के सहित बाबा विश्वनाथ यहां सबका कल्याण कर रहे है। बाबा विश्वनाथ सभी भक्तों का कल्याण करें ऐसी कामना है। अभी श्रावण मास में तो बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए अनवरत भीड़ जारी रहती है। बहुत दूर–दूर से लोग आते‚ अन्य प्रदेशों से भी आते है। 


सावन के महीने में शिव पुराण की कथा सुनने से प्राप्त होता है अनंत फल

सावन के महीने में शिवपुराण की कथा सुनने से अनंत फल प्राप्त होता है‚ जिससे भक्तों का कल्याण होता है।  बाबा विश्वनामंदिर में सावन के महीने में लगातार शिवपुराण की कथा चलती रहती है जिसको दूर –दूर से भक्त सुनने का आते है। बृंदावन धाम से पधारे कथावाचक पंडित आशुतोष त्रिपाठी का कहना है कि भगवान शिव की जो कथा है उसको शिवपुराण की कथा कहा जाता है, हमारे सनातन में 18 पुराण है, उन 18 पुराणों में भगवान शंकर की कथा का विशेष उल्लेख है। भगवान शंकर के परिकल्प, भगवान शंकर जिस प्रकार से संसार का कल्याण करते है। भगवान शंकर कैसे जीवों पर अपनी कृपा करते है और भगवान शिव का जो परिकर है, जिसमें भगवान गणेश है, भगवान कार्तिके है, मैया पार्वती है, बाबा नंदी है, यहां तक जो भी निधिपति कुबेर जी है और साक्षात मैया लक्ष्मी जिनको कि आपसब बेलपत्र के रूप में चढ़ाते है तो ऐसा हमारे वेदों में कहा गया है, यह बात वेद की है कि जो वेलपत्र है वह साक्षात वृक्षोद् बेल पत्रः अर्थात यह बेलपत्र मैया लक्ष्मी का ही एक स्वरूप है।


इसीलिए भगवान शंकर को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है और वृक्षों में उनको स्थान दिया गया तो श्रावण के महीने में अब इस समय अखण्ड बेलपत्र भगवान शंकर को अर्पित करने से शिव पुराण, शिव महापुराण की कथा ऐसा कहती है कि जो भी भक्त श्रद्धाभाव से इस श्रावण के महीने में भगवान शंकर को अर्पण करता है। भगवान शंकर उसके तीन जन्म तक के पापों का नाश करके और उसे बिल्कुल मुक्त करते हुए अपने चरणो में स्थान देते हैं। ऐसा शिव महापुराण की कथा के द्वारा हम भक्तों को यह बताते है, सुनाते है कि जो शिव पुराण है कितना कल्याणकारी है और वह भगवान शंकर के द्वारा सारी भगवान शंकर की जितनी कथाएं है, उनकी लीलाएं है, उनके चरित्र है उनका यहां 9 दिवसीय नित्य गान हो रहा है। भगवान शिव का ऐसा सुन्दरीय प्रांगण भी है तो उनकी कथाओं का ज्ञान निरंतर यहां चल रहा है।  

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