Kanpur News: LLB का छात्र बना रहा गणेश प्रतिमा, सीखा रहा बच्चों को मूर्ति बनाने की कला

Kanpur News: मूर्ति कलाकार के पास लोग मूर्ति खरीदने ही नहीं मूर्ति बनाने की कला को सीखने भी आते है। नाम है आजाद मूर्तिकार वैसे इनका पढ़ाई लिखाई में नाम स्वतंत्र कुमार मालवीय है।

Report :  Anup Pandey
Update: 2024-08-31 04:42 GMT

एलएलबी का छात्र बना रहा गणेश प्रतिमा   (photo: social media )

Kanpur News: गणेश चतुर्थी का समय जैसे जैसे पास में आ रहा हैं। वैसे ही सभी मूर्तिकार मूर्ति बनाने में लगे हुए है। ऐसे में एक मूर्तिकार जो परिवार के पालन पोषण के लिए मूर्ति बना रहा है, वह अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एलएलबी की पढ़ाई भी कर रहा है। ऐसा ही कुछ बर्रा में रहने वाले मूर्ति कलाकार की कहानी है। इस मूर्ति कलाकार के पास लोग मूर्ति खरीदने ही नहीं मूर्ति बनाने की कला को सीखने भी आते है। नाम है आजाद मूर्तिकार वैसे इनका पढ़ाई लिखाई में नाम स्वतंत्र कुमार मालवीय है।

पिता की मृत्यु के बाद जीवन हो गया संघर्ष भरा

स्वतंत्र कुमार मालवीय को लोग आजाद मूर्ति कार के नाम से जानते है। आजाद ने बताया कि पिता सिंचाई विभाग में थे। और उनकी मृत्यु हो चुकी है। पिता के न रहने के बाद से आज़ाद का परिवार टूट गया। आजाद चार भाईयों और दो बहनों में सबसे छोटा है। बचपन में पढ़ाई के साथ घर के बाहर मिट्टी में खेला करता था। और उसी मिट्टी से अपने लिए खिलौने बनाता था। उम्र बढ़ती गई और पढ़ने की रुचि के साथ-साथ वह चित्रकला में माहिर हो गए। आज आजाद एक मूर्तिकार के नाम से जाना जाता है। वहीं आगे पढ़ने की रुचि में आजाद एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है। जहां एलएलबी का अंतिम वर्ष है।


संघर्ष कर बनाया अपना नाम व काम

आजाद ने बताया कि परिवार बड़ा था। पिता के वेतन से परिवार का खर्चा नहीं चल पाता था। जब मैं 14 वर्ष की आयु में स्कूल पढ़ने जाता था। तो रास्ते में साकेत नगर स्थित रोड किनारे लोग मूर्ति बनाकर बेचते थे।तो मैं वहीं रुक कर मिट्ठी से बन रही मूर्ति को देखने लगता था। फिर घर आकर छत पर मिट्ठी की मूर्ति बनाता था। जैसे जैसे मैं मूर्ति बनाने में सफल होता गया। तो वहीं स्कूल की छुट्टी होने के बाद मूर्ति बनाने लगता था। और मुझको वहां से कुछ खर्चा मिलने लगा। फिर मैं पढ़ाई के साथ साथ खुद मूर्ति बनाकर बेचने लगा।मेरी कमाई से मेरी पढ़ाई व मेरा खर्चा निकलने लगा।आज अपनी दम पर बड़ा कारोबार बना दिया। आजाद के साथ करीब आधा दर्जन मूर्तिकार भी है। जो आजाद के साथ मूर्ति बनाने का काम करते हैं l।

20 वर्षों से बनाकर बेच रहे मूर्ति

आजाद ने बताया कि देश विदेश से भी मूर्ति के ऑर्डर आते है। और कानपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग हमारे पास मूर्ति खरीदने आते हैं। गणेश चतुर्थी व नवरात्र में मूर्ति बनाने के अलावा भी पूरे वर्ष ऑर्डर पर मूर्ति बनाते हैं। आजाद ने बताया कि एक मूर्ति की कीमत 2100 से लेकर 50000 रुपए तक का ऑर्डर मिला है। सबसे ज्यादा मूर्ति बिकने का कारण मिट्टी की मूर्ति बनाकर बेचना बताया।

ब्याज पर पैसा लेकर बना दिया कारोबार

14 वर्ष की आयु से धीरे धीरे अपना काम बढ़ाया। आजाद ने अकेले कुछ वर्षों तक खुद अकेले काम किया। साकेत नगर पराग डेरी रोड पर अपना व्यापार बनाया। कमाई के समय मूर्ति बनाने के दौरान त्योहार पर अतिक्रमण वाले आ जाते थे। जिससे काम में नुकसान हो जाता था। और ब्याज पर ली गई रकम को चुका नहीं पाता था। इसको देख बर्रा में एक किराए का मकान लिया। जिसमें बीते करीब 8 वर्षों से अपना काम कर रहे है।

आजाद ने बना डाली है तीन लाख से ऊपर प्रतिमाएं

आज़ाद ने अभी तक गणेश प्रतिमा और नवरात्र दुर्गा पूजा की क़रीब तीन लाख से ऊपर प्रतिमाएं बना दी हैं। इसमें इनके साथ बंगाल के कारीगर भी साथ देते हैं। इनकी प्रतिमा साउथ अफ्रीका तक जहाज के माध्यम से गई है। सबसे पहले आजाद ने ढाई फिट की मूर्ति बनाई थी। जो बर्रा में दूर्गा पूजा के दौरान रख पूजा अर्चना की गई थी।

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