UP चुनाव से पहले कांग्रेस में घर वापसी शुरू, ब्राह्मण नेताओं पर सबका जोर

यूपी चुनाव से पहले दिग्गजों की घर वापसी शुरू हो गई है, प्रियंका गांधी के दौरे के बाद तीन पूर्व विधायकों को पार्टी ज्वाइन कराया गया है।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Newstrack :  Network
Update: 2021-07-21 07:22 GMT
कांग्रेस में शामिल हुए कानपुर के दो पूर्व विधायक, सोशल मीडिया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी पार्टियां चुनावी रणनीति को बनाने में लगी हैं। ऐसे में उन तमाम नेताओं की दुबारा घर वापसी होनी शुरू हो गई है जो किसी कारण से पार्टी छोड़ दिए थे या उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था। आने वाले समय में ऐसे नेताओं के नामों की लंबी चौड़ी लिस्ट आपको देखने को मिल जाएगी। बीते दिनों लखनऊ दौरे पर आईं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मिशन 2022 को लेकर चिंतन और मंथन किया था। जिसमें कई रणनीति तैयार की गई थी। यूपी कांग्रेस जहां बूथ स्तर पर संगठन में मजबूत करने का कार्य कर रही है तो वहीं पुराने पुरोधाओं की भी वापसी शुरू हो गई है। लखनऊ में मंगलवार को कानपुर के दो पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र, और नेकचंद्र पांडेय की घर वापसी हो गई है।

2019 में निकाले गए थे दोनों नेता

बता दें अनुशासनहीनता के आरोप में नवंबर 2019 में कांग्रेस से निकाले गए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की घर वापसी शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति की ओर से निष्कासन रद किये जाने के बाद पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र और नेकचंद्र पांडेय मंगलवार को कांग्रेस में वापस आ गए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव रोहित चौधरी ने गुलदस्ते देकर और पटका पहना कर दोनों पुराने सिपाहियों का पार्टी में वापस आने पर स्वागत किया।

इन दोनों नेताओं के साथ ही निष्कासित किये गए राजेंद्र सिंह सोलंकी पिछले हफ्ते कांग्रेस में वापस हो चुके हैं। पुराने कांग्रेस नेताओं की वापसी के पीछे प्रियंका गांधी की रणनीति बताई जा रही है। लखनऊ दौरे के दौरान प्रियंका गांधी ने पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों, पूर्व जिलाध्यक्षों के साथ बैठक की थी। जिसमें उन्होंने नेताओं से उनकी समस्या को सुना था और उसे दूर करने का भरोसा दिया था। प्रियंका के सामने नेताओं ने पार्टी के अंदर उन्हें तवज्जो नहीं मिलने की भी शिकायत की थी। जिसे प्रियंका ने गंभीरता से लेते हुए नेताओं को आपसी समन्वय बैठकर चलने की नसीहत दी थी।

ब्राह्मणों को जोड़ने की होड़

प्रियंका गांधी के दौरे के बाद जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने कानपुर के दो पूर्व ब्राह्मण नेताओं को बुलाकर पार्टी ज्वाइन कराई है उसके कई मायने हैं, दरअसल दलित केंद्रित पार्टी बसपा ने 2007 में यूपी में ब्राह्मण मतदाताओं के बीच सफलतापूर्वक पैठ बनाई, यह एक ऐसा समीकरण था जिसने पहली बार पार्टी को विधानसभा में बहुमत के आंकड़े तक पहुंचा दिया था। उसके बाद 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो ब्राह्मणों का रुख बीजेपी की ओर हो गया। अब यूपी में एक बार फिर चुनाव की रणभेरी सज रही है तो फिर से ब्राह्मणों की राजनीतिक पूछ बढ़ गई है।

मायावती जहां अयोध्या से ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत करने जा रही हैं तो समाजवादी पार्टी के कई ब्राह्मण नेता सिर्फ सपा में ही अपने समाज का हित बता रहे हैं। बीजेपी भी अपने वोट बैंक को कहां छोड़ सकती है, वह भी कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद को पिछले दिनों कांग्रेस से तोड़कर अपने पाले में कर लिया है। अब चर्चा है कि उन्हें एमएलसी बनाया जा सकता है। जानकारों का यह भी मानना है कि चुनावी साल में जितिन प्रसाद को मंत्री पद से भी नवाजा जा सकता है। वहीं, यूपी में अपनी खोई जमीन को वापस पाने की ललक में दौड़ रही कांग्रेस पार्टी भी इसी राह पर चल पड़ी है। तभी तो 2019 में निकाले गए दोनों पूर्व विधायकों को बुलाकर फिर से पार्टी ज्वाइन कराया गया है।

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