Kanpur news: व्यापार के लिए तोड़ दिए सांप के दांत व निकाल दी विष थैली, रेस्क्यू कर जंगल में छोड़े सांप
Kanpur News: व्यापार के लिए सांपों पर अत्याचार कर उनके दांत तोड़ व विष थैली निकाल सपेरे मंदिरों में नाग देवता के दर्शन कराने के नाम पर हजारों कमाते है। इस अत्याचार को देख सेवा दान फाउंडेशन द्वारा सावन के चलते मंदिरों में जागरूकता अभियान चलाया गया।
Kanpur News: सावन पर्व आते ही सपेरों के द्वारा सांपो की आफत बढ़ जाती है। व्यापार के लिए सांपों पर अत्याचार कर उनके दांत तोड़ व विष थैली निकाल सपेरे मंदिरों में नाग देवता के दर्शन कराने के नाम पर हजारों कमाते है। इस अत्याचार को देख सेवा दान फाउंडेशन द्वारा सावन के चलते मंदिरों में जागरूकता अभियान चलाया गया।
दांत तोड़ व विष थैली निकालना
हर जीव जीना चाहता है। किसी जीव के क्रूरता के साथ दांत तोड़ कर विष थैली काटकर निकालना एक तरह मरणासन्न स्थिति पर पहुँचाना। उस क्रूरता के दर्द को झेल रहे सांपो को देखकर भक्त आनंद लेते है। हम सपेरों को दान देकर बढ़ावा देते हैं। नाग देवता के नाम पर दर्शन और प्रणाम करते हैं।
इस कारण हो जाते है कुछ दिनों के मेहमान
ये सांप इन कारणों से जिंदगी और मौत से लड़ रहे होते है,और कुछ ही दिनों में मर जाते है। इसको देख सेवा दान फाउंडेशन द्वारा मंदिरों में लोगों को सांपों के प्रति जागरूक किया गया। वालंटियर कार्तिकेय ने ग्वालटोली स्थित परमट मंदिर में सावन को देख अभियान किया। और वहां से सांपों को रेस्क्यू करके वन विभाग को सौंपा गया। कुछ सांप बहुत ही दयनीय स्थिति में थे उन्हें जंगली क्षेत्रों में छोड़ा गया, जिसमें एक सांप मरने की कगार पर था। जिसको चिकित्सा के लिए लाया गया। लेकिन रास्ते में ही मर गया। वहीं सांपों के दांत तोड़ फेविक्विक लगा देते है।
मंदिर जाएं तो सपेरों का समर्थन ना करें
मंदिर पहुंचने पर मंदिर परिसर के बाहर जो सपेरा सांप लेकर दूध दान देने को कहे उनका समर्थन न करें। बल्कि उन्हें कोई दूसरा रोजगार करने की सलाह दें। वहीं कुछ सपेरे 10 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को कोबरा सांप देकर बाल श्रम करवाते है, क्योंकि छोटे बच्चों को देख लोग दान दे देते है।
सावन में सांपो पर होता अत्याचार
पूरे साल सांपो पर अत्याचार होते हैं, वहीं सावन आते इन सांपो में मुख्य रूप से नाग के बुरे दिन आ जाते हैं,दुनिया में भोले बाबा से तो मनुष्य अपने कल्याण की कामना करता है,वही उनके प्रिय नाग की दुर्दशा करवाने में सपेरों को बढ़ावा देते हैं,और सपेरे सांप को दूध पिलाने के नाम पर दान दक्षिणा लेते है, और जब सांप मरने की कगार पर होता है,तो इसे छोड़ देते है,जो कुछ दिनों बाद मर जाते है।
सांप के दांत तोड़ने के बाद दूध पिलाने पर हो जाता है निमोनिया
सांपों में दूध पचाने वाला एंजाइम नहीं होता है,सांप आहार श्रृंखला का हिस्सा हैं,यह श्रृंखला टूटी तो पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा,सांप को दूध पिलाने से उसकी आयु मात्र 24 से 30 दिन ही रह जाती है,सांप की जीभ बीच से कटी होने के कारण दूध को पचाने वाला एंजाइम नहीं होता है,इसलिए सांप के दूध पीने से वह पचा नहीं पाता और उसे निमोनिया की बीमारी हो जाती है।
जागरण झाकियों में भी सांप का करते है उपयोग
जागरण झांकियों में भी झांकी करने वाले कलाकार सांपों, अजगर का उपयोग करते है, वहीं कभी कभी ये जीव जंतु बैठे भक्तों को अपना शिकार बना लेते है। कलाकार सांपो को मुंह में दबाकर दृश्य भक्तों को दिखाते है।