Kanpur News: सौर ऊर्जा से कृषि उपज के संरक्षण में आईआईटी कानपुर की नई पहल, किसानों की आय बढ़ाने का अभिनव तरीका
Kanpur News: आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर संदीप संगल और प्रोफेसर कल्लोल मंडल की अगुवाई में यह परियोजना किसानों को सौर ऊर्जा आधारित डिहाइड्रेशन विधियों के बारे में व्यावहारिक प्रशिक्षण देती है।;
IIT KANPUR NEWS: ( Pic- Social- Media)
IIT KANPUR NEWS: आईआईटी कानपुर के रंजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र ने किसानों के लिए एक बड़ी मदद देने वाली सोलर डिहाइड्रेशन तकनीक पेश की है, जो उनके लिए फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और आय बढ़ाने का एक सशक्त उपाय साबित हो सकती है। यह तकनीक सौर ऊर्जा का उपयोग करके फल और सब्जियों को सूखा कर उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाती है, जिससे किसानों को अपनी उपज को अधिक लाभकारी दरों पर बेचने का अवसर मिलता है, खासकर जब बाजार में मांग अधिक हो।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर संदीप संगल और प्रोफेसर कल्लोल मंडल की अगुवाई में यह परियोजना किसानों को सौर ऊर्जा आधारित डिहाइड्रेशन विधियों के बारे में व्यावहारिक प्रशिक्षण देती है। हाल ही में, इस तकनीक का प्रदर्शन 30 किसानों के सामने किया गया, जिसमें शिवराजपुर के हरिया नेचर फार्मिंग प्रोड्यूसर कंपनी और कल्याणपुर ब्लॉक के लवकुश एफपीओ के किसान शामिल थे। इस अवसर पर किसानों को बताया गया कि कैसे टमाटर जैसे उत्पादों को सौर ऊर्जा से सुखाकर उनके जीवनकाल को बढ़ाया जा सकता है, जो उनके बिक्री मूल्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए, आईआईटी कानपुर के रंजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र की परियोजना कार्यकारी अधिकारी रीता सिंह ने बताया कि यह सोलर डिहाइड्रेशन तकनीक न केवल कृषि अपशिष्ट को कम करने का एक प्रभावी तरीका है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। उनका उद्देश्य नाबार्ड के सहयोग से इस तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाना है, ताकि इसका अधिक से अधिक किसान लाभ उठा सकें।
आईआईटी कानपुर ने इस परियोजना के तहत सोलर डिहाइड्रेशन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) और गुणवत्ता प्रोटोकॉल भी विकसित किए हैं, जिसका उपयोग किसानों को प्रशिक्षण देने में किया जा रहा है। इसके अलावा, सीएसजेएमयू विश्वविद्यालय के खाद्य प्रसंस्करण विभाग के साथ मिलकर इस तकनीक के और बेहतर उपयोग के लिए शोध और विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।यह पहल आईआईटी कानपुर के तकनीकी नवाचारों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने और उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह प्रयास पारंपरिक कृषि प्रथाओं में आधुनिक तकनीकों का समावेश करके एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर कृषि समुदाय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।