Kanpur News: खालिद सैफुल्लाह रहमानी का बड़ा बयान, बोले-देश को यूनिवर्सल सिविल कोड की कोई जरूरत नहीं है

Kanpur News: कहा-हर व्यक्ति को अपने मजहब के हिसाब से जीने की आजादी है।

Update:2023-06-11 20:45 IST
All India Muslim Personal Law Board President Khalid Saifullah Rahmani (Photo-Social Media)

Kanpur News: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश को यूनिवर्सल सिविल कोड की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हर व्यक्ति को अपने मजहब के हिसाब से जीने की आजादी है। ईरान-ईराक 10 साल तक लड़े। उनके पास कोई कॉमन सिविल कोड नहीं था। सोच बदलने की जरूरत है। बोर्ड के अध्यक्ष का यह बयान ऐसे समय में आया है देश में कॉमन सिविल कोड को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। इस बयान के राजनीतिक मायने भी निकाले जाएंगे यह तो तय माना जा रहा है।

भारत में कॉमन सिविल कोड एक राजनीतिक मुद्दा रहा है। इस समय भी यह चर्चा में है। समान सिविल संहिता का उल्लेख भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में मिलता है, जहां राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में संविधान में राज्य को कॉमन सिविल कोड के लिए प्रयास करने हेतु निर्देशित किया है। माडर्न भारत में कॉमन सिविल कोड की जरूरत है। इस पर कभी स्पष्ट और खुलकर बहस नहीं होती है। इस पर चर्चा न होने का कारण है कि इसे लोगों के बीच विवाद का मुद्दा बना दिया गया है। यदि ध्यानपूर्वक देखें तो कॉमन सिविल कोड के लाभ भी हैं।

आइए जानते हैं क्या है काॅमन सिविल कोड

कॉमन सिविल कोड की चर्चा तो अक्सर लोगों के जुबान पर होती है लेकिन यह क्या है। कॉमन सिविल कोड का अर्थ होता है सभी व्यक्तिगत विधियां एक समान कर दी जाएं। अभी हमारे देश में व्यक्तिगत विधियां अलग-अलग हैं।

व्यक्तिगत विधियां क्या होती हैं?

व्यक्तिगत विधियां उन कानूनों को कहा जाता है जो नागरिकों के निजी मामले को नियमित करते हैं। जैसे कि विवाह, तलाक, भरण पोषण, बच्चा गोद लेना और उत्तराधिकार।

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